जिला न्यायालयों के डिजिटाइजेशन में देरी के कारण वकील, वादकारी और अधीनस्थ न्यायपालिका को असुविधा हो रही है : दिल्ली हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

LiveLaw News Network

30 July 2020 9:04 AM GMT

  • जिला न्यायालयों के डिजिटाइजेशन में देरी के कारण वकील, वादकारी और अधीनस्थ न्यायपालिका को असुविधा हो रही है : दिल्ली हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

    दिल्ली हाईकोर्ट ने जिला न्यायालयों को डिजिटल बनाने के प्रस्ताव पर दिल्ली सरकार के वित्त सचिव से जवाब मांगा है क्योंकि यह प्रस्ताव वर्ष 2018 से लंबित है।

    न्यायमूर्ति हेमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद की खंडपीठ ने यह भी निर्देश दिया है कि अगर जिला जज (मुख्यालय) और दिल्ली सरकार के बीच किसी भी प्रकार के पत्राचार का आदान-प्रदान किया जाता है तो उसे इलेक्ट्रॉनिक रूप से संचालित करने की कोशिश की जाए ताकि बहुमूल्य समय को बचाया जा सकें और लंबित मुद्दों का शीघ्र निपटान सुनिश्चित हो सकें।

    यह आदेश एक रिट याचिका पर आया है। इस याचिका में मांग की गई थी कि जिला अदालतों को निर्देश दिया जाए कि वर्चुअल हियरिंग के जरिए लंबित मामलों में साक्ष्य दर्ज करें।

    दिल्ली सरकार के लिए पेश हुए श्री अनुपम श्रीवास्तव ने दलील दी कि जिला न्यायालय की तरफ से दिल्ली सरकार को दो जरूरी प्रस्ताव प्रेषित किए गए थे। यह प्रस्ताव मैनुअल अटैच्ट स्टोरेज और राउटर की खरीद से संबंधित थे और यह दोनों ही वर्चुअल कोर्ट के संचालन के लिए आवश्यक हैं। परंतु अभी इनको मंजूरी नहीं दी गई है,चूंकि उक्त प्रस्तावों का वित्तीय अनुमान एक करोड़ रूपये से ऊपर का हैं।

    श्री श्रीवास्तव ने अदालत को यह भी बताया था कि उक्त मामले को उचित मंजूरी देने के लिए मंत्रिपरिषद के समक्ष रखा जाना है।

    इसके अतिरिक्त, दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित माथुर ने अदालत को बताया कि जिला न्यायालयों के न्यायाधीशों के समक्ष सूचीबद्ध वर्चुअल मामलों में पेश होते समय कानून बिरादरी और मुविक्कलों को बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

    डीएचसीबीए ने प्रस्तुत किया कि पर्याप्त बैंडविड्थ की अनुपस्थिति में, न्यायाधीश CISCO Webex के सॉफ्टवेयर का उपयोग कर रहे हैं, जो एक मुफ्त ऐप है। यह ऐप एक समय में 40 मिनट का स्लॉट प्रदान करती है। जिस कारण कई बार दलीलों के बीच में ही वकील का संपर्क टूट जाता है या वह डिलिंक हो जाता है।

    श्री माथुर ने कहा कि ' दिल्ली सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह लंबित प्रस्तावों पर निर्णय लेने के लिए शीघ्र कदम उठाए, ताकि वर्चुअल कोर्ट में सहज सुनवाई शुरू हो सके।'

    इन प्रस्तुतियों के प्रकाश में, न्यायालय ने कहा कि-

    'हमने पाया है कि जिला न्यायालयों से संबंधित सभी लंबित प्रस्ताव वर्ष 2018 से दिल्ली सरकार के पास लंबित हैं। यह अलग बात है कि मार्च, 2020 से शुरू हुई COVID19 महामारी की स्थिति के कारण, अदालतों को वर्चुअल हियरिंग या सुनवाई का सहारा लेना पड़ रहा है। ऐसे में वुर्चअल कोर्ट के संचालन के लिए पर्याप्त बैंडविड्थ, नेटवर्क अटैच्ट स्टोरेज और राउटर आदि उपलब्ध करना समय की आवश्यकता हो गई है।'

    अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि इस आदेश को दिल्ली सरकार के कानून मंत्री के समक्ष रखा जाए क्योंकि वह मंत्रिपरिषद के समक्ष रखे जाने वाले लंबित प्रस्ताव पर एक नोट तैयार करने की प्रक्रिया में है।

    आदेश की प्रति डाउनलोड करें



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