29 साल से जेल में बंद व्यक्ति का मामला : कलकत्ता हाईकोर्ट ने अधिकारियों को रेमिशन आवेदन को 45 दिनों के भीतर निपटाने का निर्देश दिया
LiveLaw News Network
20 April 2021 4:58 PM IST
कलकत्ता हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में कहा कि सरकार सहित विभिन्न प्राधिकरणों, दोषी ठहराने वाली अदालतों और कन्फर्मिंग कोर्ट को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के मद्देनजर जल्द-से-जल्द रेमिशन एप्लिकेशन (जेल में रहने की अवधि में कटौती हेतु आवेदन) पर फैसला करना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश थोथाथिल बी. राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ एक अपीलकर्ता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो अब तक 29 साल से अधिक की सजा काट चुका है। याचिकाकर्ता को अलग-अलग मामलों में सजा सुनाई गई है।
कोर्ट के समक्ष मामला
आजीवन कारावास की सजा काट रहा अपीलकर्ता ने समय से पहले रिहाई के लिए आवेदन किया था, जिसे सरकार द्वारा कुछ पुलिस इनपुट के आधार पर देखा गया।
हालांकि अंत में अपीलकर्ता के आवेदन को खारिज कर दिया गया और इसके बाद याचिकाकर्ता / अपीलकर्ता ने याचिका खारिज करने के फैसले के खिलाफ एकल न्यायाधीश के समक्ष चुनौती दी।
सिंगल बेंच के समक्ष उसकी मूलभूत दलील यह थी कि इस मामले में सह-अभियुक्तों को पहले ही रिहा किया जा चुका है। हालांकि सिंगल जज ने इस दलील को अस्वीकार किया और अपीलकर्ता की याचिका को खारिज कर दिया।
डिवीजन बेंच के समक्ष मामला
कोर्ट ने मामले और शिकायत की प्रकृति पर गौर करने के बाद कहा कि यदि अपीलकर्ता सीआरपीसी की धारा 432 के प्रावधान के संदर्भ में सजा को कम करने के लिए रेमिशन का आवेदन करता है तो उसके संदर्भ में आवश्यक कार्यवाही की जाए।
कोर्ट ने विशेष रूप से कहा कि,
" सीआरपीसी की धारा 432 के तहत सजा के लिए रेमिशन आवेदन पर विचार करने की प्रक्रिया दी गई है और सीआरपीसी की धारा 432 स्वयं में एक संहिता का गठन करती है।"
कोर्ट ने महत्वपूर्ण रूप से कहा कि,
"हम इस विचार पर हैं कि सीआरीपीसी की धारा 432 के तहत एक आवेदन को लंबे समय तक लंबित नहीं रखा जा सकता। यदि कोई व्यक्ति सीआरपीसी की धारा 432 के संदर्भ में रेमिशन के रूप में सजा में राहत पाने का हकदार है, तो उस आवेदन पर कम से कम अवधि और सबसे प्रारंभिक समय के भीतर विचार किया जाना चाहिए।"
कोर्ट ने नतीजतन अपीलकर्ता को पश्चिम बंगाल सरकार के सक्षम प्राधिकारी के समक्ष सजा से राहत पाने के लिए रेमिशन का आवेदन करने की स्वतंत्रता दी। इसके साथ ही कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि सीआरपीसी की धारा 432 के संदर्भ में प्रक्रिया का पालन करें और सक्षम प्राधिकारी के माध्यम से अंतिम निर्णय लिया जाए।
कोर्ट ने इसके अतिरिक्त संबंधित सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे इस तरह के किसी भी आवेदन को प्राथमिकता दें और ऐसे आवेदन को प्राप्त होने की तिथि से 45 दिनों के भीतर उसका निपटारा करें और सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्णय की एक प्रति प्रदान की जाए।
कोर्ट द्वारा अंत में सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किए गए आदेश को याचिकाकर्ता और सुधार गृह के अधीक्षक को सूचित करने का निर्देश दिया गया (आदेश की तारीख से एक सप्ताह के भीतर)।
कोर्ट ने उपरोक्त निर्देशों के साथ अपील का निपटारा किया।
केस टाइटल: गोपाल सरकार बनाम पश्चिम बंगला राज्य और अन्य [ M.A.T. No.252 of 2021 With C.A.N.1 of 2021]