'प्रारंभिक ज्ञान भी नहीं है': जेएंडकेएंड एल हाईकोर्ट ने सरकार को अतिरिक्त उपायुक्त राजौरी से कृषि सुधार अधिनियम के तहत शक्तियां वापस लेने का निर्देश दिया

Avanish Pathak

27 Oct 2022 7:51 AM GMT

  • Consider The Establishment Of The State Commission For Protection Of Child Rights In The UT Of J&K

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में राजौरी जिले में एक अतिरिक्त उपायुक्त द्वारा प्रदर्शित भूमि कानूनों पर स्वतः संज्ञान लिया। कोर्ट ने कहा, कानूनों में "प्रारंभिक ज्ञान" तक की कमी है। अतिरिक्‍त उपायुक्त को कृषि सुधार अधिनियम, 1976 की शक्तियां प्रदान की गई हैं और उसे भू-राजस्व अधिनियम, 1996 के तहत कलेक्टर की भी शक्तियां प्रदान की गई है।

    जस्टिस राहुल भारती की पीठ ने वित्तीय आयुक्त राजस्व/ आयुक्त, कृषि सुधार को संबंधित अधिकारी से ऐसी शक्तियों को वापस लेने का निर्देश दिया।

    उक्त अधिकारी की ओर से दो म्यूटेशनों को खारिज करने के एक आदेश का हवाला देते हुए, पीठ ने कहा,

    "पूर्व दृष्टया आदेश खराब है, क्योंकि आक्षेपित आदेश के समापन में कोई निर्देश नहीं दिया गया है कि म्यूटेशन को रद्द करने के बाद आगे क्या करना है ... आदेश इस पर अतिरिक्त उपायुक्त/कलेक्टर की ओर से विवेक के गैर-प्रयोग का नमूना है..."

    अदालत जम्मू-कश्मीर कृषि सुधार अधिनियम की धारा 4 और कृषि सुधार अधिनियम की धारा 8 के तहत दो म्यूटेशनों की बहाली की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

    जस्टिस भारती ने कहा कि अतिरिक्त उपायुक्त, राजौरी ने "एक पेज के आदेश" के ज‌रिए म्यूटेशन को रद्द कर दिया।

    आदेश में कहा गया,

    "यह अदालत स्वतः संज्ञान से इस तथ्य पर ध्यान दे रही है कि संबंधित अधिकारी, जिसने आक्षेपित आदेश पारित किया है, उसे भूमि राजस्व अधिनियम से संबंधित कानून के साथ-साथ अन्य मौजूद कानूनों का प्रारंभिक ज्ञान भी नहीं है।"

    इस प्रकार कोर्ट ने म्यूटेशन रद्द करने के आक्षेपित आदेशों के संचालन पर रोक लगा दी और प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए, जिनकी 5 दिसंबर तक वापसी करनी होगी।

    केस टाइटल: मो. बशीर बनाम केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर

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