सरकारी लॉ कॉलेजों में ट्रांसजेंडर आरक्षण की मांग वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने BCI को बनाया पक्षकार
Amir Ahmad
25 Aug 2025 1:51 PM IST

केरल हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को उस रिट याचिका में पक्षकार बनाया, जिसमें सरकारी लॉ कॉलेजों में इंटीग्रेटेड पांच वर्षीय एलएल.बी. कोर्स में ट्रांसजेंडर श्रेणी के लिए आरक्षण की मांग की गई।
यह कदम उस समय उठाया गया जब राज्य सरकार ने अदालत को सूचित किया कि ट्रांसजेंडर श्रेणी के लिए दो अतिरिक्त सीटें सृजित करने का उसका प्रस्ताव फिलहाल BCI की स्वीकृति के लिए लंबित है।
याचिकाकर्ता लॉ स्टूडेंट हैं। उसने विशेष रूप से सरकारी लॉ कॉलेज कोझिकोड को निर्देश देने की मांग की, जिसने केरल लॉ एंट्रेंस एग्जामिनेशन में आवश्यक अंक प्राप्त करने के बावजूद उसे एडमिशन देने से इनकार कर दिया।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि ट्रांसजेंडर स्टूडेंट्स के लिए एक सीट आरक्षित रखी जानी चाहिए, क्योंकि अन्य कोर्सों में सरकारी कॉलेजों में पहले से ही ट्रांसजेंडर स्टूडेंट्स के लिए सीटें आरक्षित हैं।
जस्टिस एन. नागरेश ने मौखिक रूप से कहा,
“सरकार ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए दो अतिरिक्त सीटें बनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया से स्वीकृति मांगी गई। ये दो अतिरिक्त सीटें स्वीकृत की जाएंगी। इसलिए फिलहाल सीटें खाली रखने की जरूरत नहीं है।”
याचिकाकर्ता का कहना है कि उसने केरल लॉ एंट्रेंस एग्जामिनेशन में आवश्यक योग्यता अंक प्राप्त किए, जिससे उसका नाम रैंक सूची में शामिल होना चाहिए था लेकिन ट्रांसजेंडर कैटेगरी के तहत उसे एडमिशन नहीं दिया गया।
याचिका में आगे यह भी मांग की गई कि सरकार को सभी सरकारी लॉ कॉलेजों और उसके नियंत्रण वाले अन्य शैक्षणिक संस्थानों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए आरक्षण लागू करने का निर्देश दिया जाए।
याचिका में दलील दी गई कि लॉ कॉलेज द्वारा अपने आवंटन सूची में ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों के लिए अलग श्रेणी/आरक्षण स्लॉट प्रदान न करना याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 का उल्लंघन है।
केस टाइटल: एसाई क्लारा बनाम राज्य केरल

