हाईकोर्ट/अधीनस्थ न्यायालयों में फिजिकल तौर पर कामकाज फिर से शुरू करने के लिए मध्य प्रदेश, गुजरात और हिमाचल प्रदेश ने एसओपी जारी की
LiveLaw News Network
11 Feb 2021 6:15 PM IST
मध्य प्रदेश, गुजरात और हिमाचल प्रदेश राज्यों में COVID19 महामारी की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए, इन राज्यों के हाईकोर्ट ने एसओपी (स्टैंडिंग आॅपरेटिंग प्रोसीजर)जारी की हैं ताकि हाईकोर्ट/अधीनस्थ न्यायालयों में फिजिकल तौर पर कामकाज फिर से शुरू किया जा सके।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने हाईकोर्ट की विशेष समिति की सिफारिशों पर विचार करने और बार संघों के साथ विचार-विमर्श के बाद मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) (मामलों की फिजिकल/वर्चुअल सुनवाई के लिए हाइब्रिड प्रणाली) जारी की है,जो मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की प्रिंसिपल सीट जबलपुर और इसकी इंदौर व ग्वालियर में स्थित बेंच पर लागू होंगी।
मानक संचालन प्रक्रिया सोमवार (15 फरवरी 2021) से लागू होगी।
एसओपी हाइलाइट्स
-उन मामलों की सुनवाई, जिनमें तत्काल सुनवाई के लिए आवेदन दायर किए गए हैं, प्रिंसिपल सीट जबलपुर और इसकी इंदौर व ग्वालियर स्थित बेंच में डिफॉल्ट रूप 15 फरवरी 2021(सोमवार) से फिजिकल मोड में शुरू हो जाएगी, जबकि वर्चुअल सुनवाई केवल संबंधित अधिवक्ता/याचिकाकर्ता के अनुरोध पर आयोजित की जाएगी।
-जो अधिवक्ता 65 वर्ष से अधिक आयु हैं,वो विशेषतौर पर और अन्य अधिवक्ता/याचिकाकर्ता रजिस्ट्री को दी गई अग्रिम सूचना के आधार पर वर्चुअल मोड के माध्यम से पेश हो सकते हैं।
-नए मामलों को फिजिकल मोड के माध्यम से दायर करते समय अधिवक्ता/ याचिकाकर्ता मामले के ''सूचकांक'' पृष्ठ में इसका उल्लेख करते हुए वर्चुअल मोड के माध्यम से सुनवाई के लिए अपना अनुरोध प्रस्तुत कर सकते हैं।
-''ई-फाइलिंग'' मोड के माध्यम से दायर किए जाने वाले ताजा मामलों में एडवोकेट्स/याचिकाकर्ता फाइलिंग के समय, वर्चुअल मोड के माध्यम से सुनवाई के लिए अपना अनुरोध प्रस्तुत कर सकते हैं। ''ई-फाइलिंग'' सॉफ्टवेयर में 'वर्चुअल सुनवाई के लिए अनुरोध' का विकल्प दिया गया है।
-यदि किसी विशेष मामले में एक से अधिक अधिवक्ता हैं, तो एक फिजिकल रूप से पेश हो सकता है और अन्य वर्चुअल मोड से,इसके लिए उपरोक्त तरीके से अनुरोध करना होगा। सुनवाई की तारीख पर हियरिंग के मोड को नहीं बदला जाएगा।
-आमतौर पर हर गुरुवार को मामलों की फिजिकल तौर पर अंतिम सुनवाई की जाएगी। जिसमें केवल रिट अपील, रिट याचिकाओं, आपराधिक अपील और सिविल अपील की अंतिम सुनवाई की जाएगी। वरीयता उन आपराधिक अपीलों को दी जाएगी, जिसमें अपीलकर्ता/आरोपी व्यक्ति जेल में हैं।
-अंतिम सुनवाई के लिए मामले को सूचीबद्ध करने के लिए सभी संबंधित/मामले के पक्षकार या उनके अधिवक्ताओं की लिखित सहमति आवश्यक है। किसी पक्ष या उनके अधिवक्ता की सहमति के अभाव में मामले को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया जाएगा।
-हाईकोर्ट के समक्ष उपस्थित अधिवक्ताओं द्वारा गाउन पहनना वैकल्पिक होगा। हालांकि, अधिवक्ताओं के लिए कोट और बैंड पहनना आवश्यक होगा।
-प्रिंसिपल सीट जबलपुर और इसकी इंदौर व ग्वालियर में स्थित बेंच की हाई कोर्ट बार एसोसिएशन COVID19 प्रोटोकॉल के मानदंडों का कड़ाई से पालन करते हुए अपने बार हाॅल /कार्यालय खोल सकती हैं। इसके लिए केंद्र सरकार/ राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी दिशानिर्देशों व कोरोनोवायरस (COVID19) से बचाव के संबंध में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जारी निर्देशों का पालन भी करना होगा।
गुजरात हाईकोर्ट
COVID19 के कम होते मामलों और बार एसोसिएशनों की मांगों को ध्यान में रखते हुए, गुजरात हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते एक सर्कुलर जारी किया है,जिसमें अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा और राजकोट के जिला मुख्यालय में स्थित निचली अदालत को 1 मार्च से फिजिकल तौर पर फिर से शुरू करने की अनुमति दी गई है।
अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा और राजकोट के जिला मुख्यालयों में स्थित सभी अधीनस्थ अदालतें(माइक्रो-कंटेनमेंट जोन में, यदि कोई हो तो उसे छोड़कर) नियमित कार्यालय समय (सुबह 10.45 से शाम 6.10 बजे तक)के साथ फिजिकल रूप से काम करना शुरू कर देंगी।
पिछले महीने,हाईकोर्ट ने उपरोक्त चार शहरों को छोड़कर बाकी सभी निचली अदालतों को नियमित कार्यालय समय के दौरान कामकाज फिर से शुरू करने की अनुमति दे दी थी।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
राज्य में COVID19 सकारात्मक मामलों में लगातार गिरावट को ध्यान में रखते हुए और अधीनस्थ न्यायालयों के कार्य करने के संबंध में सभी पूर्व सूचनाओं/ कार्यालय के आदेशों को खत्म करते हुए हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार (09 फरवरी) को आदेश दिया है कि राज्य के सभी अधीनस्थ न्यायालय प्रैक्टिस व प्रोसीजर के अनुसार 15 फरवरी 2021 से नियमित कामकाज शुरू कर दें।
संबंधित सिविल और सेशन डिवीजन (एस) के जिला व सत्र न्यायाधीश को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिया गया है कि केंद्र/ राज्य सरकार और हाईकोर्ट द्वारा COVID19 के संबंध समय-समय पर जारी किए गए सभी दिशानिर्देश/ निर्देश का पालन किया जाए।
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