मद्रास हाईकोर्ट ने मंदिर में दो संप्रदायों को पाठ करने की अनुमति देने वाले सिंगल जज के आदेश पर रोक लगाई

Avanish Pathak

21 May 2022 8:43 AM GMT

  • मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सिंगल जज के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें दो संप्रदायों- तेंगलाई संप्रदाय और वडागलाई संप्रदाय को कांचीपुरम के देवराजस्वामी मंदिर में श्रीशैला दयापथरम नाम के प्रारंभिक पाठ का जाप करने की अनुमति दी गई थी।

    सिंगल जज ने एक रिट याचिका में आदेश पारित किया था जिसमें पूजा और अनुष्ठानों के पालन सहित मंदिर की गतिविधियों को विनियमित करने वाले अरुल्मिघु देवराजस्वामी थिरुकोविल के सहायक आयुक्त/ कार्यकारी ट्रस्टी द्वारा जारी नोटिस की वैधता पर सवाल उठाया गया था। कार्यकारी न्यासी ने अपने आदेश में केवल तेंगलाई संप्रदाय को पाठ करने की अनुमति दी थी, जिसे चुनौती दी गई थी।

    जब अपील सुनवाई के लिए आई, तो जस्टिस आर महादेवन और जस्टिस जी के इलांथिरैया की पीठ को सूचित किया गया कि संप्रदायों के बीच विवादों के संबंध में अन्य मामले हाईकोर्ट की विभिन्न पीठों के समक्ष लंबित हैं। इसलिए अदालत ने कहा कि इन सभी जुड़े मामलों को एक साथ सुनने की जरूरत है और रजिस्ट्री को सभी मामलों को गर्मी की छुट्टियों के बाद पोस्ट करने का निर्देश दिया।

    अपीलकर्ताओं (तेंगलाई संप्रदाय) ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि तेंगलाई संप्रदाय को जप करने का विशेष अधिकार था और इस स्थिति को 1915 में हाईकोर्ट के फैसले से पुख्ता किया गया था। अपीलकर्ताओं ने अदालत को सूचित किया कि वडागलाई संप्रदाय ने पहले इसी तरह की राहत के लिए एक और मुकदमा दायर किया था, जिसे हाईकोर्ट ने वर्ष 1969 में खारिज कर दिया था।

    अपीलकर्ताओं ने प्रस्तुत किया कि हाईकोर्ट ने 1915 में विशेष रूप से यह व्यवस्था दी थी कि पूजा की अवधि के दौरान, यानी पूजा शुरू होने से लेकर अंत तक यानि तीर्थम और प्रसादम के वितरण तक, वडागालाई अपने स्वयं के किसी भी प्रबंधम को दोहरा नहीं सकते हैं, लेकिन वे केवल उन्हीं प्रबंधमों का पाठ कर सकते हैं, जिसे तेंगलाई कर रहे हों।

    इसलिए, अपीलकर्ता ने प्रस्तुत किया कि वडागलाई संप्रदाय अपने स्वयं के पाठ नहीं कर सकता क्योंकि अदालत ने उन्हें ऐसा करने से विशेष रूप से रोक दिया था। इस प्रकार, अकेले तेंगलाई संप्रदाय को मंदिर में पाठ करने का विशेष अधिकार था।

    अपीलकर्ता तेंगलाई संप्रदाय की ओर से सीनियर एडवोकेट श्री पी विल्सन, सीनियर एडवोकेट एआरएल सुंदरसन, श्रीमती हेमा संपत उपस्थित हुईं, जबकि प्रतिवादी वडागलाई संप्रदाय का प्रतिनिधित्व सीनियर एडवोकेट श्री जी राजगोपाल, सीनियर एडवोकेट श्री सतीश परासरन और श्री वी राघवचारी ने किया। एडवोकेट जनरल श्री आर षणमुगा सुंदरम ने हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती (एचआर एंड सीई) विभाग का प्रतिनिधित्व किया।

    Next Story