मातृत्व अवकाश| मौलिक अधिकार के रूप में मां के समय पर शिशु का दावा उसके निजता और एजेंसी के अधिकार का अतिक्रमण कर सकता है: एमिकस क्‍यूरी ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया

Avanish Pathak

26 May 2022 11:06 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट

    मां से देखभाल के अपने अधिकार को लागू करने की मांग वाली चार महीने के बच्चे की याचिका के संबंध में एमिकस क्यूरी ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि मौलिक अधिकार के रूप में अपनी मां के समय पर शिशु का 'अचेतन दावा' उसकी निजता और एजेंसी के अधिकार का अतिक्रमण कर सकता है।

    मामले में एमिकस क्यूरी एडवोकेट शाहरुख आलम ने उस बच्ची की याचिका में अपना पक्ष रखा, जिसकी मां को उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने मातृत्व अवकाश से वंचित कर दिया था।

    याचिकाकर्ता ने संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 को लागू करते हुए अपने माता-पिता द्वारा देखभाल के अपने अधिकार पर जोर दिया था। दूसरी ओर एनडीएमसी ने केंद्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1972 के नियम 43(1) पर अपने निर्णय के आधार पर कहा कि दो से कम जीवित बच्चों वाली महिला सरकारी कर्मचारी को सक्षम प्राधिकारी द्वारा 180 दिनों की अवधि के लिए मातृत्व अवकाश दिया जा सकता है। चूंकि याचिकाकर्ता तीसरी संतान है, इसलिए उसकी मां को मातृत्व अवकाश से वंचित कर दिया गया।

    मामले में प्र‌िलिमनरी नोट जमा करते हुए, एमिकस क्यूरी ने अदालत को सूचित किया है कि जिस तरह से याचिकाकर्ता द्वारा इस मुद्दे को तैयार किया गया है, वह विशेष रूप से जस्टिस केएस पुट्टुस्वामी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में निर्धारित न्यायशास्त्र के मद्देनजर मां की एजेंसी को सीमित करना चाहता है।

    अदालत को आगे बताया गया है कि याचिका 'मातृत्व अवकाश' को मुख्य रूप से बच्चे के लिए एक कर्तव्य के रूप में और बच्चे में निहित एक समान मौलिक अधिकार, मातृ समय और देखभाल के लिए तैयार करती है। एमिकस क्यूरी ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता के जीवन के अधिकार का मुद्दा, जिस हद तक यह उसकी देखभाल की आवश्यकता से जुड़ा है, को उसके माता-पिता दोनों की संयुक्त जिम्मेदारी के रूप में माना जाना चाहिए।

    एमिकस क्यूरी ने यह भी कहा कि उत्तरदाताओं को स्वच्छ और निजी नर्सिंग स्पेश प्रदान करने का वचन देना चाहिए और अधिनियम कार्यस्थल पर नर्सिंग को प्रोत्साहित करता है, लेकिन क्रेच के प्रावधान के मामले में अंतर है, जो केवल बड़े प्रतिष्ठानों के लिए उपलब्ध हैं।

    एमिकस क्यूरी ने आगे कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन कार्यस्थल पर बच्चों की देखभाल के लिए पर्याप्त और स्वच्छ स्थान की सलाह देता है और यह कि बच्चे के शुरुआती छह महीनों में यह आवश्यक है।

    शुरुआत में, कोर्ट ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम के वकील से सवाल किया कि क्या मां के कार्यस्थल पर ऐसी सुविधा मौजूद है, जिसका जवाब सकारात्मक था। हालांकि, इसकी स्वच्छ स्थिति के बारे में निर्देश प्राप्त करने और एक हलफनामे द्वारा समर्थित उसी की तस्वीरें दाखिल करने के लिए समय मांगा गया था।

    तदनुसार, अदालत ने मामले में जवाबी हलफनामा और प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए प्रत्येक को दो सप्ताह का समय दिया। इस मामले की सुनवाई अब 14 जुलाई को जस्टिस नजमी वजीरी और जस्टिस स्वर्ण कांत शर्मा की खंडपीठ द्वारा की जाएगी।

    केस शीर्षक: XXXXXX बनाम उत्तरी दिल्ली नगर निगम और अन्य।

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