केरल हाईकोर्ट ने कन्नूर विश्वविद्यालय में कुलपति की पुनर्नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

LiveLaw News Network

15 Dec 2021 9:02 AM GMT

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    केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में डॉ गोपीनाथ रवींद्रन की पुनर्नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।

    न्यायमूर्ति अमित रावल ने यह टिप्पणी करते हुए याचिका खारिज की कि दोनों पक्षतकारों ने मामले में बहुत अच्छी तरह से तर्क दिए।

    वरिष्ठ अधिवक्ता जॉर्ज पूनथोट्टम और अधिवक्ता निशा जॉर्ज के माध्यम से दायर याचिका में आरोप लगाया गया कि रवींद्रन को कन्नूर विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 10 (9) में निहित निषेध के पूर्ण अवहेलना में कुलपति के रूप में फिर से नियुक्त किया गया है।

    रवींद्रन को सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद 2017 में कुलपति के रूप में नियुक्त किया गया था। हालांकि, इस साल उनका कार्यकाल समाप्त हो गया और यह पद रिक्त हो गया था।

    नए कुलपति के चयन के लिए कदम उठाए जा रहे थे। आश्चर्यजनक रूप से योग्य उम्मीदवारों के लिए अधिसूचना वापस ले ली गई और गठित चयन समिति को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया गया।

    अगले ही दिन कुलाधिपति ने रवींद्रन को अगले चार साल के लिए कुलपति के रूप में फिर से नियुक्त करने की सूचना दी।

    याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि पुनर्नियुक्ति के प्रश्न पर विचार करते हुए, ऐसा माना गया उम्मीदवार शुरू में धारा 10 (9) में प्रदान की गई शर्तों को पूरा करेगा क्योंकि नियुक्ति और पुनर्नियुक्ति के बीच कोई अंतर नहीं है।

    उन्होंने कहा कि इस तरह की नियुक्ति केवल यूजीसी विनियमों के खंड 7.3 के तहत प्रदान की गई प्रक्रिया को पूरा करने के बाद ही हो सकती है।

    यह दोहराया गया कि जब धारा 10 (10) में निहित प्रावधान के आधार पर पुनर्नियुक्ति की जाती है, तो कानून कुलपति का पद धारण करने वाले पदधारी के मामले में छूट प्रदान नहीं करता है।

    उन्होंने तर्क दिया कि यह तथ्य कि रवींद्रन का चयन और नियुक्ति 2017 में चयन की प्रक्रिया के बाद की गई थी, उक्त प्रक्रिया को दरकिनार करने का कोई कानूनी औचित्य नहीं है और इसलिए उनकी नियुक्ति को कानून के अनुसार नियुक्ति के रूप में वर्णित नहीं किया जा सकता है।

    याचिकाकर्ताओं ने इन आधारों पर प्रार्थना की कि कोर्ट रवींद्रन की पुनर्नियुक्ति के लिए रिकॉर्ड को मांगे और पुनर्नियुक्ति को रद्द किया जाए।

    केस का शीर्षक: डॉ प्रेमचंद्रन कीज़ोथ एंड अन्य बनाम कुलाधिपति, कन्नूर विश्वविद्यालय एंड अन्य।

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