उम्मीद है कि राज्य सरकार सितंबर के अंत तक दिव्यांगों का वैक्सीनेशन पूरा कर लेगीः मद्रास हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

9 Aug 2021 6:02 AM GMT

  • उम्मीद है कि राज्य सरकार सितंबर के अंत तक दिव्यांगों का वैक्सीनेशन पूरा कर लेगीः मद्रास हाईकोर्ट

    Madras High Court

    मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि उसे उम्मीद है कि राज्य सरकार सितंबर के अंत तक राज्य में रहने वाले दिव्यांगों (Disabilities) को COVID-19 की दोनों खुराकों के बीच वैधानिक अंतर के अधीन पूरी तरह से वैक्सीनेशन कर देगी।

    मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की खंडपीठ दिव्यांग व्यक्तियों के वैक्सीनेशन के लिए राज्य द्वारा अपनाए जा रहे विशेष उपायों से संबंधित एक याचिका पर विचार कर रही थी।

    कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव की 26 जुलाई, 2021 की रिपोर्ट का अवलोकन किया। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि 21 जुलाई, 2021 तक राज्य के 38 प्रशासनिक जिलों में 1,10,222 दिव्यांग व्यक्तियों को वैक्सीन दी गई थी।

    इसके अलावा, रिपोर्ट से यह भी पता चला कि चेन्नई में 11,700 से अधिक दिव्यांग व्यक्तियों को वैक्सीन लगाई गई थी।

    कोर्ट ने शुरुआत करते हुए कहा,

    "जो स्पष्ट है वह यह है कि लगभग सभी वैक्सीनेशन पहली खुराक से संबंधित हैं। इसके अलावा 2408 व्यक्ति जो संस्थागत देखभाल में हैं, जिन्होंने कोवैक्सिन की दोनों खुराक प्राप्त की हैं।"

    इसे देखते हुए न्यायालय ने इस प्रकार कहा:

    "यह आशा की जाती है कि हर संभव प्रयास करते हुए राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि वह राज्य में रहने वाले सभी दिव्यांग व्यक्तियों को यथासंभव शीघ्रता से दोनों खुराकों के बीच उचित अंतराल बनाए रखते हुए सितंबर, 2021 के अंत तक पूरी तरह से वैक्सीन देगा।

    इसलिए न्यायालय ने कहा कि दिव्यांग व्यक्तियों के लिए विशेष प्रावधान करने के लिए राज्य द्वारा पर्याप्त प्रयास किए गए हैं।

    कोर्ट ने कहा,

    "कोई और आशंका नहीं हो सकती है कि राज्य दिव्यांग व्यक्तियों की देखभाल नहीं कर सकता है या ऐसे व्यक्तियों को वैक्सीन नहीं लगा सकता है।"

    स्वास्थ्य सचिव द्वारा दायर की गई रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए अदालत ने रिट याचिका का निपटारा किया, क्योंकि याचिका अपने उद्देश्य से बाहर हो गई है।

    कोर्ट ने कहा,

    "किसी असंभाव्य घटना के चलते अगर दिव्यांग व्यक्तियों को कोरोना की दूसरी खुराक नहीं दी जा सकी, तो याचिकाकर्ता को नई याचिका के माध्यम से इस तरह के मामले को अदालत के संज्ञान में लाने की स्वतंत्रता होगी।"

    शीर्षक: एम.करपगम बनाम दिव्यांग कल्याण के लिए आयुक्तालय

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