"स्पष्ट अवमानना": पटना हाईकोर्ट ने कानून विभाग के दो अधिकारियों को एक लोक अभियोजक की पुनर्नियुक्ति के लिए दिए आदेश की अवहेलना करने पर कड़ी फटकार लगाई
LiveLaw News Network
28 March 2022 5:24 PM IST
पटना हाईकोर्ट ने लोक अभियोजक की पुनर्नियुक्ति संबंधित मामले में बिहार लॉ सेक्रेटरी-इन-चार्ज ज्योति स्वरूप श्रीवास्तव और ज्वाइंट सेक्रेटरी उमेश कुमार शर्मा के खिलाफ आदेश की अवहेलना करने पर सोमवार को अवमानना की कार्यवाही शुरू की।
जस्टिस पीबी बजथरी की एकल पीठ ने सेक्रेटरी ज्योति स्वरूप श्रीवास्तव और ज्वाइंट सेक्रेटरी उमेश कुमार शर्मा, लॉ डिपार्टमेंट, बिहार सरकार को अवमानना कार्यवाही का सामना करने के लिए अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश दिया।
यह मामला 12 दिसंबर, 2021 को पारित कोर्ट के आदेश की अवज्ञा से जुड़ा है, जिसके तहत लॉ डिपार्टमेंट के ज्वाइंट सेक्रेटरी ने एक अंडरटेकिंग दी थी कि याचिकाकर्ता- जय प्रकाश मिश्रा के खिलाफ जारी बर्खास्तगी का आदेश वापस ले लिया जाएगा।
मोतिहारी के तत्कालीन पीपी जय प्रकाश मिश्रा की 2019 में सेवा समाप्त करने से संबंधित मामला, जिसे पीड़ित द्वारा रिट के माध्यम से सरकार की कार्रवाई को चुनौती देने के बाद दिसंबर 2021 में अवैध और अनुचित ठहराया गया था।
तदनुसार, अदालत ने सरकार को मिश्रा को पीपी के रूप में बहाल करने का निर्देश दिया था।
मिश्रा ने इस साल जनवरी में अवमानना का मामला दायर किया था, जबकि लॉ डिपार्टमेंट ने एक सप्ताह के भीतर अदालत के आदेश के बावजूद उनकी सेवा बहाल करने से इनकार कर दिया था।
महाधिवक्ता ने निर्देश पर प्रस्तुत किया कि ज्वाइंट सेक्रेटरी, लॉ डिपार्टमेंट, बिहार सरकार को राज्य सरकार की आक्षेपित कार्रवाई को वापस लेने के संबंध में मुख्य याचिका के निस्तारण के लिए एक अंडरटेकिंग देने के लिए अधिकृत नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि राज्य ने उक्त आदेश के खिलाफ एक पुनर्विचार याचिका दायर की है।
फिर भी, हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार 21.12.2021 के आदेश को क्रियान्वित नहीं करने में अवमानना कर रही है।
कोर्ट ने कहा,
"यह मानकर भी कि 21.12.2021 के आदेश को पुनर्विचार याचिका में वापस लिया गया है, फिर भी 21.12.2021 तक कि बीच की अवधि के संदर्भ में अवमानना की जा रही थी। इस संबंध में सेक्रेटरी और ज्वाइंट सेक्रेटरी, लॉ डिपार्टमेंट, बिहार सरकार के खिलाफ खिलाफ आरोप क्यों ना लगाए जाएं, चूंकि आज की स्थिति में लॉ डिपार्टमेंट के कार्यालय में फाइल लंबित है।"
इससे पहले अदालत ने मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) को कारण बताओ नोटिस भेजा था, जब लॉ डिपार्टमेंट के ज्वाइंट सेक्रेटरी ने कहा था कि मिश्रा की नियुक्ति संबंधी फाइल मुख्यमंत्री की मंजूरी के लिए लंबित है।
याचिकाकर्ता और प्रतिवादियों की दलीलों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने कहा कि अगर अवमानना की कार्रवाई को टालना है तो कोर्ट का आदेश, वैध या अनियमित, इसका पालन किया जाना चाहिए। जब तक न्यायालय का एक आदेश है, जिसमें न केवल पक्षों द्वारा अनुपालन की आवश्यकता होती है, बल्कि तीसरे पक्ष भी कार्यवाही के पक्षकार नहीं थे, लेकिन उन्हें इसका ज्ञान है, वे ऐसे आदेश की अवज्ञा के लिए अवमानना के लिए या उसी के निष्पादन में बाधा डालने के लिए उत्तरदायी होना चाहिए। आदेश वैध है या अनियमित जब तक कि किसी सक्षम न्यायालय द्वारा उस पर रोक लगाने तक आदेश पर रोक नहीं लगाई जाती है, इसका पालन किया जाना चाहिए।
हल्सबरी का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा,
"अदालत को दिए गए एक अंडरटेकिंग का उल्लंघन, जिसके आधार पर न्यायालय किसी विशेष कार्रवाई या निष्क्रियता को मंजूरी देता है, अवमानना माना जाता है। इसलिए न्यायालय के निषेधाज्ञा आदेश की अवज्ञा भी है।"
मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राजीव रंजन और अधिवक्ता सतीश चंद्र मिश्रा पेश हुए। प्रतिवादी की ओर से एजी ललित किशोर एवं अधिवक्ता कुमारी अमृता उपस्थित हुए। अब मामले की सुनवाई 31 मार्च 2022 को होगी।
केस शीर्षक: जय प्रकाश मिश्रा बनाम बिहार राज्य
कोरम: जस्टिस पीबी बजथरी
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