हाईकोर्ट ने एडवोकेट्स एक्ट की धारा 58 के तहत BCI को एनरोलमेंट कराने का निर्देश दिया

Amir Ahmad

25 Aug 2025 1:39 PM IST

  • हाईकोर्ट ने एडवोकेट्स एक्ट की धारा 58 के तहत BCI को एनरोलमेंट कराने का निर्देश दिया

    केरल हाईकोर्ट ने एडवोकेट्स एक्ट, 1961 की धारा 58(1) के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए लॉ ग्रेजुएट्स के एनरोलमेंट के हितों की रक्षा के लिए हस्तक्षेप किया।

    जस्टिस एन. नागरेश ने याचिका पर सुनवाई करते हुए यह अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें याचिकाकर्ता ने केरल राज्य बार काउंसिल से लॉ ग्रेजुएट्स का नामांकन कराने का निर्देश देने की मांग की थी।

    याचिकाकर्ता का कहना था कि उसने जून, 2025 में केरल बार काउंसिल (प्रतिवादी नंबर 4) से एनरोलमेंट की अगली अधिसूचना के बारे में जानकारी मांगी थी लेकिन उसे बताया गया कि अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया। याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया कि वह एडवोकेट्स एक्ट की धारा 58 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग कर नामांकन की प्रक्रिया को संचालित करे।

    याचिका में दो विभाजन पीठों के फैसलों का हवाला दिया गया। एक ओर रिट अपील नंबर 788/2024 में पीठ ने BCI द्वारा गठित तीन समितियों कार्यालय धारक समिति कार्यकारी समिति और एनरोलमेंट कमेटी बरकरार रखी थी।

    वहीं दूसरी ओर यशवंत शेनॉय बनाम बार काउंसिल ऑफ केरल में दूसरी पीठ ने माना कि वर्तमान बार काउंसिल ऑफ केरल वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए कार्य कर रही है, क्योंकि इसके सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, नए चुनाव नहीं हुए हैं और न ही एडवोकेट्स एक्ट 1961 की धारा 8A के तहत BCI द्वारा कोई विशेष समिति गठित की गई।

    इन परस्पर विरोधी फैसलों से भविष्य के नामांकनों की वैधता पर अनिश्चितता पैदा हो गई, जिससे यह आशंका बनी कि वर्तमान परिषद के तहत नामांकित वकीलों की स्थिति को कानूनी चुनौती दी जा सकती है।

    याचिकाकर्ता ने दलील दी कि यदि अदालत ने हस्तक्षेप नहीं किया तो लॉ ग्रेजुएट्स को भविष्य में अपूरणीय क्षति हो सकती है। अदालत को यह भी सूचित किया गया कि यशवंत शेनॉय बनाम बार काउंसिल ऑफ केरल के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की गई है, जो लंबित है।

    राज्य बार काउंसिल ने अदालत को बताया कि नामांकन के लिए पोर्टल 25 अगस्त 2025 से खुला है।

    स्थिति पर संज्ञान लेते हुए जस्टिस नागरेश ने एडवोकेट्स एक्ट की धारा 58(1) के तहत शक्तियों का प्रयोग किया। इस प्रावधान के अनुसार यदि कोई राज्य बार काउंसिल गठित नहीं है या किसी न्यायालय के आदेश या अन्य कारण से अपने कार्य करने में असमर्थ है तो वकीलों के एडमिशन और एनरोलमेंट से संबंधित कार्य हाईकोर्ट द्वारा किए जाएंगे।

    अदालत ने अंतरिम व्यवस्था के तहत BCI द्वारा गठित नामांकन समिति को नामांकन कराने का निर्देश दिया। समिति को नामांकन की तारीख तय कर पूरी प्रक्रिया के बाद रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया।

    यह अंतरिम व्यवस्था लंबित याचिका में आगे के आदेशों के अधीन रहेगी। मामला अब एक महीने बाद फिर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया।

    केस टाइटल: स्टीफन वी. थॉमस बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया

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