मद्रास हाईकोर्ट ने मेडिको-कानूनी दस्तावेजों के डिजिटलीकरण के लिए याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा
Shahadat
3 Oct 2022 5:01 PM IST
मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, दुर्घटना/चोट रिपोर्ट आदि सहित कानूनी महत्व वाले मेडिकल रिकॉर्ड के कम्प्यूटरीकरण की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा।
एक्टिंग चीफ जस्टिस टी राजा और जस्टिस डी कृष्णकुमार की पीठ के समक्ष यह मामला आया।
याचिकाकर्ता डॉ मोहम्मद खादर मीरन ने प्रस्तुत किया कि मेडिको लीगल एग्जामिनेशन एंड पोस्टमॉर्टम रिपोर्टिंग (मेडलीपीआर) नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर है, जो विभिन्न मेडिको-लीगल रिपोर्ट और सर्टिफिकेट डिजिटल रूप से जारी करता है और एन्क्रिप्टेड फॉर्म डेटा को क्लाउड स्टोरेज में स्टोर करता है। इस सॉफ्टवेयर का उपयोग वर्तमान में देश के कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा किया जा रहा है।
मद्रास हाईकोर्ट ने भी 1 जनवरी, 2021 तक तमिलनाडु राज्य में इस सॉफ्टवेयर को लागू करने का निर्देश दिया। भले ही एक साल से अधिक समय बीत चुका हो, लेकिन इसे लागू करने के लिए किसी भी प्राधिकरण द्वारा कोई प्रयास नहीं किया गया, लेकिन यह औसत है। याचिकाकर्ता ने कहा कि राज्य में कोई मानक प्रोफार्मा मौजूद नहीं है।
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि वर्तमान प्रोफार्मा समीरा कोहली बनाम डॉ. प्रभा मनचंदा और अन्य, 2004 की सिविल अपील संख्या 1949 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं है।
याचिकाकर्ता ने यह भी प्रस्तुत किया कि चोट की रिपोर्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट (विसरा/रासायनिक विश्लेषण रिपोर्ट सहित), यौन उत्पीड़न की जांच की रिपोर्ट, आयु अनुमान रिपोर्ट जैसे दस्तावेजों का कानूनी महत्व है। इसलिए, यदि इन्हें कम्प्यूटरीकृत किया जाता है तो यह अस्पताल प्रशासन, सरकारों और न्यायपालिका की दक्षता में भी वृद्धि करेगा।
इस प्रकार, याचिकाकर्ता ने अदालत से सभी सरकारी अस्पतालों में इस सॉफ्टवेयर को लागू करने के निर्देश देने की मांग की।
केस टाइटल: डॉ. मोहम्मद खादर मीरान ए.एस. बनाम तमिलनाडु राज्य
केस नंबर: डब्ल्यू.पी. (एमडी) नंबर 22823/2022