केवल नॉन-नेटवर्क हॉस्पिटल में इलाज कराने के कारण मेडिकल दावा अस्वीकार नहीं किया जा सकता : मद्रास हाईकोर्ट

Shahadat

11 Dec 2023 10:24 AM GMT

  • केवल नॉन-नेटवर्क हॉस्पिटल में इलाज कराने के कारण मेडिकल दावा अस्वीकार नहीं किया जा सकता : मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि किसी मेडिकल दावे को केवल इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता कि इलाज नॉन-नेटवर्क हॉस्पिटल में किया गया था।

    जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और जस्टिस वी लक्ष्मीनारायणन की खंडपीठ ने कहा कि जब ट्रीटमेंट के संबंध में कोई विवाद नहीं है और ट्रीटमेंट वास्तविक पाया गया तो मेडिकल दावा खारिज करने का कोई कारण नहीं है।

    अदालत ने कहा,

    “नॉन-नेटवर्क हॉस्पिटल में किए गए ट्रीटमेंट के संबंध में मेडिकल दावे के निपटान से संबंधित मुद्दे अब एकीकृत नहीं हैं। मेडिकल प्रतिपूर्ति दावा निपटाने के लिए और इसे केवल इस आधार पर खारिज न करने के लिए कि हॉस्पिटल नेटवर्क हॉस्पिटल की सूची में नहीं आ रहा है, अदालतों द्वारा कई आदेश पारित किए गए हैं।”

    अदालत सी मणि की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो प्रधान जिला न्यायालय, पुदुक्कोट्टई में मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए और मेडिकल स्वास्थ्य योजना के सदस्य है, जो नियमित रूप से सदस्यता का भुगतान करते हैं। मणि ने बाएं गुर्दे के ट्यूमर की सर्जरी करवाकर इलाज कराया, जिसके लिए उन्होंने 1,24,576/- रुपये खर्च किए।

    यह आरोप लगाया गया कि जब उन्होंने मेडिकल प्रतिपूर्ति के लिए आवेदन किया तो स्वास्थ्य और ग्रामीण सेवा निदेशक ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इलाज नॉन-नेटवर्क हॉस्पिटल में कराया गया।

    बीमा कंपनी ने बताया कि अस्वीकृति का आदेश स्वास्थ्य और ग्रामीण सेवा निदेशक द्वारा पारित किया गया और दोहराया गया कि मेडिकल दावे का निपटान केवल तभी किया जा सकता है जब इलाज नेटवर्क हॉस्पिटल में किया गया और चूंकि जिस अस्पताल में मणि ने इलाज कराया था, वह नॉन-नेटवर्क हॉस्पिटल है, इसलिए अस्वीकृति उचित है।

    इस पर अदालत ने कहा कि जब ट्रीटमेंट की वास्तविकता के बारे में कोई विवाद नहीं था तो केवल इस आधार पर मेडिकल प्रतिपूर्ति अस्वीकार करने का कोई कारण नहीं कि ट्रीटमेंट नॉन-नेटवर्क हॉस्पिटल में किया गया।

    इस प्रकार अदालत ने विवादित आदेश रद्द करना उचित समझा और बीमा कंपनी को 6 सप्ताह के भीतर योजना के तहत पात्र मेडिकल प्रतिपूर्ति का निपटान करने का निर्देश दिया।

    याचिकाकर्ताओं के वकील: पी. गणपति सुब्रमण्यम।

    प्रतिवादियों के लिए वकील: एस.शनमुगावेल, अतिरिक्त सरकारी वकील, ए.शाहजहां।

    केस टाइटल: सी मणि बनाम तमिलनाडु सरकार के प्रधान सचिव

    केस नंबर: 2018 का W.P.(MD)No.25304




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