हाईकोर्ट का 'धुरंधर' फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने से इनकार, CBFC को दिया यह निर्देश
Amir Ahmad
1 Dec 2025 4:53 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को अशोक चक्र विजेता दिवंगत मेजर मोहित शर्मा के माता-पिता की उस याचिका को बंद किया, जिसमें फिल्म "धुरंधर" की रिलीज़ पर तुरंत रोक लगाने की मांग की गई थी।
रणवीर सिंह स्टारर यह फिल्म जिसे आदित्य धर ने डायरेक्ट किया, 05 दिसंबर को रिलीज़ होने वाली है।
जस्टिस सचिन दत्ता ने बोर्ड को निर्देश दिया कि फिल्म सर्टिफिकेशन पर फैसला लेने से पहले माता-पिता द्वारा अपनी याचिका में उठाए गए मुद्दों पर विचार और जांच करें।
माता-पिता की ओर से पेश वकील ने कहा कि यह मामूली समानता का मामला नहीं है बल्कि फिल्म शर्मा की विरासत पर आधारित है। उन्होंने कहा कि भले ही प्रोड्यूसर फिल्म में फिक्शन होने का दावा करें लेकिन दर्शक और मीडिया दोनों ही एक्टर रणवीर सिंह द्वारा निभाए गए मुख्य किरदार को शर्मा के रूप में पहचानते हैं।
प्रोड्यूसर्स की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सौरभ कृपाल ने कहा कि शर्मा को जम्मू में गोली मारी गई, जबकि फिल्म एक भारतीय स्पेशल फोर्सेज ऑफिसर के बारे में है और पाकिस्तान पर आधारित है। उन्होंने कहा कि लोकेशन अलग है।
उन्होंने कहा कि फिल्म फिक्शन पर आधारित है और मेजर शर्मा के जीवन पर आधारित नहीं है।
एडवोकेट आशीष दीक्षित CBFC की ओर से पेश हुए और बताया कि फिल्म सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया चल रही है और फिल्म फिक्शन पर आधारित है।
चूंकि माता-पिता के वकील ने परिवार के लिए प्राइवेट स्क्रीनिंग का अनुरोध किया था, इसलिए कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि फिल्म के सर्टिफिकेशन का मामला अभी भी CBFC के विचाराधीन है।
कोर्ट ने सर्टिफिकेशन बोर्ड को निर्देश दिया कि वह शर्मा के परिवार द्वारा याचिका में उठाई गई चिंताओं पर विचार करे और मामले को जल्द से जल्द निपटाए।
जज ने बोर्ड से यह भी पूछा है कि क्या इस मामले को भारतीय सेना की विशेषज्ञ संस्था को भेजा जाना चाहिए।
अपनी याचिका में माता-पिता ने कहा कि फिल्म उनकी सहमति के बिना उनके बेटे के जीवन, व्यक्तित्व, अंडरकवर ऑपरेशन और शहादत से सीधे तौर पर प्रेरित लगती है।
याचिका में कहा गया कि फिल्म का ट्रेलर, कैरेक्टर डिज़ाइन, मिलिट्री सेटिंग और कहानी साफ तौर पर मेजर मोहित शर्मा के असली जीवन के ऑपरेशन और बलिदान को दिखाती है। शर्मा 2009 में कुपवाड़ा में एक आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन के दौरान शहीद हो गए।
परिवार का कहना है कि उनकी इजाज़त के बिना इस तरह से दिखाना, भारत के संविधान के आर्टिकल 21 के तहत उनकी प्राइवेसी, गरिमा, इज़्ज़त और शहीद के मरने के बाद के पर्सनैलिटी राइट्स का उल्लंघन है।
माता-पिता ने कहा कि इंडियन आर्मी के एडिशनल डायरेक्टरेट जनरल ऑफ पब्लिक इंफॉर्मेशन (ADGPI) से कोई पहले से इजाज़त या स्क्रिप्ट की जांच नहीं करवाई गई।
इस याचिका में प्रतिवादी थे सूचना और प्रसारण मंत्रालय के ज़रिए भारत सरकार, सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन, ADGPI, इंडियन आर्मी आदित्य धर (डायरेक्टर और को-प्रोड्यूसर), जियो स्टूडियोज़ और ज्योति देशपांडे (प्रोड्यूसर)।
फिल्म पर रोक लगाने के अलावा याचिका में पब्लिक रिलीज़ से पहले परिवार के लिए प्राइवेट स्क्रीनिंग का भी निर्देश मांगा गया।
परिवार ने यह भी मांग की कि किसी भी असली मिलिट्री शहीद को दिखाने वाली कोई भी फिल्म कानूनी वारिसों और इंडियन आर्मी से सही इजाज़त के बिना रिलीज़ नहीं की जानी चाहिए।

