केरल हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न के मामलों में मोनसन मावुंकल को जमानत देने से इनकार किया
Brij Nandan
14 July 2022 2:49 PM IST
केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने कुख्यात फेक एंटीक डीलर मोनसन मावुंकल (Monson Mavunkal) द्वारा दायर उन मामलों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी, जहां कई महिलाओं ने उन पर यौन शोषण (Sexual Assault) का आरोप लगाया है।
जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने जमानत अर्जी को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें कोई दम नहीं है।
याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज मामलों में से एक पोक्सो मामला है। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट रंजीत बी. मारार पेश हुए।
महिलाओं में शामिल नर्स द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार, उसके साथ बलात्कार करने से पहले धमकी दी गई अगर उसने उनकी बात नहीं मानी तो उसके भाई को मई, 2018 के पहले सप्ताह में एनडीपीएस मामले में फंसाया जाएगा।
महिला ने कहा कि बलात्कार का यह मामला जून 2019 तक जारी रहा। इसके बाद उसने 27 अक्टूबर, 2021 को पुलिस को बयान दिया और उसके खिलाफ आपराधिक रिपोर्ट दर्ज कराई। जल्द ही उसे 6 नवंबर, 2021 को गिरफ्तार कर लिया गया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
मावुंकल के अनुसार, महिला विभिन्न वित्तीय अपराधों में सह-आरोपी के रूप में शामिल होने के लिए चिंतित है और इसने उसे उसके खिलाफ जाने के लिए प्रेरित किया। उसने कहा कि बयान कथित तौर पर खुद पुलिस अधिकारियों ने तय किया है। आरोपी ने यह भी तर्क दिया कि महिला विवाहित महिला है, जिसके बच्चे हैं। वह पति से अलग हो गई है।
मावुंकल ने अपने आवेदन में मामला दर्ज करने में अनुचित देरी पर सवाल उठाया और दावा किया कि यह झूठी कहानी है।
उसने आगे आरोप लगाया कि पुलिस मामले में अत्यधिक रुचि रखती है और उसके खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रसित है। याचिका में यह भी कहा गया कि उसे सलाखों के पीछे भेजने के लिए पैसा, राजनीति और पुलिस बल का प्रयोग किया गया।
उसने यह भी कहा कि अधिकांश वित्तीय अपराधों में उसे जमानत दी गई है, जिससे यह साबित होता है कि यौन उत्पीड़न का मामला स्पष्ट रूप से हेरफेर के अलावा और कुछ नहीं है।
मावुंकल ने दावा किया कि उसका परिवार तबाह हो गया। उसने तर्क दिया कि गिरफ्तार होने के बाद उसकी बेटी की शादी रद्द हो गई। आगे कहा गया कि मामले पर अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है। इन आधारों पर मावुंकल ने आवेदन स्वीकार करने और उसे जमानत पर रिहा करने की प्रार्थना की।
सत्र न्यायालय ने मावुंकल की जमानत याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि रिकॉर्ड प्रथम दृष्टया उक्त अपराधों में उसकी संलिप्तता को दर्शाता है।
निचली अदालत ने अपने आदेश में यह भी दर्ज किया कि न केवल आरोप गंभीर हैं बल्कि कथित तौर पर मावुंकल समान प्रकृति के कई अपराधों में शामिल है। इसके अतिरिक्त, ट्रायल कोर्ट ने अभियोजन पक्ष की इस आशंका में योग्यता पाई कि चूंकि वह व्यक्ति अत्यधिक प्रभावशाली है, वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है और फरार भी हो सकता है।
केस टाइटल: मोनसन मावुंकल बनाम केरल राज्य एंड अन्य।