कर्नाटक हाईकोर्ट ने उन ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून को रद्द किया, जिनमें दांव लगाया जाता है
LiveLaw News Network
14 Feb 2022 12:39 PM IST
कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक पुलिस (संशोधन) अधिनियम 2021 के कुछ प्रावधानों को संविधान के परे (ultra vires) माना और उन्हें रद्द कर दिया। उन प्रावधानों के जरिए राज्य सरकार ने ऐसे ऑनलाइन गेम को प्रतिबंधित कर दिया था, जिनमें दांव लगाया जाता है।
इस अधिनियम में प्रावधानों के उल्लंघन पर अधिकतम तीन साल की कैद और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी और जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित की खंडपीठ ने कहा, "उपरोक्त परिस्थितियों में ये रिट याचिकाएं सफल होती हैं। कर्नाटक पुलिस (संशोधन) अधिनियम 2021, उन प्रावधानों की सीमा तक, जिन्हें हमने कहा है, संविधान के परे होने के कारण रद्द किया जाता है।"
अदालत ने कहा, "ऑनलाइन गेमिंग बिजनेस और संबद्ध गतिविधियों में हस्तक्षेप करने से रोकने के लिए एक परमादेश की रिट जारी की गई है।"
फैसले में कहा गया है, "प्रावधानों को रद्द करने के परिणाम होंगे। हालांकि, इस फैसले में कुछ भी संविधान के प्रावधानों के अनुसार सट्टेबाजी और जुए के विषय से संबंधित उचित कानून को लाने से रोकने के लिए नहीं समझा जाएगा।"
फैसले की विस्तृत प्रति अभी अपलोड नहीं की गई है।
केरल और तमिलनाडु में ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने वाले समान कानूनों को क्रमशः केरल और मद्रास हाईकोर्टों ने रद्द कर दिया है।
केरल हाईकोर्ट ने ऑनलाइन रमी पर प्रतिबंध लगाने वाले राज्य के एक कानून को रद्द कर दिया था। इससे पहले, मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित एक कानून को रद्द कर दिया था, जिसमें पोकर और रमी जैसे कौशल-आधारित गेम सहित सभी प्रकार के ऑनलाइन गेम पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, जिनमें दांव लगाया जाता था।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने 22 दिसंबर, 2021 को कर्नाटक पुलिस (संशोधन) अधिनियम 2021 की संवैधानिक वैधता के खिलाफ दायर याचिकाओं के एक बैच पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था, जिसके जरिए राज्य सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस अधिनियम में अधिकतम तीन साल की कैद और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
खंडपीठ के समक्ष याचिकाओं की सुनवाई 12 नवंबर, 2021 को शुरू हुई। प्रारंभ में, अंतरिम राहत देने के लिए मामले की सुनवाई की जा रही थी, हालांकि सभी वकीलों की सहमति पर, कोर्ट ने अंततः मामले की सुनवाई की।
उल्लेखनीय है कि संशोधन अधिनियम 5 अक्टूबर को लागू किया गया था, इसमें दांव लगाने या सट्टेबाजी के सभी प्रकार शामिल किए गए हैं। अधिनियम में 'मौके' से जुड़े किसी भी खेल के संबंध में इलेक्ट्रॉनिक साधनों और वर्चुअल करंसी, इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रंसाफर पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। हालांकि, कर्नाटक के भीतर या बाहर किसी भी रेसकोर्स पर लॉटरी, या घुड़दौड़ पर सट्टा लगाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
केस टाइटल: ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन बनाम कर्नाटक राज्य
केस नंबर: डब्ल्यूपी 18703/2021