दिल्ली यूनिवर्सिटी के लॉ स्टुडेंट्स ने अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए लंबित इंटरमीडिएट टर्म एक्ज़ाम रद्द करने की मांग को लेकर बीसीआई को पत्र लिखा

LiveLaw News Network

27 May 2021 5:56 AM GMT

  • दिल्ली यूनिवर्सिटी के लॉ स्टुडेंट्स ने अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए लंबित इंटरमीडिएट टर्म एक्ज़ाम रद्द करने की मांग को लेकर बीसीआई को पत्र लिखा

    दिल्ली यूनवर्सिटी की लॉ फैकल्टी के अंतिम वर्ष के 230 से अधिक छात्रों द्वारा हस्ताक्षरित एक अभ्यावेदन (रिप्रजेंटेशन) एक साल से अधिक समय से लंबित चौथे सेमेस्टर की परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) और दिल्ली यूनिवर्सिटी को सौंपा गया है।

    डीयू की लॉ फैकल्टी 3-वर्षीय एलएलबी पाठ्यक्रम चलाती है। इंटरमीडिएट टर्म की परीक्षाएं पिछले साल COVID-19 के कारण लगाये गये प्रतिबंधों की वजह से स्थगित कर दी गयी थीं और ये अनिश्चित काल के लिए स्थगित हैं। पत्र में लंबित परीक्षाओं को इस आधार पर रद्द करने की मांग की गयी है कि यदि लंबित और आने वाली परीक्षाएं एक साथ ली जाती हैं तो अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों के परीक्षा परिणाम में देरी होगी।

    फैकल्टी के अंतिम वर्ष के छात्र रवि छिकारा द्वारा 230 से अधिक विद्यार्थियों की ओर से दिये गये पत्र में कहा गया है कि यदि लंबित परीक्षाएं रद्द नहीं की गयीं तो अंतिम वर्ष के विद्यार्थी एलएलएम प्रवेश और नौकरियों की निर्धारित अंतिम समय सीमा चूक जायेंगे, क्योंकि लंबित परीक्षाओं के परिणाम घोषित करने से और आगे विलंब होगा। COVID-19 के कारण असाधारण स्थिति का हवाला देते हुए अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं एनएलयू दिल्ली, जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल और अन्य प्रमुख लॉ कॉलेजों में आयोजित परीक्षाओं की तर्ज पर एबीई (असाइनमेंट बेस्ड एक्जामिनेशन) मोड में लेने का भी पत्र में आग्रह किया गया है।

    पत्र में 'ऋत्विक भारद्वाज बी. बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया, रिट याचिका 14389 / 2020' मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश का हवाला दिया गया है जिसमें बीसीआई की उस अधिसूचना को निरस्त कर दिया गया था, जिसके तहत इंटरमीडिएट टर्म एक्ज़ाम को ऑनलाइन मोड में कराने की अनुमति दी गयी थी। हाईकोर्ट ने यह कहते हुए कि इस अधिसूचना में दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया गया है, निर्देश जारी किया था कि लॉ स्टुडेंट्स को इंटरमीडिएट सेमेस्टर के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की कम्पोजिट स्कीम संबंधी गाइडलाइन्स के अनुसार अंक दिये जायें, अर्थात 50 प्रतिशत अंक इंटरनल एसेसमेंट से और 50 प्रतिशत अंक पिछले प्रदर्शन के आधार पर।

    पत्र में बीसीआई और डीयू की लॉ फैकल्टी से पिछले वर्ष से लंबित परीक्षाओं को रद्द करने और आगामी फाइनल सेमेस्टर परीक्षाओं के लिए विद्यार्थियों का मूल्यांकन एबीई मोड में करने का आग्रह किया गया है।

    स्थिति की विशेष जानकारी के लिए यह भी देखें: Pending Exams at Delhi University's Faculty of Law

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