लिव-इन रिलेशन-''लड़की की बुनियादी जरूरतों का ख्याल रखें, गरिमापूर्ण जीवन सुनिश्चित करें'': मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पुरूष को निर्देश दिया; पैरा लीगल वालंटियर उनके आवास का दौरा करें
LiveLaw News Network
27 Jun 2021 4:15 AM GMT
![Writ Of Habeas Corpus Will Not Lie When Adoptive Mother Seeks Child Writ Of Habeas Corpus Will Not Lie When Adoptive Mother Seeks Child](https://hindi.livelaw.in/h-upload/images/750x450_madhya-pradesh-high-court-minjpg.jpg)
MP High Court
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक 18 वर्षीय लड़की के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहने की इच्छा रखने वाले एक व्यक्ति को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि वह न केवल उसकी बुनियादी जरूरतों का बल्कि लड़की की सुख-सुविधाओं का भी ध्यान रखे ताकि वह गरिमापूर्ण जीवन जी पाए।
न्यायमूर्ति शील नागू और न्यायमूर्ति आनंद पाठक की खंडपीठ उस व्यक्ति की हैबियस कार्पस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने आरोप लगाया था कि कार्पस/ लड़की ने दिसंबर, 2020 में अपने माता-पिता का घर छोड़ दिया था क्योंकि कार्पस के पिता उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करते थे।
चूंकि कार्पस/लड़की को वन स्टॉप सेंटर, मुरैना में रखा गया है,इसलिए हैबियस कार्पस की याचिका में प्रार्थना की गई कि उसे उक्त केंद्र से रिहा कर दिया जाए और उसे उसकी मर्जी के अनुसार जहां चाहे वहां पर जाने और रहने की अनुमति दी जाए।
लड़की को अदालत के समक्ष पेश किया गया,जिसमें उसने खुलासा किया कि उसकी जन्मतिथि 6 मई 2003 है और उसने अपने पिता द्वारा दी गई मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना के कारण अपने माता-पिता का घर छोड़ दिया था और वह याचिकाकर्ता के साथ लिव-इन रिलेशन में रहना चाहती है।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कार्पस के माता-पिता का पक्ष भी सुना गया और उसके पिता ने कार्पस को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के आरोप से इनकार किया।
हालांकि, कोर्ट ने कहा कि लड़की वर्तमान में 06.05.2021 को बालिग हो चुकी है और उसने यह भी व्यक्त किया है कि वह याचिकाकर्ता के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहती है।
गौरतलब है कि कोर्ट ने कहा कि,
''यह न्यायालय अब लड़की की पसंद और इच्छा के बीच नहीं आ सकता है क्योंकि वह अब बालिग हो चुकी है। लड़की ने आगे यह भी बताया है कि उसे किसी ने भी गैरकानूनी हिरासत में नहीं रखा है।''
कोर्ट का आदेश
लड़की के साथ-साथ उसके पिता द्वारा दिए गए बयानों को ध्यान में रखते हुए कि उसने 8 वीं कक्षा पूरी करने के बाद स्कूल छोड़ दिया था, अदालत ने याचिकाकर्ता/ पुरुष को निम्नलिखित सुनिश्चित करने का निर्देश देना उचित समझा-
-लड़की न केवल 12 वीं कक्षा तक बल्कि स्नातक स्तर तक अपने अकादमिक करियर को आगे बढ़ाए ताकि वह आत्मनिर्भर बनने में सक्षम हो सके।
-याचिकाकर्ता को इस संबंध में एक लिखित शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा जो आज से एक सप्ताह के भीतर रजिस्ट्री के समक्ष दायर किया जाए।
-अंडरटेकिंग में, याचिकाकर्ता को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह लड़की की न केवल बुनियादी आवश्यकताओं का ध्यान रखेगा, बल्कि लड़की के सुख-सुविधाओं का भी ध्यान रखेगा ताकि वह सम्मान का जीवन जीने में सक्षम हो सके।
इसके अलावा, लड़की के संबंध में दिए गए निर्देशों का उचित निष्पादन सुनिश्चित करने के लिए, कोर्ट ने ग्वालियर बेंच के कानूनी सहायता अधिकारी को एक महिला पैरा लीगल वालंटियर नियुक्त करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने आदेश दिया है कि उक्त महिला पैरा लीगल वालंटियर कार्पस के निवास स्थान का हर साप्ताह दौरा करे और उसके बाद मासिक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत अंडरटेकिंग का सम्मान किया जा रहा है।
केस का शीर्षक - वीर सिंह कुशवाह बनाम मध्यप्रदेश राज्य व अन्य
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