केरल हाईकोर्ट ने सहमति से यौन संबंध बनाने के बाद बलात्कार की शिकायत करने वाली महिला के खिलाफ पुलिस कार्रवाई का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

23 Feb 2021 9:45 AM GMT

  • केरल हाईकोर्ट ने सहमति से यौन संबंध बनाने के बाद बलात्कार की शिकायत करने वाली महिला के खिलाफ पुलिस कार्रवाई का निर्देश दिया

    Kerala High Court

    केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को पुलिस को निर्देश दिया है कि उस महिला के खिलाफ तेजी से कानूनी कार्रवाई की जाए,जिसने एक व्यक्ति के साथ सहमति से संभोग करने के बाद उसके खिलाफ झूठी बलात्कार की शिकायत दर्ज करवाई थी।

    महिला ने शिकायत दर्ज कराई थी कि एक जूनियर हेल्थ इंस्पेक्टर ने उस समय उसके साथ जबरन बलात्कार किया,जब वह COVID19 के कारण क्वारंटीन थी। पिछले साल नवंबर में, हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत दे दी थी क्योंकि महिला ने एक हलफनामा दायर कर कहा था कि उनके बीच संभोग आपसी सहमति पर आधारित था। उस समय तक आरोपी ने हिरासत में 77 दिन बिता लिए थे। हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत देते हुए राज्य पुलिस प्रमुख को महिला के खिलाफ जांच करने का निर्देश दिया था।

    पुलिस द्वारा दायर की गई जांच रिपोर्ट को देखने के बाद अदालत ने सोमवार को कहा कि यह पता चला है कि ''यह एक झूठा मामला है'' और पुलिस ने आईपीसी की धारा 182 के तहत उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का फैसला किया है (झूठी सूचना, लोक सेवक को किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुंचाने के लिए अपनी वैध शक्ति का उपयोग करने के इरादे से)।

    ''मैं इसमें कोई और अवलोकन नहीं करना चाहता हूं क्योंकि यह मामला डी फैक्टो शिकायतकर्ता के खिलाफ दर्ज होने वाला है और इसकी छानबीन जांच अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए। इस आदेश में की गई किसी भी टिप्पणी पर ध्यान दिए बिना संबंधित अधिकारी मामले की जांच करें।''

    न्यायमूर्ति पीवी कुन्हीकृष्णन की एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा, ''मैं यह स्पष्ट करता हूं कि राज्य पुलिस प्रमुख इस मामले की जांच एक सक्षम अधिकारी को सौंपेंगे और अधिकारी कानून के अनुसार जांच में तेजी लाएगा।''

    अदालत ने कहा कि इस सनसनीखेज खबर के कारण राज्य में स्वास्थ्य कर्मचारियों का मनोबल प्रभावित हुआ है।

    ''इस मामले में, मुझे एफआईआर के समय ही एक आपराधिक मामले को सनसनीखेज बनाने के बारे में अवलोकन करना होगा। इस मामले का विवरण प्रिंट मीडिया के प्रथम पृष्ठ पर था और दृश्य मीडिया में फ्लैश न्यूज थी। इस सनसनीखेज खबर के कारण राज्य में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का मनोबल प्रभावित हुआ है।''

    ''अब जांच रिपोर्ट आ गई। याचिकाकर्ता की कार्रवाई बतौर एक जूनियर हेल्थ इंस्पेक्टर के तौर पर नैतिक रूप से खराब हो सकती है। लेकिन जांच रिपोर्ट के आलोक में, कोई आपराधिक अपराध आकर्षित नहीं होता है क्योंकि महिला की उम्र 44 वर्ष है और उसने कहा है कि उसने आपसी सहमति से याचिकाकर्ता के साथ सेक्स किया था।''

    अदालत ने कहा, ''लेकिन राज्य में COVID19 के खिलाफ दिन-रात काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों को जो नुकसान हुआ है,वह अपूरणीय है।'' अदालत ने आशा व्यक्त की है कि प्रिंट और विजुअल मीडिया मूल भावना के साथ इस जांच रिपोर्ट को भी प्रकाशित करेगा ताकि राज्य में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को नैतिक बढ़ावा मिल सकें।

    कथित बलात्कार की सूचना तिरुवनंतपुरम जिले में सितंबर माह के पहले सप्ताह में दी गई थी। पुलिस ने अनुसार होम नर्स के तौर पर काम करने वाली 44 वर्षीय महिला जब अपने घर आई तो उसे स्वास्थ्य अधिकारी ने क्वारंटीन होने के लिए कहा था।

    पुलिस ने बताया कि उसने एंटीजन टेस्ट करवाया था, जो नकारात्मक था। जिसके बाद अधिकारी ने उससे कहा कि वह उसके फ्लैट पर आकर अपना टेस्ट सर्टिफिकेट ले जाए।

    महिला ने अपनी शिकायत में बताया कि वह 3 सितंबर को उसके घर गई थी। जिसके बाद उसे जबरन बांध दिया गया और उसका यौन उत्पीड़न किया गया और उसे अगले दिन ही छोड़ा गया।

    राज्य महिला आयोग ने स्वयं स्वास्थ्य अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज किया था और राज्य स्वास्थ्य सचिव को उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया था।

    नवंबर में आरोपी को जमानत देते हुए हाईकोर्ट ने कहा थाः ''एक झूठी शिकायत के आधार पर एक व्यक्ति लगभग 77 दिनों तक जेल में रहा है। यह अदालत ऐसी स्थितियों में अपनी आंख बंद नहीं कर सकती है।''

    अदालत ने कहा था कि,

    ''मैं इस हलफनामे को पढ़ने के बाद हैरान हूं। उपरोक्त मामले का दर्ज होना, राज्य में मीडिया द्वारा व्यापक रूप से कवर किया गया था। केरल में लगभग सभी लोग इस मामले के बारे में जानते हैं। आरोप है कि एक स्वास्थ्य निरीक्षक ने उस महिला से बलात्कार किया,जो उसके पास COVID19नेगेटिव प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आई थी। पीड़ित द्वारा दिए गए पहले सूचना विवरण को पढ़ने के बाद, इस अदालत ने याचिकाकर्ता को जमानत देने से भी इनकार कर दिया था क्योंकि बयान में लगाया गया आरोप बहुत गंभीर था। उसने यहां तक कहा था कि उसके दोनों हाथ उसकी पीठ की तरफ बांध दिए गए थे और मुंह को एक डोथी से बंद कर दिया गया था। तत्पश्चात उसके साथ बलपूर्वक बलात्कार किया गया था। अब यह पीड़ित इस कोर्ट के सामने एक नोटरी अटेस्टेड शपथपत्र में कह रही है कि ऐसी कोई घटना नहीं है और यह संबंध आपसि सहमति से बनाए गए थे। हलफनामे में कहा गया है कि उसने अपने रिश्तेदारों के दबाव के कारण पुलिस को ऐसा बयान दिया था।''

    आदेश पढ़ने/ डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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