आईपीसी की धारा 498 ए के तहत महिला के खिलाफ शिकायतकर्ता के पति के साथ अवैध संबंध का आरोप सुनवाई योग्य नहीं : कर्नाटक हाईकोर्ट

Shahadat

23 Jun 2022 1:03 PM GMT

  • हाईकोर्ट ऑफ कर्नाटक

    कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने महिला के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498-ए, 506, 504 और 34 और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत अन्य महिला द्वारा दर्ज एफआईआर को खारिज कर दिया। उक्त एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि आरोपी के उसके पति के साथ अवैध संबंध हैं।

    जस्टिस हेमंत चंदनगौदर की एकल पीठ ने महिला द्वारा दायर याचिका की अनुमति देते हुए कहा,

    "याचिकाकर्ता-आरोपी नंबर 5 के खिलाफ एकमात्र आरोप यह है कि उसके शिकायत नंबर दो के साथ अवैध संबंध हैं, जो प्रतिवादी नंबर एक का पति है। यह आरोप याचिकाकर्ता आरोपी नंबर 5 के खिलाफ आरोपित अपराधों के कमीशन का गठन नहीं करता।"

    द्वितीय प्रतिवादी द्वारा दर्ज कराई गई प्रथम सूचना रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि वह आरोपी नंबर एक की कानूनी रूप से विवाहित पत्नी है और आरोपी नंबर एक से चार तक उसके साथ क्रूरता की गई और आरोपी नंबर 5 - याचिकाकर्ता के उसके पति के साथ अवैध संबंध हैं।

    याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया,

    "याचिकाकर्ता - आरोपी नंबर 5 के खिलाफ एकमात्र आरोप यह है कि उसके आरोपी नंबर एक के साथ अवैध संबंध हैं, जो उसका कानूनी रूप से विवाहित पति है। इसलिए, याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप याचिकाकर्ता-आरोपी नंबर 5 के खिलाफ आरोपित अपराधों के कमीशन का गठन नहीं करता है। इसलिए, उपरोक्त अपराधों के लिए एफआईआर दर्ज करने की अनुमति नहीं है।"

    अभियोजन पक्ष ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि एफआईआर में लगाए गए आरोपों से पता चलता है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोपित अपराध - आरोपी नंबर 5 पर है।

    न्यायालय का निष्कर्ष:

    शिकायत पर विचार करने पर पीठ ने कहा,

    "यह आरोप याचिकाकर्ता-आरोपी नंबर 5 के खिलाफ कथित अपराधों के कमीशन का गठन नहीं करता है और किसी भी आवश्यक सामग्री की अनुपस्थिति में उक्त अपराधों के आयोग का गठन नहीं करता है। आरोपी नंबर 5 के खिलाफ एफआईआर बिना किसी आधार के है।"

    तदनुसार कोर्ट ने याचिका को अनुमति दी।

    केस टाइटल: XXX बनाम कर्नाटक राज्य

    केस नंबर: 2017 की आपराधिक याचिका नंबर 2743

    साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (कर) 226

    आदेश की तिथि: 02 जून, 2022

    उपस्थिति: याचिकाकर्ता के लिए एडवोकेट नागराज जी; एचसीजीपी एस. विश्वमूर्ति, आर1 के लिए; एडवोकेट बाबू रेड्डी, आर2 के लिए

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