वक्फ एक्ट की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्र, राज्य सरकार को नोटिस जारी किया

Avanish Pathak

2 Dec 2022 1:31 PM GMT

  • वक्फ एक्ट की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्र, राज्य सरकार को नोटिस जारी किया

    Madhya Pradesh High Court

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने वक्फ अधिनियम, 1995 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर आज राज्य सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।

    जनहित याचिका में कहा गया है कि केंद्र ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 14-15 और अन्य अनुच्छेदों के मूल सिद्धांतों के खिलाफ धार्मिक रूप से झुका हुआ वक्फ अधिनियम बनाया है।

    जस्टिस विजय कुमार शुक्ला और जस्टिस राजेंद्र कुमार वर्मा की खंडपीठ ने नोटिस जारी करते हुए मामले की आगे की सुनवाई 6 सप्ताह के लिए स्‍थगित कर दी है।

    एमपी पुलिस में एक पूर्व हेड कांस्टेबल राम प्रसाद पटेल और एक वकील जितेंद्र शर्मा (वकील मनीष गुप्ता के माध्यम से) द्वारा दायर जनहित याचिका में धारा 4 से 9, धारा 40, धारा 54, 55, धारा 85, धारा 91, धारा 101, 104, 107, और वक्फ अधिनियम के अन्य प्रावधानों का विरोध किया गया है। याचिका में इन धारों को निष्क्रिय करने की घोषणा की मांग की गई है।

    याचिका में अनुच्छेद 14 और 15 की भावना के अनुसार ट्रस्टों और ट्रस्टियों और धर्मार्थ संस्थानों के लिए एक समान कोड का मसौदा तैयार करने और इसे सार्वजनिक बहस और प्रतिक्रिया के लिए प्रकाशित करने के लिए भारत के विधि आयोग को निर्देश देने की भी प्रार्थना की गई है।

    याचिका में कहा गया है कि 1955 के अधिनियम की उक्त धाराएं कानून के समक्ष समानता के संवैधानिक सिद्धांतों और अनुच्छेद 14, 15, 16, 21, 25, 26, 27 और भारत के संविधान के अन्य प्रासंगिक प्रावधानों के तहत संविधान सभा के संस्थापकों द्वारा तय धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ हैं।

    याचिका में तर्क दिया गया है कि जहां एक ओर, हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ संस्थान धार्मिक बंदोबस्ती अधिनियम 1863, भारतीय ट्रस्ट अधिनियम 1882, और विभिन्न राज्य अधिनियमों द्वारा शासित हैं और आगे ये अधिनियम सरकार को मामलों का प्रबंधन करने की शक्ति देते हैं। दूसरी ओर, वक्फ अधिनियम धार्मिक संस्थानों के धार्मिक मामलों के प्रबंधन के लिए वक्फ बोर्ड को बेलगाम अधिकार देता है।

    इसके अलावा, जनहित याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि धारा 4 से 9, 40, 54, 55, 85, 91, 101, 104, 107 और वक्फ अधिनियम के अन्य प्रावधान वक्फ संपत्तियों को विशेष दर्जा देते हैं, जो ट्रस्ट, मठ, अखाड़ा, समाज को समान दर्जा देने से इनकार करते हैं।

    याचिका में यह भी प्रस्तुत किया गया है कि अधिनियम किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत करने के लिए वक्फ बोर्डों को बेलगाम शक्तियां प्रदान करता है।

    गौरतलब है कि जनहित याचिका में कहा गया है कि पिछले 10 वर्षों में वक्फ बोर्डों ने तेजी से दूसरों की जमीनों पर कब्जा कर लिया है और ऐसी संपत्तियों को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया है, जिसके कारण वर्तमान में 6,59,877 संपत्तियों को वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत किया गया है।

    केस टाइटल- राम प्रसाद पटेल और अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य

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