विज्ञापन में ऐसे प्रावधान के बावजूद सार्वजनिक रोजगार के लिए रोजगार कार्यालय में लाइव रजिस्ट्रेशन आवश्यक नहीं है: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
Shahadat
18 Nov 2023 11:37 AM IST
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि सार्वजनिक रोजगार के लिए रोजगार कार्यालय में लाइव रजिस्ट्रेशन आवश्यक नहीं है, भले ही ऐसा प्रतिबंध संबंधित विज्ञापन में स्पष्ट रूप से दिया गया हो।
जस्टिस गुरप्रीत सिंह अहलूवालिया की एकल-न्यायाधीश पीठ ने कहा कि राम सिंह धुर्वे बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्य (2021) मामले में फैसले के बाद इस मामले में विवादास्पद प्रश्न अब एकीकृत नहीं रह गया।
जबलपुर की पीठ ने एमपी व्यावसायिक परीक्षा बोर्ड को याचिकाकर्ता की 'जेल प्रहरी' के रूप में नियुक्ति पर निर्णय लेने का निर्देश देते हुए कहा,
“चूंकि इस न्यायालय में कोई विशिष्ट विशेषताएं नहीं हैं और यह पूरी तरह से राम सिंह धुर्वे (सुप्रा) के मामले में निर्धारित कानून के अंतर्गत आता है, इसलिए इस याचिका को राम सिंह धुर्वे (सुप्रा) के मामले में पारित आदेश के नियमों और शर्तों के तहत भी अनुमति दी जाती है।'
याचिकाकर्ता उम्मीदवार ने जेल वार्डन की भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने के बाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और दलील दी कि उसे इस प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर केवल इसलिए देने से इनकार कर दिया गया, क्योंकि उसके पास लाइव इंप्लॉयमेंट रजिस्ट्रेशन कार्ड नहीं था। प्रतिवादी अधिकारियों ने यह कहकर उम्मीदवारी की अस्वीकृति का बचाव किया कि उसका रोजगार कार्यालय में कोई वैध रजिस्ट्रेशन नहीं था। उत्तरदाताओं ने आगे तर्क दिया कि योग्यता के लिए रोजगार कार्यालय में रजिस्ट्रेशन आवश्यक आवश्यकता है।
अदालत ने याचिका स्वीकार करते हुए राम सिंह धुर्वे मामले पर काफी हद तक भरोसा किया और एमपी व्यावसायिक परीक्षा बोर्ड और रोजगार निदेशालय को जेल वार्डन के पद पर याचिकाकर्ता की नियुक्ति के संबंध में निर्णय लेने का निर्देश दिया।
राम सिंह धुर्वे मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पहले माना था कि 'रोजगार कार्यालय के साथ लाइव रजिस्ट्रेशन' की आवश्यकता आवश्यक नहीं है, भले ही विज्ञापन में ऐसी शर्त का उल्लेख किया गया हो, यह अप्रासंगिक होने के साथ-साथ गैरकानूनी भी है।
केस टाइटल: सुशील कुमार शर्मा बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्य।
केस नंबर: रिट याचिका नंबर 14104, 2021
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