मेघालय हाईकोर्ट ने नाबालिग से रेप के मामले में पूर्व विधायक की 25 साल की सजा बरकरार रखी
Avanish Pathak
12 April 2023 7:30 AM IST
मेघालय हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक जूलियस के दोरफांग की ओर से दायर एक अपील को खारिज कर दिया है। उन्हें एक नाबालिग लड़की से बलात्कार का दोषी ठहराया गया है और 25 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है।
चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस डब्ल्यू डेंगदोह की पीठ ने कहा,
“यह उच्च सार्वजनिक पद पर आसीन व्यक्ति के जघन्य और नृशंस आचरण की भयावह गाथा का उपसंहार है। मुकदमे के दरमियान बचाव पक्ष की ओर से पेश कुछ भी पीड़िता की भरोसेमंद आपबीत को झूठला नहीं सका कि वह अपीलकर्ता के हाथों कैसे पीड़ित हुई।"
दोरफांग पर दो एफआईआर, एक उमियम में और दूसरी मदनरीटिंग में दर्ज है। दोनों एफआईआर रेप के आरोप में दर्ज है। मौजूदा मामला उमियम का है।
निचली अदालत ने पूर्व विधायक को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (2) (i) और (n) के साथ-साथ पॉक्सो एक्ट की धारा 5 के तहत दोषी ठहराया था और 25 साल की कड़ी सजा सुनाई थी, और 15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था, जिसे पीड़िता को मुआवजे के रूप में दिया जाना था।
सीआरपीसी की धारा 164 के तहत अपने बयान में, पीड़िता ने अपने साथ हुए दुष्कर्म की पूरी आपबीती बताई थी। एक नेपाली महिला ने उसे शिलांग आने का लालच दिया था, जिसके बाद से न केवल पूर्व विधायक ने, बल्कि कई अन्य पुरुषों ने उसका यौन शोषण किया था।
दोरफांग की ओर से यह दलील दी गई थी कि ट्रायल के दरमियान पीड़िता का नाबालिग होना स्थापित नहीं किया गया था। पीड़िता के अलग-अलग बयानों में स्पष्ट विसंगतियों को भी दोरफांग ने फैसले पर हमले के लिए आधार के रूप में चुना था।
नाबालिग के मुद्दे पर विचार करते हुए, पीठ ने पाया कि पीड़िता ने अपने बयानों में लगातार यह दावा किया था कि जब उमियम में उसके साथ वारदात हुई थी, जब उसकी उम्र 15 वर्ष से कम थी।
कोर्ट ने कहा, ऐसी स्थिति के बावजूद, घटना के समय पीड़िता के नाबालिग होने के बारे में संदेह व्यक्त करने के लिए जिरह के दरमियान उससे कोई सार्थक सवाल नहीं किया गया था।
अदालत ने कहा, देर से एक आवेदन दायर किया गया, हालांकि यह एक स्कूल की ओर से जारी झूठे प्रमाण पत्र पर आधारित थी, जिसमें पीड़िता ने कभी भाग नहीं लिया था।
सजा पर पीठ ने कहा कि दोरफांग की उम्र उस समय लगभग 52 वर्ष थी और 25 साल के कारावास की सजा सुनाकर, ट्रायल कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया है कि जब तक वह फिर से मुक्त ना हो जाए, "उसकी कामेच्छा पर्याप्त रूप से कम हो गई हो।"
अदालत ने फैसले के अंत में राज्य को निर्देश दिया कि वह पीड़िता को कम से कम 25 वर्ष तक होने तक उसकी निरंतर भलाई सुनिश्चित करे।
अदालत ने आगे निर्देश दिया कि कम से कम अगले 20 वर्षों के लिए राज्य पीड़िता को सभी चिकित्सा आवश्यकताओं का निर्वहन करे और उसे ग्रेड- II अधिकारी के लिए उपलब्ध चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाएं।
केस टाइटल: जूलियस किटबोक दोरफांग बनाम मेघालय राज्य व अन्य।