मद्रास हाईकोर्ट ने अदालत में झूठा हलफनामा दायर करने के लिए याचिकाकर्ता के खिलाफ पुलिस जांच के आदेश दिए

Shahadat

8 Dec 2022 11:03 AM IST

  • God Does Not Recognize Any Community, Temple Shall Not Be A Place For Perpetuating Communal Separation Leading To Discrimination

    मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में संयुक्त रजिस्ट्रार मूल पक्षकार को याचिकाकर्ता के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज करने का निर्देश दिया, जिसने झूठे हलफनामे और अन्य दस्तावेजों के साथ अदालत का दरवाजा खटखटाया।

    हाईकोर्ट ने कहा कि मेरा मानना है कि यहां याचिकाकर्ता जानबूझ कर झूठे बयान के साथ अदालत में आया और इस अदालत के समक्ष झूठे बयान के साथ हलफनामा पेश करने के लिए उसके खिलाफ हाईकोर्ट द्वारा आपराधिक कार्यवाही शुरू करने के लिए आवश्यक प्रक्रिया जारी की जानी चाहिए।

    जस्टिस सीवी कार्तिकेयन ने उपरोक्त निर्देश यह देखने के बाद दिया कि याचिकाकर्ता ने झूठे डेथ सर्टिफिकेट, झूठे कानूनी उत्तराधिकार प्रमाण पत्र, झूठे हस्ताक्षर के साथ झूठी वसीयत बनाई, जो सभी स्पष्ट रूप से झूठे हैं और इस प्रकार याचिकाकर्ता ने अदालत के न्याय प्रवाह को प्रभावित करने की कोशिश की।

    आगे की पूछताछ के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि याचिकाकर्ता ने फर्जी डेथ सर्टिफिकेट बनाकर, झूठे कानूनी उत्तराधिकार प्रमाण पत्र बनाकर, झूठी वसीयत बनाकर, उक्त वसीयत पर झूठे हस्ताक्षर बनाकर जालसाजी का कार्य किया। ऐसा अन्य लोगों को अनुप्रमाणक के रूप में कार्य करने और ऐसे दस्तावेज दाखिल करने के लिए प्रभावित करके बनाया गया और आगे दावा किया गया कि उक्त दस्तावेज का मूल नामतः मूल रजिस्टर्ड वसीयतनामा मद्रास हाईकोर्ट में दायर किया गया।

    याचिकाकर्ता करुण्यम मिशन ट्रस्ट के ट्रस्टी ने 2019 में एकल न्यायाधीश द्वारा दिए गए प्रोबेट का आदेश रद्द कराने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिसमें अदालत ने 2018 में मृतक गणपति की वसीयत को उसकी बहन को दी थी।

    याचिकाकर्ता ने दावा किया कि गणपति ने 2003 में स्वेच्छा से करुण्यम मिशन (ट्रस्ट) के नाम पर अपनी संपत्ति को स्वेच्छा से निष्पादित किया। उन्होंने यह भी दावा किया कि वसीयत सब रजिस्ट्रार, पेरियामेट, चेन्नई के पास रजिस्टर्ड है।

    वसीयत के हितग्राहियों को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने सब-रजिस्ट्रार के ऑफिस में पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि ऐसा कोई दस्तावेज मौजूद ही नहीं है। अदालत ने यह भी नोट किया कि हालांकि याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के साथ मूल वसीयत दायर करने का दावा किया, जबकि ऐसा कोई दस्तावेज कभी दर्ज नहीं किया गया।

    इस पर अदालत ने याचिकाकर्ता के खिलाफ पुलिस जांच का आदेश दिया।

    केस टाइटल: करुण्यम मिशन (ट्रस्ट) प्रतिनिधि ट्रस्टी बनाम एच गणपति और अन्य

    साइटेशन: लाइवलॉ (Mad) 499/2022

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