"भगवान राम और कृष्ण भारतीयों के दिल में रहते हैं": इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फेसबुक पोस्ट के आरोप में गिरफ्तार व्यक्ति को जमानत देते हुए कहा

LiveLaw News Network

11 Oct 2021 7:24 AM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी को भी बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के नाम पर दूसरों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का अधिकार नहीं है और यह कि भगवान राम और कृष्ण भारतीयों के दिल में रहते हैं। कोर्ट ने उक्त टिप्‍पण‌ियों के साथ शुक्रवार को एक मामले में एक व्यक्ति को जमानत दे दी। उसने भगवान राम और भगवान कृष्ण के खिलाफ फेसबुक पर एक पोस्ट की थी।

    जस्टिस शेखर यादव की खंडपीठ सूर्य प्रकाश की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने कथित तौर पर अपने फेसबुक अकाउंट पर भगवान राम और भगवान कृष्ण के खिलाफ अश्लील टिप्पणी की थी।

    यह रेखांकित करते हुए कि कोई ईश्वर में विश्वास करता है या नहीं, कोई किसी की आस्था को आहत नहीं कर सकता है और यह कि जिस देश में कोई रहता है उसकी संस्कृति और महापुरुषों का सम्मान करना आवश्यक है, अदालत ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि वह भविष्य में ऐसा अपराध न करें।

    न्यायालय की टिप्पणियां

    भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लेख करते हुए, न्यायालय ने कहा कि हमारा संविधान हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है, जिसके तहत, कोई भी नागरिक स्वतंत्र रूप से बोल सकता है क्योंकि स्वतंत्रता हमारे जीवन में महत्वपूर्ण है ताकि हम अपने विचारों, रचनात्मक कलाओं और जीवन की गुणवत्ता का विस्तार और प्रचार कर सकें।

    कोर्ट ने कहा, " भारतीय संविधान, जो दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे उदार संविधान है, एक नागरिक को किसी भी धर्म में विश्वास नहीं करने या नास्तिक रहने की अनुमति देता है, लेकिन यह देखा जाना चाहिए कि वह धर्म, स्वास्थ्य, नैतिकता से संबंधित परंपराओं, कानून और व्यवस्था या अन्य नागरिकों के अधिकार के ख‌िलाफ ना हो।"

    हालांकि, कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के 2004 के पुलिस आयुक्त और अन्य बनाम आचार्य जे. अवधूता और अन्य के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार और भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की अपनी सीमाएं हैं।

    पुलिस आयुक्त (सुप्रा) मामले में, जिसे आनंद मार्गी मामले के रूप में भी जाना जाता है, सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि सार्वजनिक रूप से तांडव नृत्य के अभ्यास आनंद मार्गी विश्वास का अनिवार्य हिस्सा नहीं है [जस्टिस एस राजेंद्र बाबू, जस्टिस एआर लक्ष्मणन और जस्टिस जीपी माथुर ने 2:1 के बहुमत फैसला दिया था ]।

    कोर्ट ने यह भी कहा कि ईद के त्योहार के दौरान गोहत्या प्रतिबंधित है, क्योंकि इससे अन्य धर्मों की आस्था को ठेस पहुंचती है ।

    इस संबंध में कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के तांडव वेब सीरीज केस के आदेश का भी हवाला दिया , जिसमें अमेजन प्राइम वीडियो की कमर्शियल हेड अपर्णा पुरोहित को गिरफ्तारी से पहले जमानत देने से इनकार किया गया था, जिसमें कहा गया था कि वेब सीरीज ने दूसरों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।

    इसके अलावा, कोर्ट ने कहा कि अगर नागरिक भगवान राम और कृष्ण पर अश्लील टिप्पणी करते हैं और सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें प्रचारित करते हैं, तो इसे किसी के द्वारा स्वीकार नहीं किया जा सकता है और यह अपराध की श्रेणी में आएगा।

    " आरोपी/आवेदक द्वारा भारत के महापुरुषों, भगवान श्री राम और भगवान श्री कृष्ण के बारे में की गई अश्लील टिप्पणी, इस देश के बहुसंख्यक लोगों की आस्था का अपमान है और यह समाज में शांति, सद्भाव को बिगाड़ती है और निर्दोष लोगों को इसके परिणाम भुगतने होंगे।"

    इस पृष्ठभूमि में यह देखते हुए कि आवेदक ने कुछ अश्लील टिप्पणी की थी, जो कि अपराध की श्रेणी में आती है, अदालत ने उसे जमानत दे दी क्योंकि उसने देखा कि जांच अधिकारी ने आवेदक के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है और मुकदमे की निकट भविष्य में समाप्त होने की संभावना नहीं है।

    केस टाइटल - आकाश जाटव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य

    आदेश/निर्णय डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

    Next Story