''वैवाहिक बलात्कार वैवाहिक घर में महिलाओं के खिलाफ होने वाली यौन हिंसा का सबसे बड़ा रूप, जिसकी कोई रिपोर्ट नहीं होती'': वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने दिल्ली हाईकोर्ट में तर्क दिया

LiveLaw News Network

8 Jan 2022 9:48 AM GMT

  • वैवाहिक बलात्कार वैवाहिक घर में महिलाओं के खिलाफ होने वाली यौन हिंसा का सबसे बड़ा रूप, जिसकी कोई रिपोर्ट नहीं होती: वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने दिल्ली हाईकोर्ट में तर्क दिया

    भारत में वैवाहिक बलात्कार के अपराधीकरण की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान शुक्रवार को एक याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि वैवाहिक बलात्कार महिलाओं के खिलाफ होने वाली यौन हिंसा का सबसे बड़ा रूप है, जिसको न तो कभी रिपोर्ट किया जाता है और न ही इसका कोई विश्लेषण या अध्ययन किया गया है।

    याचिकाकर्ता खुशबू सैफी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस सी हरि शंकर की पीठ के समक्ष कहा कि,

    ''यह शायद वैवाहिक घर में महिलाओं के खिलाफ होने वाली यौन हिंसा का सबसे बड़ा रूप है, जो घर की चारदीवारी के भीतर रहता है, जिसका न कोई रिकॉर्ड है,न कोई रिपोर्ट की जाती है और न ही कोई एफआईआर करवाई जाती है। यदि कोई विवाहित पुरुषों और विवाहित महिलाओं की कुल संख्या की गणना करे तो पता चलेगा कि कितनी बार यह बलात्कार एक संस्थागत विवाह के भीतर होता है, यह एक बहुत बड़ा आंकड़ा है जिसकी कभी रिपोर्ट या विश्लेषण या अध्ययन नहीं किया जाता है।''

    उक्त तर्क देते हुए, गोंजाल्विस ने अदालत के समक्ष मामले की तथ्यात्मक पृष्ठभूमि का हवाला दिया और बताया कि याचिकाकर्ता, एक 27 वर्षीय महिला है,जिसके साथ उसके पति ने बेरहमी से बलात्कार किया, जिसके परिणामस्वरूप उसे काफी चोटें आईं।

    गोंजाल्विस ने कहा, ''अक्सर, वैवाहिक बलात्कार के मामले होते हैं, परंतु कोई भी उनकी मदद नहीं करेगा, न ही उनके माता-पिता और न ही पुलिस। पुलिस उन पर हंसेगी कि आप कैसे आ सकते हैं और अपने पति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर सकते हैं।''

    उन्होंने वैवाहिक बलात्कार पर आर बनाम आर के मामले में हाउस ऑफ लॉर्ड के फैसले से शुरू होने वाले विभिन्न अंतरराष्ट्रीय न्यायिक निर्णयों से न्यायालय को अवगत कराया।

    उक्त मामले में, हाउस ऑफ लॉर्ड ने उस पुराने कॉमन लॉ रूल को उलट दिया है जो यह मानता था कि विवाह स्वतः ही संभोग के लिए सहमति देता है और यह माना है कि एक पति को अपनी पत्नी के बलात्कार या बलात्कार के प्रयास का दोषी ठहराया जा सकता है, जहां पत्नी ने संभोग के लिए अपनी सहमति वापस ले ली हो।

    इसके बाद उन्होंने सी.आर बनाम यूनाइटेड किंगडम के मामले का उल्लेख किया, जिसमें यूरोपीय मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि ''एक बलात्कारी, पीड़िता के साथ उसके संबंधों की परवाह किए बिना बलात्कारी ही बना रहता है।''

    गोंजाल्विस ने वैवाहिक बलात्कार पर नेपाल के सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का भी हवाला किया, जिसमें यह कहा गया है कि,''विवाह का मतलब महिलाओं को गुलामों में बदलना नहीं है। इस प्रकार, महिलाएं शादी के कारण अपने मानवाधिकार नहीं खोती हैं। जब तक एक व्यक्ति एक इंसान बनकर रहता है, वह उन जन्मजात और प्राकृतिक मानवाधिकारों को प्रयोग करने का हकदार है। यह कहना कि पति शादी के बाद अपनी पत्नी का बलात्कार कर सकता है, स्वतंत्र अस्तित्व, आत्म-सम्मान के साथ जीने का अधिकार और आत्मनिर्णय के अधिकार से इनकार करना होगा।''

    कॉलिन गोंजाल्विस ने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने संसद को वैवाहिक संबंधों की विशेष स्थिति और पति की स्थिति को ध्यान में रखते हुए वैवाहिक बलात्कार के संबंध में समाधान के रूप में आवश्यक संशोधन करने के लिए एक विधेयक पेश करने का निर्देश दिया है।

    गोंजाल्विस ने कहा,

    ''वे विभिन्न प्रस्तावों का पालन करते हैं। यदि वे पाते हैं कि कोई क़ानून सही नहीं है, तो वे एक उपयुक्त कानून बनाने के लिए संसद को निर्देश जारी करते हैं। भारत यह मान लेता है कि न्यायालय एक उपयुक्त क़ानून को अधिनियमित करने का निर्देश नहीं दे सकते हैं, लेकिन यह एक सार्वभौमिक रूप से पालन की जाने वाली प्रक्रिया नहीं है।''

    कोर्ट सोमवार को भी इस मामले में दलीलें सुनेगा।

    वैवाहिक बलात्कार के खिलाफ यह याचिकाएं गैर सरकारी संगठन आरआईटी फाउंडेशन व अखिल भारतीय लोकतांत्रिक महिला संघ और दो व्यक्तियों द्वारा दायर की गई हैं। इन्होंने भारतीय कानून के उस अपवाद को खत्म करने की मांग की है, जो 15 साल से अधिक उम्र की नाबालिग पत्नी के साथ बनाए गए यौन संबंध को बलात्कार के रूप में नहीं मानता है।

    केस का शीर्षक- आरआईटी फाउंडेशन बनाम यूओआई व अन्य जुड़े हुए मामले

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