लॉकडाउन-''राज्य में कहीं भी प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ता कार्यालय जाने के लिए पास के लिए आवेदन कर सकते हैं'': मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
8 May 2021 4:45 PM IST
अपने पूर्व के आदेश को संशोधित करते हुए, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आज निर्देश दिया है कि राज्य के किसी भी जिला मुख्यालय में कहीं भी रहने वाला प्रैक्टिसिंग एडवोकेट इस समय चल रहे लॉकडाउन/कोरोना कर्फ्यू के दौरान अपने निवास स्थान से कार्यालय आने-जाने के लिए पास बनवाने के लिए अप्लाई कर सकता है।
अपने पूर्व के आदेश में, मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन की खंडपीठ ने केवल जबलपुर, इंदौर, और ग्वालियर के जिला मजिस्ट्रेटों को निर्देश दिया था कि वे अधिवक्ताओं,उनके जूनियर्स और अधिवक्ता क्लर्क (जब बार एसोसिएशन के माध्यम से आवेदन किया जाए) को पास जारी करें ताकि वह सभी लाॅकडाउन/कोरोना कर्फ्यू के दौरान अपने कार्यालयों में आने-जाने में समक्ष हो सकें।
हालाँकि, अब न्यायालय ने राज्य के किसी भी जिला मुख्यालय में कहीं भी रहने वाले प्रत्येक प्रैक्टिसिंग अधिवक्ता को अपने या अपने सहयोगी/जूनियर्स या अपने क्लर्क के लिए पास के लिए आवेदन करने की अनुमति दे दी है और सक्षम प्राधिकारी इन आवेदन पर कानून के अनुसार विचार करेंगे।
अदालत ने यह आदेश एक वकील अजय गुप्ता की तरफ से दायर एक आवेदन पर सुनवाई करते हुए दिया है। इस आवेदन में कहा गया था कि प्रतिवादी/ राज्य प्राधिकरणों को उन अधिवक्ताओं के आवेदन पर विचार करने की आवश्यकता है जो भोपाल में प्रैक्टिस करते हैं। इसी तरह इन वकीलों के सहयोगी और क्लर्क को भी पास देने पर विचार किया जाए ताकि वह अपने कार्यालय जा सकें क्योंकि वे न केवल हाईकोर्ट के समक्ष, बल्कि भोपाल शहर में स्थित विभिन्न न्यायालयों और ट्रिब्यूनलों के सामने भी वर्चुअल मोड से पेश होते हैं।
डब्ल्यू.पी. नंबर 9185/2021 (सुनील गुप्ता बनाम मध्य प्रदेश राज्य व अन्य) के मामले में 3 मई 2021 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश का हवाला भी दिया गया।
इसके अलावा, उप महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि सुनील गुप्ता के मामले में, अधिवक्ताओं को जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर में संबंधित बार एसोसिएशन के माध्यम से आवेदन करने की आवश्यकता थी, क्योंकि वह याचिका इन स्थानों पर हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ता के लाभ के लिए दायर की गई थी।
उन्होंने दलील दी कि जहां तक अन्य अधिवक्ताओं का मामला है तो इस उद्देश्य के लिए आईडी प्रूफ के साथ संबंधित जिला मजिस्ट्रेट या किसी अन्य अधिकृत अधिकारी के पास सीधे आवेदन करने के लिए स्वतंत्रता दी जा सकती है।
महत्वपूर्ण रूप से, उन्होंने प्रस्तुत किया कि अधिवक्ताओं, उनके जूनियर्स और अधिवक्ताओं के लिपिकों को पास देने के लिए इस तरह के किसी भी आवेदन पर कानून के अनुसार विचार किया जाएगा।
इस प्रकार, अदालत ने पूर्वोक्त आदेश जारी किया और आवेदन का निस्तारण कर दिया गया।
केस का शीर्षक - सिद्धार्थ सिंह बनाम मध्य प्रदेश राज्य व अन्य
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