मीडिया और सरकारी एजेंसी बिना किसी वजह के नागरिकों के जीवन में ताकझांक नहीं कर सकतीं: केरल हाईकोर्ट

Brij Nandan

21 March 2023 2:34 PM IST

  • मीडिया और सरकारी एजेंसी बिना किसी वजह के नागरिकों के जीवन में ताकझांक नहीं कर सकतीं: केरल हाईकोर्ट

    "मीडिया और सरकारी एजेंसी को बिना किसी वजह के नागरिकों के निजी जीवन में ताकझांक करने का अधिकार नहीं है।"

    ये टिप्पणी केरल हाईकोर्ट ने एक न्यूज चैनल के दो मीडियाकर्मियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए की।

    जस्टिस वीजी अरुण की सिंगल बेंच ने कहा कि कुछ मामलों में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ यानी मीडिया अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर रहा है।

    बेंच ने आगे कहा कि कुछ मीडिया चैनलों को न्यूज से ज्यादा अनैतिक चीजें पब्लिश करने की आदत है। हो सकता है समाज का एक तबका ऐसी सनसनी और गंदी खबरें देखता हो। ऐसे न्यूज को रोकने की कोई व्यवस्था न होने पर खुद न्यूज चैनलों को अपने भीतर झांकना चाहिए। कुछ मीडिया चैनलों की इन हरकतों की वजह से लोकतंत्र के चौथे स्तंभ में लोगों का विश्वास कम हो रहा है।

    अदालत 'भारत लाइव' नाम के एक ऑनलाइन चैनल के दो मीडियाकर्मियों की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिन पर शिकायतकर्ता के खिलाफ अपमानजनक न्यूज पोस्ट करने का आरोप है।

    दरअसल, 'भारत लाइव' चैनल पर एक महिला को अपमानित करती न्यूज चलाने को लेकर इसके मालिक और एक कर्मचारी पर IPC की विभिन्न धाराओं, आईटी एक्ट और एससी-एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ था। महिला खुद भी मीडिया चैनल में काम करती थी। महिला का आरोप था कि राज्य की एक महिला मंत्री का एक मा‌र्फ्ड वीडियो बनाने के लिए उसे उसकी नग्नता की वीडियोग्राफी करने के लिए मजबूर किया गया था।

    चैनल मालिक की गिरफ्तारी के बाद भी ये अपमानजनक वीडियो न्यूज के रूप में दिखाया गया। बता देम, अपीलकर्ता ने अग्रिम जमानत पाने के लिए स्पेशल कोर्ट का रूख किया था। कोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद हाईकोर्ट में अपील की गई थी।

    हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि मीडिया कर्मियों का न्याय के लिए तथाकथित धर्मयुद्ध या व्यक्तिगत प्रतिशोध आम जनता की निजता के अधिकार को बाधित करने का बहाना नहीं हो सकता।

    कोर्ट ने टिप्पणी की कि कुछ मामलों में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ यानी मीडिया अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर रहा है। न्यूज चैनलों का कर्तव्य है कि किसी व्यक्ति के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने और उनके निजी जीवन से जुड़ी वीडियो दिखाने से पहले न्यूज की जांच करें।

    केस टाइटल: सुमेश जीएस @ सुमेश मार्कोपोलो वी केरल राज्य

    साइटेशन: 2023 लाइव लॉ (केरल) 148

    फैसला पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें:




    ReplyForward


    Next Story