एक साल के भीतर छोड़ दी गई प्रेमिका से शादी करे: बॉम्बे हाईकोर्ट की बलात्कार के आरोपी के लिए जमानत शर्त

Shahadat

17 Oct 2022 3:58 PM IST

  • बॉम्बे हाईकोर्ट, मुंबई

    बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने महिला से बलात्कार करने और उसे छोड़ देने के आरोपी व्यक्ति को इस शर्त पर जमानत दे दी कि वह उससे एक साल के भीतर शादी कर लेगा।

    जस्टिस भारती डांगरे ने पाया कि पीड़िता और आरोपी के बीच सहमति से संबंध थे और जब वह छह महीने की गर्भवती थी तो उस व्यक्ति ने उससे शादी करने से इनकार कर दिया।

    आरोपी ने प्रस्तुत किया कि वह और उसके परिवार के सदस्य शादी करने और बच्चे के पितृत्व को स्वीकार करने के लिए तैयार है। हालांकि, अदालत को बताया गया कि पीड़िता अब लापता है, क्योंकि उस पर बच्चे को छोड़ने का आरोप है।

    जस्टिस डांगरे ने कहा,

    "उपरोक्त परिस्थितियों में मैं इस अनुपालन के अधीन आवेदक को जमानत पर रिहा करना उचित समझती हूं कि यदि कुछ दिनों में पीड़ित लड़की का पता चलता है तो आरोपी एक वर्ष की अवधि के भीतर उससे विवाह करेगा।"

    आरोप पत्र के अनुसार, पीड़िता और आरोपी पड़ोसी थे और अपने परिवार के सदस्यों की सहमति से संबंध में थे। उन्होंने 5-6 बार शारीरिक संबंध बनाए, जिसके बाद उसे पता चला कि वह छह महीने की गर्भवती है।

    पीड़िता का यह मामला है कि आरोपी ने उसे शादी का आश्वासन दिया। हालांकि जब उसने उसे गर्भावस्था के बारे में बताया तो उसने उससे शादी करने से इनकार कर दिया।

    पीड़िता ने 27 जनवरी, 2020 को लड़की को जन्म दिया और तीन दिन बाद बच्चे को चौकीदार के साथ परिसर के सामने छोड़ दिया, यह जानते हुए कि चौकीदार बच्चे को कस्टडी में ले लेगा।

    आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और उस पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376, 366 और 420 के तहत आरोप लगाया गया।

    अपनी जमानत अर्जी में आरोपी ने प्रस्तुत किया कि एफआईआर पीड़िता के बयान के आधार पर दर्ज की गई, जब उसे बच्चा छोड़ने के लिए गिरफ्तार किया गया।

    आवेदन में कहा गया कि पुलिस ने आरोपी के खिलाफ बिना दिमाग लगाए मामला दर्ज किया, भले ही पीड़िता आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं करना चाहती थी।

    अदालत ने कहा कि आरोपी ने अपने हलफनामे में कहा कि वह पीड़िता से शादी करने और बच्चे के पितृत्व को स्वीकार करने के लिए तैयार है। उसके माता-पिता ने उसके बयान की पुष्टि की।

    अदालत को एपीपी रुतुजा अंबेडकर ने सूचित किया हालांकि, मां का पता नही चलने पर बच्चे को पहले ही गोद लिया जा चुका है।

    अदालत ने आगे कहा कि जांच अधिकारी के प्रयासों के बावजूद पीड़ित का पता नहीं चल पाया। अदालत ने कहा कि ऐसा बच्चे को छोड़ने के लिए उसके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला के कारण हो सकता है।

    अदालत ने निर्देश दिया कि आरोपी को इस शर्त पर जमानत पर रिहा किया जा सकता है कि अगर एक साल के भीतर पीड़िता का पता चल जाता है तो वह उससे शादी कर लेगा। हालांकि यह शर्त एक साल बाद लागू नहीं होगी।

    केस नंबर- जमानत आवेदन नंबर 3680/2021

    केस टाइटल- एबीसी बनाम महाराष्ट्र राज्य

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