वकीलों को जीएसटी/सर्विस टैक्स का भुगतान करने से छूट दी गई है, डिमांड नोटिस जारी करके उन्हें परेशान न करेंः ओडिशा हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
9 April 2021 7:09 AM GMT
उड़ीसा हाईकोर्ट ने जीएसटी कमिश्नर को निर्देश दिया कि वे राज्य के सभी अधिकारियों को जीएसटी आयोग की दरों में स्पष्ट निर्देश जारी करें, ताकि वकीलों को प्रैक्टिस करने के लिए सर्विस टैक्स / जीएसटी के भुगतान के लिए कोई नोटिस न जारी किया जा सके।
मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति बी.पी. राउतराय ने कहा,
"ऐसा प्रतीत होता है कि पूरी तरह से यह जानने के बावजूद कि अधिवक्ता सेवा कर या जीएसटी का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं, जीएसटी आयुक्तालय द्वारा उन्हें नोटिस जारी किए जाते हैं। इस प्रक्रिया पर कोर्ट अपनी चिंता व्यक्त करता है कि अधिवक्ताओं को प्रैक्टिस के कारण उत्पीड़न का सामना नहीं करना चाहिए। विभाग ने उन्हें सेवा कर / जीएसटी का भुगतान करने के लिए नोटिस जारी करने के लिए कहा, जबकि उन्हें इस प्रक्रिया में भी साबित करने के लिए कि वे वकालत की प्रैक्टिस कर रहे हैं, उन्हें ऐसा करने से छूट दी गई है।"
कोर्ट वकील देवी प्रसाद त्रिपाठी द्वारा दायर एक रिट याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें जीएसटी विभाग द्वारा उन्हें जारी किए गए नोटिस को चुनौती दी गई है। पीठ ने प्रिंसिपल कमिश्नर जीएसटी द्वारा दायर जवाबी हलफनामे का खंडन किया।
इस हलफनामे में कहा गया था कि,
"देवी प्रसाद त्रिपाठी के पास पैन होने की जानकारी प्राप्त होने के बाद ओडिशा के माननीय हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले एक व्यक्ति के रूप में एडवोकेट हैं। इसलिए उनके खिलाफ आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी जाती है।"
पीठ ने कहा कि अदालत जिस चीज को लेकर चिंतित है वह यह है कि याचिकाकर्ता को यह दावा करने के लिए "दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करने चाहिए कि वह व्यक्तिगत वकील है और जीएसटी या सेवा कर के प्रावधान के तहत नहीं आता है।"
अदालत ने परिसर में मौजूद अन्य अधिवक्ताओं को भी सुना, जिन्होंने कहा कि उन्हें भी इस तरह के नोटिस मिले हैं।
इस संबंध में आयुक्त को दिशा-निर्देश जारी करने का निर्देश देते हुए पीठ ने कहा कि इस तरह के निर्देशों की प्रतियां उसके समक्ष रखी जाएंगी।
मामले की अगली 22 अप्रैल को होगी।
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