बॉम्बे हाईकोर्ट में पति ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की, पत्नी को उसके माता-पिता की कस्टडी से रिहा कराने की मांग की, पुलिस की मिलीभगत का आरोप लगाया

Shahadat

13 Jun 2023 10:18 AM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट में पति ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की, पत्नी को उसके माता-पिता की कस्टडी से रिहा कराने की मांग की, पुलिस की मिलीभगत का आरोप लगाया

    Bombay High Court

    बॉम्ब हाईकोर्ट के समक्ष एक व्यक्ति ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर अपनी पत्नी की कस्टडी की मांग की है, जिसे कथित तौर पर उसके परिवार द्वारा हिरासत में लिया गया और राजस्थान ले जाया गया।

    जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस गौरी गोडसे की खंडपीठ ने सोमवार को मीरा रोड स्थित नया नगर पुलिस थाने को अपनी पत्नी को 20 जून को अदालत में पेश करने का निर्देश दिया।

    याचिका में कहा गया कि दंपति 2017 से एक-दूसरे को जानते हैं। याचिकाकर्ता ने उससे शादी करने के लिए इस्लाम से हिंदू धर्म अपना लिया।

    याचिका के अनुसार, इस जोड़े ने 26 फरवरी, 2022 को मुंबई के बांद्रा पश्चिम में विश्वेश्वर मंदिर में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार शादी की और 8 जुलाई, 2022 को बीएमसी में शादी का रजिस्ट्रेशन कराया। हालांकि, शादी के बाद वे अपने माता-पिता के साथ रहे थे।

    याचिका में कहा गया कि 8 फरवरी, 2023 को पत्नी ने पति को फोन कर बताया कि उसके घरवाले उसे प्रताड़ित कर रहे हैं; जिसके बाद वह उसके साथ रहने आ गई। याचिका में दावा किया गया कि कुछ दिनों बाद मालवानी पुलिस स्टेशन के दो कांस्टेबल उनके घर आए और पति को नया नगर पुलिस स्टेशन में पेश होने के लिए।

    वे शादी के सारे कागजात लेकर थाने पहुंचे। याचिका के अनुसार, पत्नी के पिता ने पुलिस को गुमशुदगी की शिकायत दी थी, लेकिन उसने हस्तलिखित पत्र सौंपा, जिसमें लिखा था कि गुमशुदगी की शिकायत झूठी है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारी ने उसके खिलाफ एफआईआर से बचने के लिए उसे अपनी पत्नी को उसके पिता के साथ भेज दिया।

    याचिका के अनुसार, अपनी पत्नी के साथ उनका आखिरी संवाद 25 फरवरी, 2023 को हुआ था, जब उसे पता चला कि उन्हें राजस्थान में उसके गृहनगर ले जाया गया। याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने नया नगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई कि उसकी पत्नी को उसके परिवार के सदस्यों ने अवैध रूप से हिरासत में रखा है।

    मार्च 2023 में उसे अपनी पत्नी से कानूनी नोटिस मिला, जिसमें कहा गया कि उनकी शादी अवैध है। मैरिज सर्टिफिकेट कैंसल करने के लिए बीएमसी को नोटिस भी भेजा गया। याचिकाकर्ता का दावा है कि उसकी पत्नी के हस्ताक्षर या पूर्व में पुलिस को दिए गए हस्तलिखित पत्र और कानूनी नोटिस पर हस्ताक्षर मेल नहीं खाते हैं।

    उन्होंने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष सीआरपीसी की धारा 97 और 98 के तहत निजी शिकायत भी दर्ज की है, जो याचिका के अनुसार लंबित है।

    उसने आरोप लगाया कि 13 मई, 2023 को नया नगर पुलिस के पुलिस अधिकारी ने जबरदस्ती बताते हुए पत्र में उसका हस्ताक्षर लिया, जिसमें लिखा था कि उसकी पत्नी का अपहरण नहीं हुआ है और वह अपनी दादी को देखने के लिए अपने मूल स्थान पर गई है।

    इस प्रकार, उसने अपनी पत्नी की कस्टडी के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उसने थाना प्रभारी, नया नगर पुलिस थाने और मालवानी पुलिस थाने को यह निर्देश देने के लिए तलाशी वारंट जारी करने की मांग की है कि वे उसकी पत्नी को अदालत में पेश करें और फिर उसे उसके हवाले कर दें।

    उसने अपनी पत्नी के माता-पिता को उसे अदालत में पेश करने और फिर उसे वापस करने का निर्देश देने की भी मांग की।

    उसने आगे अपनी पत्नी की स्वतंत्रता की तत्काल बहाली और आवश्यक बल का उपयोग करके इस तरह के आदेश के अनुपालन के लिए आदेश मांगा है।

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