मद्रास हाईकोर्ट ने मंत्री पीटीआर की कार पर चप्पल फेंकने के आरोप में भाजपा कार्यकर्ताओं को अग्रिम जमानत दी
Shahadat
7 Sept 2022 3:38 PM IST
मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में तीन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यकर्ताओं को अग्रिम जमानत दे दी, जिन पर राज्य के वित्त मंत्री की कार को कथित रूप से रोकने, गाली देने और उनका अपमान करने का आरोप है। 13 अगस्त, 2022 को हुई इस घटना के दौरान उन्होंने मंत्री की कार की ओर चप्पल भी फेंकी।
जस्टिस जी. इलंगोवन की पीठ ने टिप्पणी की,
"जो महत्वपूर्ण है वह मानवीय मूल्य है, कानून से बहुत ऊपर, राजनीति से ऊपर, धर्म आदिसे ऊपर । इसे याचिकाकर्ताओं जैसे लोगों द्वारा कायम रखा जाना चाहिए, जो राजनीतिक दल से संबंधित हैं और वह भी जो राजनीतिक पदाधिकारी हैं। यह अदालत उम्मीद करती है कि वे इसके सम्मान को किसी भी कीमत पर कायम रखेंगे।"
जस्टिस इलंगोवन ने अदालत के समक्ष याचिकाकर्ताओं द्वारा व्यक्त किए गए हार्दिक खेद को स्वीकार किया और उन्हें अग्रिम जमानत का लाभ दिया।
हालांकि, कोर्ट ने पूरी घटना को बहुत दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया, क्योंकि इसने इस बात पर जोर दिया कि राजनीतिक विचारधाराएं भिन्न हो सकती हैं, लेकिन लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करते हुए जब वही हिंसक और बदसूरत होती है तो इसका असर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी पर नहीं, बल्कि समाज पर पड़ता है, जिस समाज की सेवा प्रत्येक राजनितिक दल करने का इरादा रखता है।
संक्षेप में मामला
पीड़ित पक्ष का मामला यह है कि 13 अगस्त, 2022 को भारतीय सेना से जुड़े और जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए जवान का शव मदुरै हवाई अड्डे पर पहुंचा था और राजकीय सम्मान की व्यवस्था की गई थी। उस समय राज्य के वित्त मंत्री, जिला कलेक्टर और अन्य सरकारी अधिकारी एयरपोर्ट परिसर में गए।
उस समय हवाईअड्डा परिसर में एकत्रित 30 अन्य (याचिकाकर्ताओं सहित) के साथ भाजपा के जिलाध्यक्ष ने तर्क दिया कि उन्हें मृत सैनिक को श्रद्धांजलि देने का पहला अधिकार दिया जाना चाहिए।
हवाईअड्डे पर मौजूद सरकारी अधिकारियों ने कहा कि पहले सम्मान केवल सरकार द्वारा प्रोटोकॉल के अनुसार दिया जाना चाहिए और बाद में उन्हें अनुमति दी जाएगी। नतीजतन पुलिस टीम ने उन्हें वहां से हटा दिया।
अब श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद जब वित्त मंत्री अपनी कार में लौट रहे थे, उस समय सभी आरोपी व्यक्तियों ने वित्त मंत्री की कार को रोक दिया और उन्हें गंदी भाषा में गाली दी। उन्होंने मंत्री की कार के शीशे को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की और उन्होंने उन्हें आपराधिक रूप से धमकाया भी।
इतना ही नहीं उन्होंने कार की तरफ चप्पल भी फेंकी। उपरोक्त घटना के आधार पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147, 294 (बी), 341, 353, 355, 506 (2) और राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 की धारा 2 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए मामला दर्ज किया गया। इस मामले में अग्रिम जमानत की मांग करते हुए याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का रुख किया।
अदालत के समक्ष उन्होंने तर्क दिया कि याचिकाकर्ताओं की ओर से वित्त मंत्री का अपमान करने या राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का कोई इरादा नहीं था। वित्त मंत्री द्वारा किसी प्रकार के उत्तेजक शब्दों का इस्तेमाल करने के कारण तनाव पैदा हुआ।
न्यायालय की टिप्पणियां
कोर्ट ने जोर देकर कहा कि मानव मूल्य कानून से ऊपर, राजनीति से ऊपर मायने रखता है। हालांकि, इन चीजों को इस न्यायालय द्वारा याचिकाकर्ताओं की तरह लोगों को नहीं पढ़ाया जा सकता, क्योंकि उन्हें इसे किसी भी कीमत पर, किसी भी स्थिति में और किसी भी घटना में बनाए रखना है।
हालांकि, इस तथ्य पर विचार करते हुए कि घटना पूर्व नियोजित नहीं थी और साथ ही याचिकाकर्ताओं ने अपने कृत्यों के लिए खेद व्यक्त किया है, इसलिए न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर खेद के हलफनामों को ध्यान में रखते हुए कहा:
"जब याचिकाकर्ता 'हार्दिक' अफसोस के साथ आगे आते हैं तो इस अदालत को खुद को सही करने का अवसर देकर स्वीकार करना चाहिए। याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तार करने और नियमित जमानत मिलने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होने वाला।"
नतीजतन, अग्रिम जमानत याचिका स्वीकार कर ली गई।
केस टाइटल- गोकुल अजित और अन्य बनाम राज्य
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