"बाइक व्लॉगर्स" आरटीओ परमिट के बिना मोडिफाइड बाइक का उपयोग करते हैं, रैश ड्राइविंग में लिप्त होते हैं: मद्रास हाईकोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी किया

Shahadat

28 Nov 2022 10:34 AM GMT

  • बाइक व्लॉगर्स आरटीओ परमिट के बिना मोडिफाइड बाइक का उपयोग करते हैं, रैश ड्राइविंग में लिप्त होते हैं: मद्रास हाईकोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी किया

    मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को वकील की उस याचिका पर राज्य से जवाब मांगा, जिसमें बाइक चलाने वालों के खिलाफ नियम और कानून बनाने की मांग की गई है, जो तमिलनाडु राज्य में क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) के बिना सार्वजनिक स्थानों पर अपनी बाइक तेजी से और खतरनाक तरीके से चलाते हैं।

    एक्टिंग चीफ जस्टिस टी राजा और जस्टिस डी कृष्णकुमार की पीठ ने स्टेटस रिपोर्ट मांगी और राज्य को चार सप्ताह के लिए नोटिस पर जवाब देने का आदेश दिया।

    पेशे से वकील याचिकाकर्ता एम विग्नेश ने अपने हलफनामे में कहा कि तमिलनाडु राज्य में पिछले पांच वर्षों में तेज और लापरवाही से ड्राइविंग के मामलों में भारी वृद्धि देखी गई। याचिकाकर्ता के अनुसार, इसका कारण राज्य में रेसिंग और रैश ड्राइविंग कल्चर है, जहां बाइक सवार सार्वजनिक सड़कों पर खतरनाक स्टंट कर रहे हैं।

    याचिकाकर्ता ने कहा कि बाइक व्लॉगर्स विशेष रूप से एथिकल रेसिंग के लिए आवंटित विशेष रेसिंग ट्रैक के बजाय रेसिंग और रैश ड्राइविंग के लिए राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों का उपयोग कर रहे हैं। इन व्लॉगर्स ने फिर सोशल मीडिया पर वीडियो को व्यूज, लाइक और अन्य मौद्रिक लाभों के लिए पोस्ट किया। इसने बदले में युवाओं को इस गतिविधि में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। इस कारण राहगीर व अन्य वाहन चालक दुर्घटना का शिकार हो गए।

    याचिकाकर्ता ने यह भी प्रस्तुत किया कि ये मोटर व्लॉगर्स आरटीओ से आवश्यक अनुमति प्राप्त किए बिना संशोधित बाइक का उपयोग कर रहे हैं। बाइक की संरचना में यह बदलाव बाइक के तकनीकी प्रदर्शन को भी प्रभावित करेगा। इसके परिणामस्वरूप दुर्घटनाएं होंगी। इसके अलावा, ये बाइकर्स बाइक के मॉडिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं और बिना किसी चेतावनी के खतरनाक स्टंट दिखा रहे हैं।

    चूंकि वर्तमान में बाइक व्लॉगर्स की संख्या काफी कम है, इसलिए याचिकाकर्ता ने सख्त कार्रवाई की मांग की, ताकि इनसे छुटकारा पाना आसान हो सके। हालांकि, राज्य सरकार को ज्ञापन देने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। ऐसे में याचिकाकर्ता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट मोहनकृष्णन पेश हुए।

    केस टाइटल: एम विग्नेश बनाम मुख्य सचिव और अन्य

    केस नंबर : डब्ल्यूपी नंबर 31735/2022

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