केरल हाईकोर्ट में वकील ने न्यायाधीश के समक्ष मामलों की 'लिमिटिड लिस्टिंग' को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करने के खिलाफ अपील दायर की

Shahadat

21 July 2023 7:08 AM GMT

  • केरल हाईकोर्ट में वकील ने न्यायाधीश के समक्ष मामलों की लिमिटिड लिस्टिंग को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करने के खिलाफ अपील दायर की

    केरल हाईकोर्ट में वकील यशवंत शेनॉय ने जस्टिस मैरी जोसेफ की पीठ के समक्ष मामलों की लिमिटिड लिस्टिंग को चुनौती देने वाली उनकी याचिका खारिज करने के खिलाफ रिट अपील दायर की।

    जस्टिस पीवी कुन्हिकृष्णन की एकल पीठ ने 9 जून, 2023 को उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि कोई निर्देश जारी नहीं किया जा सकता कि न्यायाधीश को एक दिन में एक विशेष नंबर में मामलों की सुनवाई करनी चाहिए।

    उन्होंने कहा,

    "केरल हाईकोर्ट, 1971 के नियमों के नियम 92 के अनुसार, पीठ या न्यायाधीश के पास चीफ जस्टिस द्वारा उसे सौंपे गए मामलों की पोस्टिंग के संबंध में विशेष या सामान्य निर्देश जारी करने का विवेक है।"

    इस अपील में शेनॉय का दावा है कि उनकी याचिका अदालत के समक्ष 'मामलों की सूची' को 20 तक सीमित रखने के मुद्दे पर है, न कि 'उसी तरह सुनवाई' के मुद्दे पर। उनका कहना है कि एकल न्यायाधीश ने 'लिस्टिंग' को 'सुनवाई' समझ लिया और गैर-मुद्दे पर फैसला सुनाया।

    अपील में कहा गया,

    "याचिकाकर्ता ने "लिस्टिंग' के मुद्दे को सुनवाई के मुद्दे से अलग बताते हुए बहुत स्पष्ट रूप से अंतर किया। लिस्टिंग रजिस्ट्री को सौंपी गई प्रक्रिया है, जिसे चीफ जस्टिस के निर्देशों के तहत किया जाना है, जो रोस्टर के मास्टर हैं। 'सुनवाई' न्यायाधीश का विशेषाधिकार है, जो यह तय कर सकता है कि उसके समक्ष सूचीबद्ध कितने मामलों की सुनवाई की जाएगी।

    शेनॉय का कहना है कि रजिस्ट्री ने यह भी स्वीकार किया कि जस्टिस जोसेफ की अदालत की सूची 'अदालत की अनुमति से' तैयार की गई, जो कि चीफ जस्टिस के निर्देशों के खिलाफ थी, जो रोस्टर के मास्टर हैं। उन्होंने कहा कि मामलों को सूचीबद्ध करना रजिस्ट्री की प्रक्रिया है, जिसमें कोई भी न्यायाधीश हस्तक्षेप नहीं कर सकता।

    उनकी अपील में कहा गया कि एकल पीठ ने न्यायाधीशों और न्यायपालिका को बदनाम करने के लिए याचिका को प्रचार हित याचिका बताकर उन पर व्यक्तिगत हमला करके अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया।

    एक्टिंग चीफ जस्टिस अलेक्जेंडर थॉमस और जस्टिस सी. जयचंद्रन की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। हालांकि, शेनॉय ने तर्क दिया कि मामला इस खंडपीठ के समक्ष नहीं आना चाहिए, क्योंकि चीफ जस्टिस को मामले में पहले प्रतिवादी के रूप में रखा गया।

    एसीजे ने तब आश्चर्य जताया कि क्या चीफ जस्टिस को पक्षकार बनाया जा सकता है।

    खंडपीठ ने मामले को गुरुवार तक के लिए स्थगित करते हुए मौखिक रूप से टिप्पणी की,

    "सीपीसी के बारे में मेरी जानकारी के अनुसार, क्या आप (चीफ जस्टिस) पर भी इस तरह मुकदमा कर सकते हैं? सीपीसी के बारे में मेरी सीख के अनुसार, आमतौर पर 'केरल हाईकोर्ट का प्रतिनिधित्व रजिस्ट्रार जनरल द्वारा किया जाता है। मुझे नहीं पता कि क्या आप आधिकारिक क्षमता में भी मुकदमा कर सकते हैं। राज्य सिस्टम है, हाईकोर्ट भी न्यायिक इकाई है। मुझे नहीं पता, आप इसे बेहतर जानते होंगे।"

    केस टाइटल: यशवंत शेनॉय बनाम चीफ जस्टिस, केरल हाईकोर्ट और अन्य।

    केस नंबर: WA 1316/2023 WP(C) 6912/2023 में

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