मनोरोग रोगी हिरासत में रखने से उसकी बीमारी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगाः केरल हाईकोर्ट ने जमानत दी

Shahadat

15 Sept 2022 10:48 AM IST

  • मनोरोग रोगी हिरासत में रखने से उसकी बीमारी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगाः केरल हाईकोर्ट ने जमानत दी

    केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक आरोपी को इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए जमानत दे दी कि वह मानसिक बीमारी से पीड़ित है और उसे और ज्यादा हिरासत में रखने से उसकी बीमारी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

    जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने कहा कि चूंकि जांच का बड़ा हिस्सा समाप्त हो गया है और याचिकाकर्ता मनोरोग रोगी है। वह पहले ही तीन सप्ताह से अधिक जेल में बिता चुका है। उसे जेल में और हिरासत में रहने से उसकी बीमारी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

    कोर्ट ने कहा,

    इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता मानसिक बीमारी से पीड़ित है और वह पिछले 3 सप्ताह से अधिक समय से जेल में है, मेरा विचार है कि जेल में उसकी और हिरासत से उसकी बीमारी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

    अभियोजन का मामला यह है कि जब अन्य मामले को लेकर जांच के संबंध में पुलिस द्वारा याचिकाकर्ता को बुलाया गया तो उसने अपने कुत्ते के साथ अपनी कार को लेकर गुरुवयूर पुलिस स्टेशन परिसर में प्रवेश किया, जिससे पुलिस स्टेशन के गेट को नुकसान पहुंचा; उसने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अपशब्द भी कहे और जान से मारने की धमकी भी दी। उसने कुदाल को भी अपने कब्जे में ले लिया और उसे इधर-उधर घुमाया। उसने ग्रेड एसआई पर भी हमला किया, जिसने हस्तक्षेप करने की कोशिश की। इससे पुलिस अधिकारियों के आधिकारिक कर्तव्य में बाधा उत्पन्न हुई।

    जमानत की अर्जी जब कोर्ट के सामने आई तो याचिकाकर्ता के वकील केआर विनोद, एम एस लेथा, केएस श्रीरेखा और नबील खादर की ओर से पेश वकीलों ने कहा कि याचिकाकर्ता निर्दोष है और उसे मामले में झूठा फंसाया गया। इसके अलावा, यह तर्क देते हुए कि याचिकाकर्ता को कथित अपराध से जोड़ने के लिए कोई सामग्री नहीं है, इसलिए वह जमानत पाने का हकदार है।

    लोक अभियोजक एडवोकेट आशी एम सी ने इसके विपरीत जमानत देने का विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि कथित घटना याचिकाकर्ता के जानबूझकर आपराधिक कृत्यों के हिस्से के रूप में हुई। यदि याचिकाकर्ता को इस स्तर पर जमानत पर रिहा किया जाता है तो यह प्रतिकूल रूप से जांच को प्रभावित करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता ने राज्य को पंद्रह हजार रुपये का नुकसान पहुंचाया है, इसलिए याचिकाकर्ता को इसे निचली अदालत में जमा करने का निर्देश दिया जाए।

    केस डायरी को देखने के बाद कोर्ट ने पाया कि प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता को अपराध से जोड़ने के लिए रिकॉर्ड पर सामग्री है। हालांकि, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि जांच का बड़ा हिस्सा समाप्त हो गया और याचिकाकर्ता मानसिक बीमारी से पीड़ित है, अदालत ने याचिकाकर्ता की पत्नी और भाई को अदालत के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया। उन्होंने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता को इलाज की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाता है तो वे पूरी जमानत अवधि के दौरान उसकी देखभाल करने के लिए तैयार हैं और उसे पर्याप्त उपचार प्रदान किया जाएगा।

    इस प्रकार, अदालत ने याचिकाकर्ता को कुछ शर्तों के अधीन जमानत दी, इस तथ्य पर विचार करते हुए कि याचिकाकर्ता ने जेल में तीन सप्ताह से अधिक समय बिताया है और आगे की हिरासत से उसकी बीमारी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

    लोक अभियोजक द्वारा किए गए प्रस्तुतीकरण को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने याचिकाकर्ता को दो सप्ताह के भीतर निचली अदालत में पंद्रह हजार रुपये जमा करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की पत्नी और भाई को याचिकाकर्ता की देखभाल करने और उसे पर्याप्त इलाज मुहैया कराने का भी निर्देश दिया।

    केस टाइटल: विन्सन बनाम केरल राज्य

    साइटेशन: लाइव लॉ (केर) 485/2022

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