"हर व्यस्क व्यक्ति के पास जीवन साथी चुनने का मौलिक अधिकार": उत्तराखंड हाईकोर्ट ने समलैंगिक जोड़े को सुरक्षा प्रदान की
LiveLaw News Network
20 Dec 2021 11:01 AM IST
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते एक समलैंगिक जोड़े को लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के दौरान राज्य पुलिस को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने पुलिस को यह देखने का भी निर्देश दिया कि समाज के हर व्यस्क व्यक्ति को अपने परिवार के विरोध के बावजूद अपना जीवन साथी चुनने का मौलिक अधिकार है।
मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ रोहित सागर और मोहित गोयल नाम के एक समलैंगिक जोड़े की दायर एक याचिका पर विचार कर रही थी। उक्त जोड़ा लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहा है। जोड़े ने जीवन भर साथ रहने का फैसला किया है।
अदालत के समक्ष दायर याचिका में कहा गया कि कि प्रतिवादी नंबर चार से आठ, जो याचिकाकर्ता नंबर एक और दो के माता-पिता हैं, ने कभी भी इस रिश्ते को स्वीकार नहीं किया। इसलिए, दोनों परिवार लगातार याचिकाकर्ताओं को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दे रहे हैं।
उन्होंने न्यायालय के समक्ष यह भी प्रस्तुत किया कि कहने के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, जिला उधम सिंह नगर और एसएचओ, पी.एस. 2 रुद्रपुर ने याचिकाकर्ताओं के जीवन और संपत्ति की रक्षा के लिए कोई कार्रवाई नहीं की।
इसे देखते हुए कोर्ट ने आदेश दिया:
"निस्संदेह हर व्यस्क व्यक्ति को परिवार के सदस्यों द्वारा विरोध किए जाने के बावजूद भी अपना जीवन साथी चुनने का मौलिक अधिकार है। इसलिए, प्रतिवादी नंबर चार और आठ को धमकी देने या चोट पहुंचाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।"
कोर्ट ने प्रतिवादी नंबर दो वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, जिला उधमसिंह नगर को याचिकाकर्ताओं को तुरंत पुलिस सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया।
अदालत ने आगे कहा,
"सुरक्षा न केवल उनके जीवन के लिए होगी, बल्कि उनकी संपत्ति की रक्षा के लिए भी होगी, यदि कोई है तो।"
अंत में प्रतिवादी नंबर चार से आठ को विज्ञापन नोटिस जारी करते हुए अदालत ने नोटिस को चार सप्ताह के भीतर वापस करने योग्य बना दिया। इस बीच, राज्य के उप महाधिवक्ता ने जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा।
इसलिए, उन्हें निजी प्रतिवादियों के खिलाफ पुलिस द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में अदालत को सूचित करने का निर्देश दिया गया।
ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें