मद्रास हाईकोर्ट ने पुडुचेरी सरकार को पिछड़े जनजाति समुदाय के सदस्यों को खाली एसटी मेडिकल सीटें देने का निर्देश दिया

Shahadat

20 Dec 2022 5:10 AM GMT

  • मद्रास हाईकोर्ट ने पुडुचेरी सरकार को पिछड़े जनजाति समुदाय के सदस्यों को खाली एसटी मेडिकल सीटें देने का निर्देश दिया

    Madras High Court

    मद्रास हाईकोर्ट ने NEET UG मेडिकल एडमिशन में आरक्षण के लिए विचार करने के इच्छुक पिछड़ी जनजाति वर्ग से संबंधित दो छात्रों को राहत देते हुए केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी को अनुसूचित जनजाति वर्ग में रिक्त सीटों को भरने की अनुमति देने का निर्देश दिया।

    हाईकोर्ट ने कहा कि अनुसूचित जनजाति श्रेणी के तहत दो सीटें जो अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों द्वारा भरी गई, उन्हें दो रिक्त अनुसूचित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए स्थानांतरित किया जा सकता है और मैं केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी को याचिकाकर्ताओं को उम्मीदवारों के रूप में एमबीबीएस ग्रेजुएशन कोर्स के लिए अनुसूचित जनजाति श्रेणी के तहत दो रिक्तियों में पिछड़ी जनजाति की श्रेणी शामिल करके रिक्तियों को भरने का निर्देश दूंगा।

    जस्टिस सीवी कार्तिकेयन ने कहा कि यह पुडुचेरी सरकार का कर्तव्य है कि वह पिछड़ी जनजाति समुदाय के लिए आरक्षण सुनिश्चित करे, जिसे विशेष रूप से सरकार द्वारा लागू किया गया है। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि सरकार केवल यह नहीं कह सकती कि आरक्षण मेडिकल परामर्श समिति के दिशानिर्देशों के अनुसार किया गया और इस प्रकार, पिछड़ी जनजातियों को शामिल नहीं किया जा सकता, क्योंकि वास्तव में मेडिकल परामर्श समिति को केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी की पिछड़ी जनजातियों के अस्तित्व के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

    स्वाभाविक रूप से जब अनुसूचित जनजाति की सीट खाली हो जाती है तो यह केवल तार्किक और वैध है कि रिक्तियों को पिछड़ी जनजाति समुदाय द्वारा भरा जाता है। पुडुचेरी सरकार को इस संबंध में अपने विवेक का प्रयोग करना चाहिए।

    वर्तमान मामले में दोनों याचिकाकर्ता कट्टुनायकन समुदाय के हैं। उन्होंने ने NEET एग्जाम दिया और एमबीबीएस कोर्स में शामिल होने के लिए अपेक्षित अंक प्राप्त किए। कट्टुनायकन समुदाय को वर्ष 2010 में केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी द्वारा पिछड़ी जनजातियों की सूची में शामिल किया गया। "पिछड़ी जनजाति" का यह अलग वर्गीकरण बनाया गया और अनुसूचित जनजाति श्रेणी के लिए निर्धारित आरक्षण कोटा के साथ फिट किया गया।

    इसके बाद 2019 में अन्य अधिसूचना के माध्यम से सरकार ने यह देखते हुए कि केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में अनुसूचित जनजातियों के लिए कोई विशिष्ट आरक्षण नहीं है और इरुलर समुदाय की जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए इरुलर समुदाय को पिछड़ी जनजाति से अनुसूचित जनजाति श्रेणी में स्थानांतरित कर दिया।

    हालांकि, इस वर्गीकरण का परिणाम यह हुआ कि अन्य पिछड़ी जनजाति समुदाय को निराश्रित और असहाय छोड़ दिया गया, क्योंकि इसने प्रभावी रूप से उनका आरक्षण छीन लिया। उन्हें या तो अति पिछड़े समुदाय के रूप में शामिल नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे उसी से उप-वर्गीकृत हैं। साथ ही उन्हें अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता, क्योंकि उन्हें इरुलर समुदाय के रूप में अनुसूचित जनजातियों में स्थानांतरित नहीं किया गया, इसलिए उन्हें अनुसूचित जाति के रूप में भी वर्गीकृत नहीं किया जा सकता। चूंकि वे पिछड़ी जनजाति कहलाने वाली एक विशिष्ट श्रेणी हैं।

    नतीजतन, याचिकाकर्ता किसी भी आरक्षित श्रेणी में फिट नहीं हो सके, क्योंकि मेडिकल परामर्श समिति ने केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय को मान्यता दी। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि ऐसी स्थिति में पुडुचेरी सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए, लेकिन सरकार ने याचिकाकर्ताओं की अपील को अनसुना कर दिया।

    अदालत ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में आंतरिक आरक्षण के अनुसार, अनुसूचित जनजाति श्रेणी में खाली सीटों को अनुसूचित जाति वर्ग को आवंटित किया गया, जिसके न होने पर पुडुचेरी क्षेत्र की अनारक्षित श्रेणी और फिर केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी की अनारक्षित श्रेणी को आवंटित किया गया। यह ऐसी स्थिति की ओर ले जाता है, जहां पिछड़ी जनजाति श्रेणी अपरिचित रहती है।

    अदालत ने इशरा करते हुए कहा कि जो सवाल है, वह यह है कि अगर उनकी सरकार अर्थात् केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी उन्हें अस्वीकार कर देती है और योग्य होने पर भी मेडिकल सीट मांगने के उनके वैध अधिकारों से इनकार करती है तो वे कहां जाएंगे। इसका एक ही जवाब है कि केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी ने उन्हें निश्रारित और शुष्क तरीके से छोड़ दिया है।

    इस प्रकार, अदालत ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी को आरक्षण नीति के अनुसार अपने मूल निवासियों को आरक्षण देने के लिए अपने विवेक का प्रयोग करना है।

    केस टाइटल: एम हेमलता बनाम राष्ट्रीय मेडिकल आयोग और अन्य और माइनर के मेगाथरानी बनाम भारत संघ और अन्य

    साइटेशन: लाइवलॉ (Mad) 511/2022

    केस नंबर : डब्ल्यू.पी. नंबर 32941/2022 और 33391/2022

    याचिकाकर्ताओं के वकील: वी.एलंगोवन और टी.एम.मानो

    उत्तरदाताओं के लिए वकील: शुभरंजनी अनंत सरकारी वकील, वी. वसंत कुमार अतिरिक्त सरकारी वकील (पुडुचेरी), एस.एन. पार्थसारथी केंद्र सरकार के सीनियर सरकारी वकील, जे कुमारन अतिरिक्त सरकारी वकील (पुडुचेरी)

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