मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और नगर निगम को रोड सेप्टी पॉलिसी, 2015 पर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया
LiveLaw News Network
11 Oct 2021 5:52 PM IST
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ ने राज्य सरकार और ग्वालियर नगर निगम [जीएमसी] को मध्य प्रदेश राज्य रोड सेप्टी पॉलिसी, 2015 की अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति शील नागू और न्यायमूर्ति दीपक कुमार अग्रवाल की खंडपीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें ग्वालियर के महत्वपूर्ण स्थानों में सार्वजनिक सड़कों पर पर्याप्त रोशनी की कमी के साथ सड़कों को बनाए रखने और समतल करने में विफलता का आरोप लगाया गया था, जिससे सड़क सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा हो गई।
अधिवक्ता सिद्धार्थ सिजोरिया के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया,
"संचार के सार्वजनिक साधनों को अच्छी और उचित स्थिति में सुरक्षित करने के लिए अपने वैधानिक कर्तव्यों को पूरा करने में नागरिक निकायों की विफलता संविधान के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन है।"
यह निर्देश सुधीर मदान और अन्य बनाम दिल्ली नगर निगम और अन्य पर निर्भर करता है, जहां कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि नागरिकों को राज्य द्वारा प्रदान की जाने वाली सड़कों, पार्कों और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं का उपयोग करने का मौलिक अधिकार है। यदि सड़कों या पगडंडियों की स्थिति खराब है, तो नागरिक उसके प्रभावी उपयोग से वंचित हो जाते हैं। इससे उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन होता है। यदि सड़कें अच्छी स्थिति में नहीं हैं या पर्याप्त रोशनी नहीं हैं या यदि वह गड्ढों से भरी हैं, तो वे नागरिकों को गंभीर खतरे में डाल देती हैं।
ग्वालियर में रोडवेज की खराब स्थिति पर जोर देते हुए इसे दुर्घटनाओं की अधिक संभावना प्रदान करते हुए याचिका में आईआईटी दिल्ली (2020) के परिवहन अनुसंधान और चोट निवारण कार्यक्रम का हवाला दिया गया, जिससे पता चलता है कि ग्वालियर में 2018 में सभी शहरों के लिए औसत से अधिक प्रति 100,000 व्यक्तियों पर 50% अधिक मृत्यु दर दर्ज की गई।
राज्य और नगर निगम के पहले के उत्तरों की जांच करने पर न्यायालय ने कहा कि निगम और राज्य सरकार दोनों एक दूसरे पर जिम्मेदारियों को स्थानांतरित कर रहे हैं।
कोर्ट ने टिप्पणी की,
"निगम की वापसी अन्य बातों के साथ यह प्रकट करती है कि पी-3 में उल्लिखित छह सड़कों में से पांच का रखरखाव पीडब्ल्यूडी द्वारा किया जाता है, न कि निगम द्वारा। यह केवल ईओडब्ल्यू के कार्यालय के बगल में चलने वाली सड़क है जिसे निगम स्वीकार करता है। दूसरी ओर, राज्य का जवाब नगर निगम, ग्वालियर पर यह कहते हुए जिम्मेदारी स्थानांतरित कर देता है कि यह निगम है जो ग्वालियर शहर के भीतर सड़कों के रखरखाव के लिए उत्तरदायी है।
इसने निर्देश दिया कि उक्त नीति के प्रत्येक पहलू के संबंध में प्रतिक्रिया दायर की जानी चाहिए ताकि न्यायालय यह पता लगा सके कि उक्त नीति को पूरी तरह से लागू किया जा रहा है या नहीं।
मामला अब नवंबर के दूसरे सप्ताह में सूचीबद्ध है।
शीर्षक: अभिषेक सिंह परमार बनाम ग्वालियर नगर निगम और अन्य।
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