"देश में कोई भी सत्तावादी शासन संभव नहीं हो सकता" : मद्रास हाईकोर्ट ने पुदुचेरी में धारा 144 के तहत निषेधात्मक आदेश पर अस्वीकृति जताई

LiveLaw News Network

5 April 2021 1:12 PM IST

  • देश में कोई भी सत्तावादी शासन संभव नहीं हो सकता : मद्रास हाईकोर्ट ने पुदुचेरी में धारा 144 के तहत निषेधात्मक आदेश पर अस्वीकृति जताई

    Madras High Court

    रविवार (4 अप्रैल) को हुई एक विशेष सुनवाई में मद्रास उच्च न्यायालय ने पुदुचेरी प्रशासन / कलेक्टर द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 144 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए पारित निषेधात्मक आदेश पर अस्वीकृति जताई है।

    प्रथम डिवीजन बेंच, जिसमें मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति शामिल हैं, ने चुनाव आयोग से एक स्पष्टीकरण जारी करने के लिए कहा कि "गैरकानूनी जमावड़े और आवागमन को प्रतिबंधित करना" नागरिकों के सामान्य व्यवसाय और काम के रास्ते में नहीं आएगा।

    महत्वपूर्ण रूप से, धारा 144 के आदेश को पूरी तरह से रद्द किए बिना, यह स्पष्ट कर दिया गया था कि संबंधित आदेश के संदर्भ में गैर-कानूनी जमावड़ा और आवागमन पर प्रतिबंध नागरिकों के सामान्य जीवन को प्रभावित नहीं करेगा।

    हालांकि, कोर्ट ने निर्देश दिया कि कोविड प्रोटोकॉल को हर समय बनाए रखा जाना चाहिए, जिसमें सामाजिक दूरी और मास्क पहनना शामिल है।

    मामले की पृष्ठभूमि

    पुदुचेरी के एक राष्ट्रीय स्तर के राजनीतिक दल [सीपीआई (एम)] से संबंधित एक पदाधिकारी ने तत्काल जनहित याचिका दायर की, जिसमें पुदुचेरी में जिला मजिस्ट्रेट द्वारा पारित धारा 144 के आदेश को चुनौती दी गई।

    यह आरोप लगाया गया था कि 22 मार्च, 2021 के आदेश को केवल 1 अप्रैल 2021 को सार्वजनिक किया गया और ये आज (04 अप्रैल) शाम 7 बजे से लागू होगा।

    यह कहा गया था कि संबंधित आदेश में किसी भी तरह की अशांति या किसी भी तरह की अनहोनी या यहां तक ​​कि किसी भी चीज के अवैध रूप से लागू होने की आशंका का सुझाव नहीं दिया गया था।

    यह प्रस्तुत किया गया था कि चूंकि यह एक स्वतंत्र देश है, इसलिए नागरिक अपने सामान्य कामों के बारे में चुन सकते हैं, जैसा कि वे चाहते हैं। चुनाव के दिन, जब वे अपने सबसे बुनियादी लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करते हैं, तो ये स्वतंत्र रूप से आने- जाने या अन्य काम करने के उनके चीजों को चुनने के अधिकार पर अंकुश लगाने का समय नहीं है।

    महत्वपूर्ण रूप से, याचिकाकर्ता ने कहा कि इस आदेश का परिणाम यह होगा कि केवल वही मतदाता जो मतदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, बाहर निकलेगा क्योंकि साधारण मतदाता को यह विश्वास हो सकता है कि किसी परेशानी या हिंसा की संभावना है और वोट देने के लिए भी बाहर कदम न रखना बेहतर हो सकता है।

    दूसरी ओर, चुनाव आयोग ने धारा 144 के आदेश को सही ठहराते हुए कहा कि यह आदेश 2014 के बाद से पुदुचेरी में हर आम चुनाव में लगाया गया था।

    कोर्ट का अवलोकन

    शुरुआत में, अदालत ने टिप्पणी की,

    "शुक्र है कि यह देश अपने नागरिकों को व्यापक स्वतंत्रता देता है और जैसा कि संविधान प्रदान करता है, देश में कोई भी सत्तावादी शासन संभव नहीं हो सकता है और न ही नागरिकों या उनके जीवन पर कोई नियंत्रण हो सकता है।"

    न्यायालय ने यह भी कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए उचित सावधानी और सतर्कता बरती जानी चाहिए कि प्रतिबंध अनुचित ना हों या घोंटने वाले नहीं हों , न्यायालय ने 'अनुचित आदेश' को बरकरार रखा, जिसे 10 या 15 दिन पहले तैयार किया गया था और प्रभावी होने से एक या दो दिन पहले प्रस्तुत किया गया था।

    हालांकि, अदालत ने कहा कि कभी-कभी, कानून और व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से और सार्वजनिक हित में, कुछ प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं, लेकिन ऐसे प्रतिबंध हमेशा प्रत्याशित समस्या के वाजिब और आनुपातिक ही सही होते हैं, और ऐसे संबंध में निर्णय हमेशा उचित होने चाहिए।

    न्यायालय ने ये भी कहा ,

    "स्वतंत्र देश में प्रत्येक नागरिक कानूनन कुछ भी कर सकता है, जिसे नागरिक चुनता है और यहां तक ​​कि नागरिकों के आवागमन पर थोड़ी सी रोक लगाना भी वाजिब साबित करना होगा।"

    वर्तमान मामले में, न्यायालय ने उल्लेख किया,

    "22 मार्च, 2021 को लागू नोटिस में नागरिकों के आवागमन पर प्रतिबंध लगाने और नागरिकों को अपने व्यवसाय के बारे में जाने का विकल्प चुनने के किसी भी कारण का संकेत देने में विलक्षण कमी है।"

    न्यायालय ने ' सामान्य निषेधात्मक आदेश' को भी अस्वीकृति दी और कहा कि केवल इसलिए कि इसे पिछले एक या दो मौकों पर इसे लागू किया गया था, इसे उचित नहीं ठहराया जा सकता।

    अदालत ने कहा,

    "ये मानते हुए कि एकनिषेधात्मक आदेश 2021 के जारी होने से चुनाव को सुचारू रूप से संपन्न करने में मदद मिलेगी, बिना किसी उचित आधार के इसे पारित नहीं किया जा सकता है।"

    अंत में, चुनाव आयोग के स्पष्टीकरण कि निषेध को आवागमन या जमावड़े पर सामान्य निषेध नहीं माना जाना चाहिए बल्कि ये विशिष्ट क्षेत्रों तक ही सीमित है।

    अदालत ने कहा कि,

    "यह दोहराया जाना चाहिए कि प्रासंगिक आदेश केवल 'गैर-कानूनी जमावड़े और आवागमन, किसी भी व्यक्ति द्वारा हथियार, लाठी, बैनर, तख्तियां आदि लेकर सार्वजनिक सभाओं में जाना, सार्वजनिक सभाओं में चिल्लाना जोर से बोलना और लाउड स्पीकर का उपयोग करना और किसी भी तरह से सार्वजनिक शांति के लिए हानिकारक होने के लिए प्रतिबंधित होगा, .. 'एक अर्थ में, गैरकानूनी जमावड़े को प्रतिबंधित करने वाले आदेश को जारी करना अनावश्यक है, क्योंकि ऐसा जमावड़ा, परिभाषा के अनुसार, अवैध है। "

    केस - आर राजंगम बनाम केंद्र शासित प्रदेश पुदुचेरी और अन्य

    ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



    Next Story