मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जैन मुनियों के खिलाफ अपमानजनक पत्र पोस्ट करने के आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया
Avanish Pathak
12 Jan 2023 2:32 PM GMT
![Writ Of Habeas Corpus Will Not Lie When Adoptive Mother Seeks Child Writ Of Habeas Corpus Will Not Lie When Adoptive Mother Seeks Child](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2022/12/29/750x450_451244-madhya-pradesh-high-court-min.jpg)
MP High Court
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते सुरेंद्र कुमार जैन नामक एक व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया, जिस पर जैन मुनियों और संतों के खिलाफ अपमानजनक भाषा में लिखे गए पत्रों को पोस्ट करने और जैन समुदाय की भावनाओं को आहत करने के आरोप है।
जस्टिस नंदिता दुबे की पीठ ने कहा कि जांच अभी भी लंबित है, इसलिए यह जमानत देने के लिए उपयुक्त मामला नहीं है।
आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 294-ए, 500 (1), 295-ए, 500, 501, 502 (2) के तहत मामला दर्ज किया है। उन्हें 18 दिसंबर, 2022 को गिरफ्तार किया गया था।
मामले में उन्होंने हाईकोर्ट के समक्ष जमानत के लिए याचिका दायर की थी और तर्क दिया कि विचाराधीन पत्र मुन्नालाल जैन नामक व्यक्ति ने टाइप किया था और इसे गुजरात के दो लोगों के कहने पर पोस्ट किया गया था और ऐसा कोई आरोप नहीं है कि उन्होंने स्वयं पत्र लिखे थे।
उन्होंने आगे तर्क दिया कि पत्रों के अवलोकन से पता चलेगा कि जैन धर्म के खिलाफ कोई आरोप या अपमानजनक भाषा का उपयोग नहीं किया गया है और इन पत्रों में व्यक्तियों के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं। हालांकि, इन व्यक्तियों ने मानहानि का कोई मामला दर्ज नहीं किया है।
दूसरी ओर, राज्य के वकील के साथ-साथ आपत्तिकर्ता ने पिछले वर्षों में भी जैन मुनियों और संतों पर आरोप लगाते हुए और उन्हें बदनाम करते हुए ऐसे पत्र भेजे गए हैं, जिससे सामान्य रूप से जैन समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंची है।
दिल्ली हाई कोर्ट से कहा
मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, केस डायरी और वकीलों की दलीलों को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने इसे जमानत देने के लिए उपयुक्त मामला नहीं पाया और इसलिए जमानत याचिका खारिज कर दी गई।
केस टाइटल- सुरेंद्र कुमार जैन बनाम मध्य प्रदेश राज्य