लखीमपुर खीरी हिंसा: इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष शिकायतकर्ता को आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर काउंटर हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया

Shahadat

10 May 2022 11:38 AM GMT

  • लखीमपुर खीरी हिंसा: इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष शिकायतकर्ता को आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर काउंटर हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में शिकायतकर्ता को प्रमुख आरोपी और केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा द्वारा दायर जमानत याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया।

    इलाहाबाद हाईकोर्ट के जमानत आदेश को चुनौती देने वाले पीड़ितों द्वारा दायर अपील की अनुमति देते हुए मिश्रा की जमानत याचिका को पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट द्वारा नए सिरे से विचार के लिए हाईकोर्ट में वापस भेज दिया गया था।

    हाईकोर्ट ने 10 फरवरी को आशीष मिश्रा को यह देखते हुए जमानत दे दी थी कि इस बात की संभावना हो सकती है कि चालक (थार के) ने खुद को बचाने के लिए वाहन को तेज करने की कोशिश की, जिसके कारण घटना हुई थी।

    इसके बाद पीड़ित हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में चले गए थे। हालांकि, विशेष जांच दल की निगरानी करने वाले न्यायाधीश द्वारा इस आशय की सिफारिश के बावजूद उत्तर प्रदेश राज्य ने जमानत आदेश को चुनौती नहीं दी।

    लखीमपुर खीरी मामले में आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा मामले के पीड़ितों को जमानत देने से पहले उनकी सुनवाई से इनकार करने पर निराशा व्यक्त की थी।

    अदालत ने केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को जमानत देने में हाईकोर्ट द्वारा दिखाई गई "फटने की जल्दी" के बारे में भी आलोचनात्मक टिप्पणी की।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट को अभियुक्तों की जमानत याचिकाओं की सुनवाई में भाग लेने के पीड़ितों के अधिकारों को स्वीकार करना चाहिए। लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए किसानों के करीबी रिश्तेदारों ने हाईकोर्ट के समक्ष मिश्रा द्वारा दायर जमानत याचिका में हस्तक्षेप करने की मांग की थी। हालांकि, उनके वकील प्रभावी प्रस्तुतियां नहीं दे सके, क्योंकि वे वर्चुअल सुनवाई के दौरान डिस्कनेक्ट हो गए थे। हालांकि उन्होंने सुनवाई के लिए एक आवेदन दायर किया, लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर विचार नहीं किया।

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा कांड के चार मुख्य आरोपियों को जमानत देने से इनकार करते हुए सोमवार को कहा था कि अगर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने किसानों को खदेड़ने की धमकी देने वाला कथित बयान नहीं दिया होते तो लखीमपुर खीरी में हिंसक घटना नहीं हुई होती।

    अब मामला हाईकोर्ट में वापस भेजे जाने के बाद जस्टिस कृष्ण पहल की खंडपीठ के समक्ष है, जिन्होंने पीड़ित जगजीत सिंह को जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया। इसके साथ ही मामले को 25 मई, 2022 को आगे की सुनवाई के लिए टाल दिया गया।

    जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने कहा,

    "ऊंचे पदों पर बैठे राजनीतिक व्यक्तियों को समाज में इसके नतीजों को देखते हुए एक सभ्य भाषा अपनाते हुए सार्वजनिक बयान देना चाहिए। उन्हें गैर-जिम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए क्योंकि उन्हें अपनी स्थिति और उच्च पद की गरिमा के अनुरूप आचरण करना आवश्यक है।"

    अदालत ने यह भी पाया कि जब क्षेत्र में सीआरपीसी की धारा 144 लागू की गई तो कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन क्यों किया गया और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने वहां कार्यक्रम में मुख्य अतिथि आदि के रूप में क्यों आए? अदालत ने यह कहते हुए कि सांसदों को कानून का उल्लंघन करने वाले के रूप में नहीं देखा जा सकता। अदालत ने कहा कि इस पर विश्वास नहीं होता कि राज्य के उपमुख्यमंत्री की जानकारी में य्ह नहीं था कि क्षेत्र में धारा 144 सीआरपीसी के प्रावधानों को लागू किया गया है और कोई भी वहां कोई भी सभा करना निषिद्ध है।

    गौरतलब है कि कोर्ट ने अपराध की स्वतंत्र, निष्पक्ष और वैज्ञानिक जांच करने के लिए विशेष जांच दल के प्रयासों की सराहना की। इसके साथ ही, बेंच ने कहा कि आरोप पत्र में आरोपी-आवेदक और अपराध के सह-अभियुक्त के खिलाफ भारी सबूतों का खुलासा किया गया है, जिसे क्रूर, शैतानी, बर्बर, भ्रष्ट, और अमानवीय करार दिया गया है। आरोपियों पर लगाये आरोप न्यायालय के समक्ष अभियोजन पक्ष द्वारा यह प्रस्तुत किया गया कि घटना की तारीख से पहले केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ ​​टेनी ने किसानों को धमकी दी थी और इसलिए वे धमकियों और बयानों से नाराज और उत्तेजित थे। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री, किसानों ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री की उक्त धमकियों के खिलाफ एक विरोध बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया था।

    केस का शीर्षक - आशीष मिश्रा @ मोनू बनाम यू.पी. राज्य [आपराधिक विविध। जमानत आवेदन नंबर - 2021 का 13762]

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