एनआईए द्वारा वकील की गिरफ्तारी: मद्रास हाईकोर्ट ने कहा, 'आपत्तिजनक' ऑडियो क्लिप सुनेंगे
Shahadat
20 Jun 2023 10:15 AM IST
मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह उस ऑडियो क्लिप को सुनेंगे जिसके आधार पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मदुरै के वकील मोहम्मद अब्बास को गिरफ्तार किया है। कोर्ट ने कहा कि वह उक्त ऑडियो क्लिप के साथ साथ उन अन्य सामग्री को भी देखेगा, जिनके आधार पर एनआईए ने एडवोकेट अब्बास के खिलाफ कार्रवाई की है।
अब्बास एनआईए द्वारा इस साल मई में प्रतिबंधित संगठन- पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से संबंधित एक आपराधिक साजिश के मामले में गिरफ्तार किए गए पांच लोगों में से एक हैं। एनआईए के अनुसार, व्यापक तलाशी करने पर तेज धार वाले हथियारों, डिजिटल डिवाइस और दस्तावेजों सहित आपत्तिजनक सामग्री मिलने के बाद गिरफ्तारियां की गईं।
अब्बास ने अपने खिलाफ कार्रवाई रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया। अब्बास ने कहा कि यह कार्रवाई एनआईए के खिलाफ उनके द्वारा सोशल मीडिया पर की गई कुछ टिप्पणियों का परिणाम है।
जस्टिस एम सुंदर और जस्टिस आर शक्तिवेल की खंडपीठ के सामने जब मामला सुनवाई के लिए आया तो अब्बास की ओर से पेश आर विवेकानंद ने अदालत को सूचित किया कि अब्बास को प्रताड़ित किया जा रहा है, क्योंकि वह नियमित रूप से पीएफआई के लिए अदालतों में पेश होते थे। यह भी प्रस्तुत किया गया कि हालांकि एजेंसी को अब्बास की कथित संलिप्तता के बारे में पता चल गया था, लेकिन चार्जशीट दाखिल करने के समय उन्हें पक्षकार नहीं बनाया।
मदुरै बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने यह भी प्रस्तुत किया कि अब्बास पिछले 16 वर्षों से नियमित लॉ प्रैक्टिशनर हैं और बार काउंसिल के चुनाव भी लड़ चुके हैं। यह भी प्रस्तुत किया गया कि बार के सदस्यों को एजेंसी द्वारा धमकाया जा रहा है।
इस पर एनआईए की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि अब्बास वकील हैं, इससे उन्हें कोई सुरक्षा नहीं दी जा सकती।
खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में वकील को संरक्षण की मांग नहीं की जा रही है, बल्कि यह सुनिश्चित करने की मांग की जा रही है कि वकीलों को एजेंसी द्वारा डराया-धमकाया नहीं जाए।
खंडपीठ ने कहा,
"हम इसे बेंच की मां होने के नाते बार के रूप में देखते हैं। स्वतंत्र न्यायपालिका के लिए निर्भीक बार अनिवार्य है। हम वकीलों के लिए विशेष व्यवहार नहीं देख रहे हैं। हम तभी देख रहे हैं जब कोई डराने-धमकाने की बात हो।'
मेहता ने यह भी कहा कि जांच एजेंसी ने वह सब कुछ किया जो उसे करने की जरूरत है और अब्बास के खिलाफ आपत्तिजनक सामग्री है, जिसमें ऑडियो क्लिप भी शामिल है, जिसके आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया।
उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि अब्बास वकील होने के कारण एजेंसी को सावधानी से कदम उठाना पड़ा और इसलिए सामग्री होने के बावजूद चार्जशीट दाखिल करते समय उन्हें आरोपी के रूप में नामित नहीं किया गया।
मेहता ने तर्क दिया,
“फेसबुक पोस्ट का गिरफ्तारी से कोई लेना-देना नहीं है। यह दुर्भावना के आरोप को जन्म दे सकता है जिस पर वे बहस कर रहे हैं। लेकिन उन्हें ऑडियो क्लिप और अन्य सबूतों के आधार पर गिरफ्तार किया गया, जिन पर अदालतें गौर कर सकती हैं।”
मेहता ने यह भी तर्क दिया कि जिस एकमात्र आधार पर निरस्तीकरण की मांग की जा रही है वह द्वेष है। उन्होंने आगे कहा कि आम तौर पर द्वेष रद्द करने के लिए अच्छा आधार नहीं माना जाता और यह हारने वाले वकील का अंतिम उपाय है। उन्होंने आगे कहा कि द्वेष विशिष्ट दलीलों और तथ्यों से साबित करना होगा और केवल यह कहना कि जांच एजेंसी पक्षपाती है द्वेष के लिए पर्याप्त नहीं होगा।
इस पर विवेकानंद ने कहा कि विशेष रूप से पुलिस सुपरिटेंडेंट के खिलाफ दुर्भावना की दलील दी जा रही है। उन्होंने यह भी प्रस्तुत किया कि एजेंसी को उन सामग्रियों को पेश करने के लिए कहा जाना चाहिए जिन पर वे भरोसा कर रहे हैं।
अदालत ने तब एजेंसी से ऑडियो क्लिप और अन्य सामग्री तैयार रखने को कहा और कहा कि वह उन सामग्रियों को 21 जून को देखेगी।
केस टाइटल: एम मोहम्मद अब्बास बनाम स्टेट व अन्य
केस नंबर : सीआरएल ओपी 12229/2023