"मीडिया जजों की मौखिक टिप्‍पणियों की रिपोर्टिंग ना करे", चुनाव आयोग ने 'हत्या का मुकदमा चलाने' की ‌टिप्पणी पर मद्रास हाईकोर्ट से अनुरोध किया

LiveLaw News Network

30 April 2021 10:46 AM GMT

  • मीडिया जजों की मौखिक टिप्‍पणियों की रिपोर्टिंग ना करे, चुनाव आयोग ने हत्या का मुकदमा चलाने की ‌टिप्पणी पर मद्रास हाईकोर्ट से अनुरोध किया

    मद्रास उच्च न्यायालय की मौखिक टिप्पणी, जिसमें कोविड-19 की दूसरी लहर के लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार माना गया था, पर चुनाव आयोग ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि मीडिया संस्‍‌थनों को निर्देश जारी किए जाएं कि अपने रिपोर्टों को आदेशों या निर्णयों में दर्ज टिप्पणियों तक सीमित करें और अदालती कार्यवाही के दरमियान की गई मौखिक टिप्पणियों की रिपोर्टिंग से बचें।

    याचिका में ‌मद्रास उच्च न्यायालय की 26 अप्रैल की मौखिक टिप्पणियों के मीडिया कवरेज मुद्दा को विशेष रूप से उठाया गया है, जिसमें न्यायालय ने कहा था कि चुनाव आयोग भारत में कोविड​​-19 की स्थिति के लिए इकलौता जिम्मेदार है और चुनावी रैलियों में आयोग कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन कराने में विफल रहा है, इसलिए इस पर हत्या का मुकदम चलाया जाना चाहिए।

    मामले में तमिलनाडु में मुख्य निर्वाचन अधिकारी, सत्यब्रत साहू ने हलफनामा दायर किया है, जिसमें कहा गया है कि सुनवाई के दरमियान की गई मौखिक टिप्पणियों को उस दिन रिकॉर्ड किए गए आदेश में दर्ज नहीं किया गया था। मामले में तमिलनाडु के करूर निर्वाचन क्षेत्र में मतों की गिनती और COVID-19 प्रोटोकॉल के पालन की प्रक्रिया से संबंधित था। मीडिया र‌िपोर्टों के कारण, टिप्पणी को न्यायालय का विचार माना गया, जबकि कि यह रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया गया था।

    हलफनामे में, चुनाव आयोग ने कहा कि वह अदालत की मौखिक टिप्पणियों के प्रकाशन से व्यथित है और इस तरह के प्रकाशन से आयोग के प्रति गंभीर पूर्वाग्रह पैदा हुआ है। चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि अदालत की टप्‍पणी की मीडिया रिपोर्ट‌िंग के बाद एक चुनाव उप आयुक्त के खिलाफ पुलिस को शिकायत दी गई है, जिसमें हत्या का आरोप लगाया गया है।

    इन रिपोर्टों ने चुनाव आयोग की, स्वतंत्र संवैधानिक निकाय के रूप में छवि को धूमिल किया है...। याचिका में कहा गया है कि मीडिया रिपोर्टों से लोकतंत्र और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में जनता के विश्वास को कम करने का प्रभाव है।

    चुनाव आयोग ने आगे कहा है कि न्यायालय की कार्यवाही, जो रिकॉर्ड में दर्ज न हो, उसे किसी को भी रिपोर्ट करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

    चुनाव आयोग ने दलील दी है कि आयोग के पास उस दिन अदालत के अवलोकन का खंडन करने का मौका नहीं था, और कानून को सामान्य रूप से लागू करने की जिम्‍मेदारी संबंधित राज्य की होती है।

    "चुनाव आयोग केवल वहीं तक राज्य प्रशासन के साथ संबंध रखता है, जहां तक ​​वह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के संचालन की चिंता करता है।"

    यह भी कहा गया है कि कलकत्ता और केरल उच्च न्यायालयों ने महामारी पर अंकुश लगाने के लिए चुनाव आयोग द्वारा उठाए गए कदमों पर संतुष्टि जाहिर की है। इसलिए, चुनाव आयोग का मानना ​​है कि उसके अधिकारी किसी भी तरह से हत्या के दोषी नहीं हैं और न ही आयोग "COVID-19 की दूसरी लहर के लिए इकलौता जिम्मेदार है।

    इस आलोक में, चुनाव आयोग ने प्रार्थना की है-

    -अदालत ने निर्देश दे कि करूर मामला में ‌जो रिकॉर्ड के रूप में दर्ज है, वही प्रेस और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में रिपोर्ट किया जाना चाहिए और इस संबंध में आवश्यक स्पष्टीकरण जारी करने के लिए मीडिया हाउस को और निर्देश जारी किए जा सकते हैं।

    -अदालत ने पुलिस को दे कि अदालत की मौखिक टिप्पणियों पर की गई मीडिया रिपोर्टों के आधार पर हत्या के अपराध के लिए कोई भी एफआईआर दर्ज न करे।

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