कई सीबीआई मामलों में आरोपी बरी हो जाते हैं; विशेषज्ञों और आधुनिक गैजेट्स को शामिल करके जांच में सुधार की जरूरत : मद्रास हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

12 Dec 2020 4:00 AM GMT

  • कई सीबीआई मामलों में आरोपी बरी हो जाते हैं; विशेषज्ञों और आधुनिक गैजेट्स को शामिल करके जांच में सुधार की जरूरत : मद्रास हाईकोर्ट

    Madras High Court

    यह देखते हुए कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच किए गए कई मामलों में अंत में आरोपी बरी हो जाते हैं, मद्रास हाईकोर्ट ने मंगलवार को (08 दिसम्बर) को कहा है कि अब समय आ गया है कि सीबीआई के सामने आने वाली समस्याओं पर गौर किया जाना चाहिए और विशेषज्ञों व आधुनिक उपकरणों को शामिल करके सीबीआई की जांच में सुधार किया जाए।

    न्यायमूर्ति एन किरुबाकरन और न्यायमूर्ति बी पुगलेंधी की खंडपीठ ने आगे कहा कि,

    ''सीबीआई के पास विभिन्न क्षेत्रों में विशेष ज्ञान रखने वाले विशेषज्ञ अधिकारी होने चाहिए, क्योंकि विभिन्न प्रकार के मामलों में विभिन्न क्षेत्र जुड़े होते हैं,जैसे भोपाल गैस त्रासदी, बोफोर्स घोटाला, 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला, कोयला घोटाला, हवाला कांड, फुरलिया आर्मी ड्रापिंग केस, सत्यम स्कैंडल, शारदा चिट स्कैंडल, निठारी हत्याकांड, सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या मामला, ताज कॉरिडोर मामला, व्यापम मामला।''

    महत्वपूर्ण रूप से, अदालत ने कहा कि,

    ''जब केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा जांच कराने के लिए हमेशा एक कोलाहल होता है, तो वह यह कहकर विरोध इसका विरोध नहीं कर सकता कि उसके पास आवश्यक मैन पावर और संसाधन नहीं हैं। उसे इसके लिए अधिकारियों की संख्या बढ़ानी होगी, क्योंकि सीबीआई के पास अधिक संख्या में मामलों को संदर्भित किया जा रहा है।''

    न्यायालय के समक्ष मामला

    एक याचिका दायर की गई थी कि इस मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो को भेज दिया जाए। हालांकि, इस याचिका का विरोध भारत के सहायक सॉलिसिटर जनरल ने यह कहकर किया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो के पास आवश्यक मैन पावर नहीं है।

    इस प्रकार, न्यायालय ने इस मामले को जनहित याचिका की तरह उठाया है ताकि सीबीआई के लिए आधुनिक अवसरंचना सहित अधिक संसाधन और अधिक कार्मिक रखने की आवश्यकता के बारे में निर्णय लिया जा सकें।

    कोर्ट की चिंता

    यह देखते हुए कि सफेदपोश अपराधों, जैसे बैंक अपराधों की जांच मुख्य रूप से केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा की जाती है, खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि,

    ''जब केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा इस तरह के गंभीर मामलों की जांच की जा रही है, उसके बावजूद यह कहा जा रहा है कि सीबीआई राज्य पुलिस, सीआईएसएफ और सीआरपीएफ जैसे कई अन्य स्रोतों से प्रतिनियुक्त होने वाले पुलिस अधिकारियों पर निर्भर करती है और इस बात की संभावना रहती है कि जांच के दौरान जांच अधिकारी अपने मूल बल में वापिस लौट जाएं। यदि यह सच है, तो सीआईएसएफ और सीआरपीएफ के अधिकारियों को जांच का अनुभव नहीं हो सकता है।''

    न्यायालय ने आगे कहा,

    ''सफेदपोश अपराधों, विशेष रूप से, बैंक अपराध, वित्तीय अपराध, बड़ी अहमियत वाले मामलों की जांच करने के लिए सीए, आईसीडब्ल्यूए, एसीएस की योग्यता वाले अधिकारियों की आवश्यकता है। अन्यथा विशेष क्षेत्र में विशेषज्ञता की कमी के कारण जांच का उद्देश्य विफल हो जाएगा।''

    भारत के सहायक सॉलिसिटर जनरल की इस प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए कि केंद्रीय जांच ब्यूरो के पास भर्ती का अपना स्रोत है, न्यायालय ने निम्नलिखित प्रश्न उठाए हैं,जिनके जवाब सीबीआई और केंद्र सरकार को देने हैंः

    (ए) क्या केंद्रीय जांच ब्यूरो अपने अधिकारियों को स्वतंत्र रूप से भर्ती करती है या कुछ अन्य एजेंसियों के माध्यम से भर्ती किया जाता है, विशेष रूप से जांच के लिए?

    (बी) क्यों सीबीआई अपने अधिकारियों की भर्ती नहीं करती और उन्हें स्वतंत्र रूप से प्रशिक्षित करती है?

    (सी) क्या केंद्रीय जांच ब्यूरो जांच के लिए केवल राज्य पुलिस, सीआईएसएफ और सीआरपीएफ जैसी विभिन्न एजेंसियों के पुलिस अधिकारियों पर निर्भर करती है?

    (डी) 2000, 2010, 2015 और आज की तारीख में सीबीआई की मैन पावर क्या है? (कैडर वाइज अर्थात, कांस्टेबल से लेकर उच्च स्तर का विवरण दिया जाए)

    (ई) अधिक मामले को संभालने के लिए सीबीआई में मैन पावर क्यों नहीं बढ़ाई गई?

    (एफ) क्यों सीबीआई सीए,एसीएस,आईसीडब्ल्यूए,साइबर साइंस लाॅ की डिग्री रखने वाले अधिक अधिकारियों की भर्ती नहीं करती है,जबकि सीबीआई अधिक्तर आर्थिक अपराधों से जुड़े मामलों की जांच करती है?

    (जी) क्या केंद्र सरकार द्वारा दिए जाने वाले फंड पर्याप्त है?

    (एच) आधुनिक जांच के लिए और मैन पावर बढ़ाने के लिए क्यों केंद्र सरकार सीबीआई को अधिक फंड आवंटित नहीं करती है?

    (आई) क्या सीबीआई के पास सभी आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध हैं,जिसमें नई दिल्ली में स्थित सेंट्रल फॉरेंसिक साइंसेज लेबोरेटरी में मौजूद आधुनिक गैजेट्स व मशीन भी शामिल है,जैसे कि सीएफएसएल हैदराबाद और सीएफएसएल गुजरात में पहले से उपलब्ध हैं?

    (जे) पिछले 20 वर्षों में कितने मामलों को केंद्रीय जांच ब्यूरो के पास भेजा गया है? (वर्षवार विवरण दिया जाए)

    (के) उन मामलों की स्थिति क्या है? (वर्षवार विवरण दिया जाए)

    (एल) कितने मामलों में अंत में आरोपी बरी हो गए? (वर्षवार विवरण दिया जाए)

    (एम) दोषी ठहराए वाले मामले कितने हैं? (वर्षवार विवरण दिया जाए)

    (एन) सजा की दर क्या है? (वर्षवार विवरण दिया जाए)

    (ओ) सीबीआई द्वारा जांच को समाप्त करने में होने वाली देरी के कारण क्या हैं?

    मामले की अगली सुनवाई अब 14 दिसम्बर 2020 को होगी।

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