केएचसीएए महिला वकीलों के यौन उत्पीड़न की शिकायतों के निवारण के लिए आंतरिक समिति के गठन की मांग के प्रस्ताव पर विचार करेगा
LiveLaw News Network
23 March 2022 7:00 AM IST
केरल हाई कोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन (केएचसीएए) की जनरल बॉडी ने एसोसिएशन के भीतर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की शिकायतों के निवारण के लिए एक आंतरिक समिति के गठन के संबंध में प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए एक बैठक का आयोजन किया। प्रस्ताव एडवोकेट बॉबी एम शेखर और 117 अन्य सदस्यों की ओर से पेश किया गया था।
जनरल बॉडी ने सर्वसम्मति से संकल्प का अध्ययन करने और एसोसिएशन के उपनियमों में संशोधन का प्रस्ताव करने के लिए एक समिति का गठन करने का संकल्प लिया।
बैठक में केएचसीएए के अध्यक्ष एडवोकेट राजेश विजयन ने कहा कि कार्यकारी समिति सर्वसम्मति से सदस्यों के प्रस्ताव का स्वागत करती है। यह आगे बताया गया कि मेधा कोतवाल लेले और अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य [(2013) 1 एससीसी 29] में सुप्रीम कोर्ट ने बार काउंसिल को विशाखा दिशानिर्देशों के अनुरूप नियम बनाने का निर्देश दिया था।
संकल्प में, इस बात पर प्रकाश डाला गया कि कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013, (POSH अधिनियम), एक आंतरिक शिकायत समिति (ICC) की संरचना का निर्धारण करता है।
अधिवक्ताओं ने आगे बताया कि यद्यपि केएचसीएए ने अपने सदस्यों की सुरक्षा और कल्याण के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए हैं, लेकिन महिला वकीलों की शिकायतों को दूर करने के लिए स्थायी आंतरिक शिकायत समिति के गठन के लिए आज तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है।
संकल्प में कहा गया है, "कानूनी पेशे में महिला वकीलों की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में तेजी से वृद्धि हुई है। कानूनी क्षेत्र में महिलाओं का योगदान भी पर्याप्त है। लेकिन, कानूनी पेशे में महिलाओं को किसी भी अन्य कार्यस्थल की तरह ही मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, जिसमें यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार शामिल है। लैंगिक समानता के संवैधानिक अधिकार और पेशे का अभ्यास करने के अधिकार को ध्यान में रखते हुए, एक तंत्र तैयार करना अनिवार्य है, जिसका उद्देश्य कानूनी पेशे में महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकना है।"
कानूनी पेशे में महिलाओं की बढ़ती मौजूदगी के मद्देनजर आग्रह किया कि एक स्थायी आंतरिक समिति का गठन और महिला सदस्यों के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायतों को दूर करने के लिए एक व्यापक तंत्र समय की आवश्यकता है और वह यह एसोसिएशन का कर्तव्य है कि वह अपनी महिला सदस्यों के लिए एक सुरक्षित कार्यस्थल सुनिश्चित करे।
यह ध्यान रखना जरूरी है कि केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में सभी फिल्म निर्माण इकाइयों और संबद्ध संगठनों को एक आंतरिक शिकायत समिति स्थापित करने के लिए 10 से अधिक महिला श्रमिकों को शामिल करने का निर्देश दिया था।