समलैंगिक विवाह का पंजीकरण या तो धर्म-तटस्थ या केवल धर्मनिरपेक्ष कानून के तहत हो: दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका

LiveLaw News Network

3 Dec 2021 3:40 PM IST

  • समलैंगिक विवाह का पंजीकरण या तो धर्म-तटस्थ या केवल धर्मनिरपेक्ष कानून के तहत हो: दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका

    हिंदू विवाह अधिनियम, 1956 के तहत LGBTQIA जोड़े के विवाह के पंजीकरण के लिए दायर एक याचिका में हस्तक्षेप के लिए सेवा न्याय उत्थान फाउंडेशन नामक एक एनजीओ ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की। एडवोकेट शशांक शेखर झा के माध्यम से दायर आवेदन में कहा गया है कि समलैंगिक विवाह के संबंध में हिंदू विवाह अधिनियम के तहत अनुमोदन, और भारत में मौजूद अन्य धर्मों के व्यक्तिगत कानूनों में ऐसा नहीं करना, एलजीबीटी कम्यूनिटी के साथ भेदभाव होगा।

    याचिका में प्रार्थना की गई है कि विवाह को या तो धर्मनिरपेक्ष कानून, जैसे कि विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकृत होना चाहिए या मुस्लिम विवाह कानून और सिख आनंद विवाह अधिनियम जैसे सभी धार्मिक कानूनों के तहत अनुमति दी जानी चाहिए।

    याचिका में यह भी कहा गया है कि हिंदू धर्म के अनुसार, विवाह अनुबंध नहीं बल्कि एक धार्मिक गतिविधि है। हिंदू विवाह अधिनियम के साथ किसी भी प्रकार के छेड़छाड़ का प्रयास...धर्मनिरपेक्ष राज्य द्वारा हिंदुओं के धार्मिक अधिकारों में प्रत्यक्ष घुसपैठ होगा..।

    याचिका में कहा गया है,

    " हिंदू विवाह अधिनियम, 1956 के तहत समलैंगिक विवाह न केवल हिंदू विवाह की धार्मिक व्यवस्था के खिलाफ है, बल्कि बिना किसी कारण के अचानक परिवर्तन का कार्य भी है। यह परिवर्तन विरासत, दत्तक ग्रहण‌ जैसे अन्य पहलुओं और हिंदू समाज की धार्मिक पारिस्थितिकी को भी प्रभावित करेगा।"

    याचिका में जोड़ा गया है,

    "हिंदू विवाह अधिनियम, 1956 के तहत इस प्रकार के विवाह को वैध बनाना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत चेतना और स्वतंत्र पेशे, अभ्यास और प्रचार की स्वतंत्रता, धर्म की गारंटी के खिलाफ है।"

    हस्तक्षेपकर्ता ने कहा है कि इस प्रकार के विवाह को हिंदू विवाह अधिनियम के अलावा किसी अन्य अधिनियम जैसे विशेष विवाह अधिनियम और विदेशी विवाह अधिनियम के तहत पंजीकृत किया जाता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी।"

    अगर इसे हिंदू विवाह अधिनियम के तहत पंजीकृत किया जाता है तो यह सभी धर्मों के साथ होना चाहिए।"

    आवेदन का उल्‍लेखन चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की पीठ के समक्ष किया गया है। इसे मुख्य याचिका के साथ तीन फरवरी को सुनवाई के लिए पोस्ट किया गया है।

    हाईकोर्ट को समलैंगिक विवाहों की मान्यता और पंजीकरण से संबंधित मामले में कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की मांग संबंध‌ित एक आवेदन पर भी फैसला करना है।

    इससे पहले, केंद्र ने दावा किया था कि जैविक पुरुष और जैविक महिला के बीच विवाह की अनुमति है। उसने तर्क दिया था कि नवतेज सिंह जौहर बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले के बारे में याचिकाकर्ताओं की गलत धारणा है। उक्त मामले में वयस्कों के बीच निजी तौर पर समलैंगिक यौन कृत्यों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है।

    याचिका के बारे में

    अभिजीत अय्यर मित्रा की ओर से दायर याचिका में हिंदू विवाह अधिनियम के तहत LGBTQIA जोड़ों के विवाह के पंजीकरण की मांग की गई है। यह तर्क दिया गया है कि हिंदू विवाह अधिनियम की भाषा लिंग-तटस्थ है, और यह समान लिंगी जोड़ों के विवाह को स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित नहीं करता है।

    तर्क दिया गया है कि किसी भी स्पष्ट निषेध के अभाव में, समलैंगिक जोड़ों के विवाह को हिंदू विवाह अधिनियम के साथ-साथ विदेशी विवाह अधिनियम के तहत पंजीकृत करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

    अन्य याचिकाएं

    डॉ कविता अरोड़ा, ओसीआई कार्ड धारक जॉयदीप सेनगुप्ता और उनके साथी रसेल ब्लेन स्टीफेंस, ज़ैनब पटेल और निबेदिता दत्ता ने भी इसी प्रकार की याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर की हैं।

    डॉ. अरोड़ा की याचिका में दक्षिण पूर्वी दिल्ली के विवाह अधिकारी को विशेष विवाह अधिनियम के तहत उनकी साथी के साथ उनकी शादी को संपन्न कराने का निर्देश जारी करने की मांग की गई है। उनका मामला है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत विवाह के लिए साथी चुनने का मौलिक अधिकार समान-लिंगी जोड़ों को भी है।

    जॉयदीप सेनगुप्ता और उनके साथी रसेल ब्लेन स्टीफेंस की याचिका में यह घोषणा करने की प्रार्थना की गई कि "एक भारतीय नागरिक या ओसीआई कार्डधारक के विदेशी मूल के पति या पत्नी आवेदक पति या पत्नी के जेंडर, सेक्स या सेक्‍सुअल ओरिएंटेशन की परवाह किए बिना नागरिकता अधिनियम के तहत ओसीआई के रूप में पंजीकरण के लिए आवेदन करने के हकदार हैं।"

    जैनब पटेल ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के विवाह को वैध बनाने के लिए कोर्ट से संपर्क किया है। निबेदिता दत्ता और उनके साथी की याचिका में समलैंगिक जोड़ों के विवाह की मान्यता और पंजीकरण की मांग की गई है।

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