'उनके पास निजता का अधिकार है': केरल हाईकोर्ट ने ईडी से पूछा कि थॉमस इसाक से पहली बार में ही अपनी संपत्ति के दस्तावेज पेश करने के लिए क्यों कहा
Shahadat
11 Aug 2022 1:18 PM IST
केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय से यह स्पष्ट करने के लिए कहा कि केरल के पूर्व वित्त मंत्री डॉ थॉमस इसाक को मामले के इस प्रारंभिक चरण में अपनी संपत्ति के बारे में निजी जानकारी देने के लिए क्यों कहा गया। खासकर जब वह अभी तक आरोपी या संदिग्ध नहीं है।
जस्टिस वी जी अरुण ने केरल इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (केआईआईएफबी) के वित्तीय लेनदेन के संबंध में ईडी द्वारा पेश होने की मांग वाली कार्यवाही के खिलाफ इसाक द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह सवाल उठाया। थॉमस ने अपनी रिट याचिका में कहा कि केंद्रीय एजेंसी ने उनसे उनकी चल और अचल संपत्तियों के साथ-साथ उनके परिवार के सदस्यों का विवरण पेश करने को कहा है।
कोर्ट ने कहा,
"उन्हें निजता का अधिकार है और इसे केवल कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार भंग किया जा सकता। जांच के प्रारंभिक चरण में ही क्या आप इन सभी विवरणों के लिए पूछ सकते हैं? आपके सामने यह निष्कर्ष निकालने के लिए सामग्री क्या है कि इन सभी सामग्रियों को पेश किया जाना चाहिए?... मुझे एक उत्तर चाहिए कि आपको उन दस्तावेजों की आवश्यकता क्यों है, जो आपने मांगे हैं। मुझे लगता है कि इस पर विचार करने के लिए एक बिंदु है। बेशक अगर यह एक आरोपी या संदिग्ध है तो यह उचित है, लेकिन किसी को सारी निजी जानकारी देने के लिए कहने को स्पष्ट करना होगा।"
पीठ ने यह भी कहा कि थॉमस इसाक को जारी किए गए पहले समन में उनकी संपत्ति के बारे में जानकारी नहीं मांगी गई थी।
जस्टिस अरुण ने पूछा,
"अचानक परिवर्तन क्यों? पहले समन में दूसरे में लगाए गए आरोपों का उल्लेख नहीं है।"
चूंकि केंद्र सरकार के वकील ने इन सवालों के जवाब के लिए और समय मांगा, इसलिए मामले को अगली सुनवाई के लिए बुधवार को पोस्ट कर दिया गया।
याचिका में इस्साक ने आरोप लगाया कि ईडी ने जांच की वास्तविक प्रकृति का खुलासा किए बिना उसे केआईआईएफबी में अपनी भूमिका समझाने के लिए पेश होने के लिए कहा था। हालांकि समन में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम और आयकर अधिनियम के प्रावधानों का उल्लेख है, लेकिन यह यह नहीं बताया गया कि याचिकाकर्ता को किन उल्लंघनों का जवाब देना है।
इसाक की ओर से सीनियर वकील सिद्धार्थ दवे पेश हुए। उन्होंने तर्क दिया कि ईडी को यह जानकारी देनी है कि इसाक ने क्या उल्लंघन किया है।
सिद्धार्थ दवे ने कहा,
"हालांकि वे दावा करते हैं कि जांच केआईआईएफबी में है, मेरे बारे में नहीं। हालांकि, समन इसे अन्यथा प्रतीत होता है। अब वे उल्लंघन की तलाश कर रहे हैं। उल्लंघन का पता लगाएं और फिर मैं मांगी गई सभी जानकारी दूंगा। मैं अनुपालन करने के लिए कर्तव्यबद्ध हूं, लेकिन इस मामले में उल्लंघन क्या है? मुझे अंधेरे में रखा गया है।"
यह भी प्रस्तुत किया गया कि ईडी का प्रयास याचिकाकर्ता को आरोपों की वास्तविक प्रकृति के बारे में अंधेरे में रखकर "मछली पकड़ने और घूमने वाली जांच" शुरू करना है। सीनियर वकील ने कहा कि यदि मजिस्ट्रेट को आवेदन दिखाना है तो ईडी को समन जारी करने के लिए विवेक का प्रयोग करके भी दिखाना होगा।
सीनियर वकील ने प्रस्तुत किया कि ईडी यह स्थापित किए बिना समन के बाद समन जारी कर रहा है कि कि इस्साक ने अपराध किया है।
न्यायाधीश ने इस पर कहा कि गवाह को भी समन जारी किया जा सकता है।
केंद्र सरकार के वकील जयशंकर वी. नायर ईडी की ओर से पेश हुए और स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता फिलहाल आरोपी नहीं है। अभी तक इसके प्रभाव का कोई खतरा नहीं है। यह भी तर्क दिया गया कि इसाक को केवल जांच दल के सामने पेश होने और यह समझाने में क्या आशंका हो सकती है कि हमारे द्वारा मांगे गए दस्तावेजों की आवश्यकता नहीं है।
अगले बुधवार को मामले की सुनवाई की जाएगी।
पूर्व मंत्री का कहना है कि केआईआईएफबी केरल इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड एक्ट के तहत वैधानिक निकाय है और उनकी भूमिका वैधानिक प्रावधानों के अनुसार रही है। केआईआईएफबी से संबंधित विवरण और उनकी भूमिका पब्लिक डोमेन में उपलब्ध है।
याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि वास्तव में उन्हें समन जारी किए जाने से पहले इस मुद्दे को "राजनीतिक रूप" देते हुए इसे मीडिया में लीक कर दिया गया। मई, 2019 में केआईआईएफबी द्वारा मसाला बांड जारी करने के संबंध में इसाक का कहना है कि ऐसा भारतीय रिज़र्व बैंक की अपेक्षित अनुमति के साथ किया गया और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के प्रावधानों का कोई उल्लंघन नहीं है। उल्लेखनीय है कि एनटीपीसी और एचडीएफसी जैसी कंपनियों ने भी मसाला बांड जारी कर धन जुटाया है।
याचिका में कहा गया,
"राज्य विधानमंडल द्वारा अधिनियमित प्रासंगिक क़ानून के तहत विधिवत निगमित निकाय की गतिविधियों में इस तरह की अनुचित मछली पकड़ने और घूमने वाली जांच, उक्त क़ानून के प्रावधानों के साथ-साथ अन्य क़ानून के तहत काम करना संवैधानिक संघीय ढांचे का उल्लंघन है।"
यह भी कहा जाता है कि ईडी ने मार्च, 2021 से शुरू होने वाले डेढ़ साल की अवधि में केआईआईएफबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, उप प्रबंध निदेशक, संयुक्त निधि प्रबंधक और सहायक महाप्रबंधक को बार-बार तलब किया है। जैसा कि केआईआईएफबी राज्य में विभिन्न विकास परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है, ईडी द्वारा बार-बार हस्तक्षेप से निकाय के फंड जुटाने के प्रयास प्रभावित होंगे।
केस टाइटल: डॉ. टी.एम. थॉमस इसहाक बनाम उप निदेशक