''अगर पीड़िता धर्म परिवर्तन करती है तो आरोपी व्यक्ति शादी करने को तैयार है, शादी का कोई झूठा वादा नहीं किया गया'': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलात्कार के आरोपी को जमानत दी

LiveLaw News Network

18 Sep 2021 5:45 AM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उस आरोपी जावेद आलम को जमानत दे दी है, जिस पर शादी के झूठे वादे पर पीड़िता के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करने का आरोप लगाया गया है। हाईकोर्ट ने पाया कि अगर पीड़िता धर्म परिवर्तन करती है तो आरोपी व्यक्ति शादी करने को तैयार है।

    न्यायमूर्ति आलोक माथुर की खंडपीठ ने यह टिप्पणी आलम की जमानत याचिका पर सुनवाई करने के बाद की। आलम के खिलाफ पीड़ित महिला के पिता द्वारा एफआईआर दर्ज करवाई गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उसने पीड़िता पर यह शर्त रखी कि वह अपना धर्म बदल ले और उसके बाद ही वह उससे शादी करेगा और इसलिए भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

    आगे यह प्रस्तुत किया गया कि शुरू में शादी के वादे पर पीड़िता के साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए गए और बाद में, आवेदक ने एक शर्त रखी दी कि पीड़िता को अपना धर्म बदलना चाहिए, उसके बाद ही आवेदक पीड़िता से शादी करेगा।

    यह भी कहा गया कि आवेदक ने पीड़िता से शादी करने से इनकार किया और इसलिए, आईपीसी की धारा 376 के तहत अपराध बनता है।

    दूसरी ओर, आरोपी के वकील ने प्रस्तुत किया कि आईपीसी की धारा 376 के तहत कोई अपराध नहीं बनता है क्योंकि पीड़िता की सहमति प्राप्त करने में कोई धोखाधड़ी नहीं की गई है।

    अंत में यह तर्क दिया गया कि आवेदक अभी भी पीड़िता से शादी करने के लिए तैयार है लेकिन केवल शर्त यह है कि पीड़िता को अपना धर्म बदलना पड़ेगा।

    न्यायालय की टिप्पणियां

    अदालत ने शुरूआत में कहा कि आवेदक और पीड़िता ने सहमति से शारीरिक संबंध बनाए और यह संबंध आवेदक द्वारा पीड़िता को दिए गए विवाह के वादे पर आधारित थे।

    इसके अलावा, अदालत ने कहा कि जब आवेदक ने पीड़िता से अपना धर्म बदलने के लिए कहा,तभी प्राथमिकी दर्ज करवाई गई,जो यह कहते हुए दर्ज करवाई गई है कि पीड़िता की सहमति धोखाधड़ी से प्राप्त की गई थी।

    इसलिए, वर्तमान मामले के तथ्यात्मक मैट्रिक्स पर विचार करते हुए, अदालत ने कहा किः

    ''...ऐसा लगता है कि अगर पीड़िता धर्म परिवर्तन करती है तो आरोपी व्यक्ति शादी करने को तैयार है यहां तक कि जांच के दौरान दर्ज किए गए पीड़िता के बयान को देखने के बाद भी इस बात में कोई संदेह नहीं है कि आवेदक ने पीड़िता से शादी करने से इनकार किया है तो उसका कारण यह है कि उसने धर्म परिवर्तन के बारे में एक शर्त लगाई है।''

    न्यायालय ने आगे कहा कि इस स्तर पर, यह नहीं कहा जा सकता है कि शारीरिक संबंध स्थापित करने की सहमति शादी के झूठे वादे पर ली गई थी और परिणामस्वरूप, सहमति आईपीसी की धारा 90 के प्रावधान से प्रभावित हुई है।

    इसलिए, इस तथ्य पर विचार करते हुए कि आवेदक और पीड़िता दोनों बालिग हैं और पिछले डेढ़ साल से दोनों के बीच शारीरिक संबंध हैं और तत्काल मामले के अजीबोगरीब तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, न्यायालय ने माना कि सहमति प्रथम दृष्टया धोखाधड़ी से प्राप्त नहीं की गई है। ऐसे में आवेदक को जमानत का हकदार पाया गया।

    केस का शीर्षक -जावेद आलम बनाम उत्तर प्रदेश राज्य

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