भाभी को बदनाम करने के लिए व्यक्ति ने बनाया फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट, हाईकोर्ट ने मानहानि मामला रद्द करने से किया इनकार

Shahadat

12 Nov 2025 9:18 PM IST

  • भाभी को बदनाम करने के लिए व्यक्ति ने बनाया फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट, हाईकोर्ट ने मानहानि मामला रद्द करने से किया इनकार

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में एक आरोपी द्वारा दायर याचिका खारिज की, जिसमें उसकी अलग रह रही भाभी द्वारा उसके खिलाफ दर्ज आपराधिक मानहानि की शिकायत रद्द करने की मांग की गई थी। भाभी ने आरोप लगाया कि आरोपी प्रतिवादी को परेशान कर रहा है और फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाकर उसे बदनाम कर रहा है।

    जस्टिस एम आई अरुण ने प्रमोद शिवशंकर द्वारा दायर याचिका खारिज की, जिन पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 499 और 500 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 (सी), 66 (डी) और 67 (ए) के तहत दंडनीय अपराधों का आरोप है।

    महिला ने आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाकर उसे परेशान और बदनाम कर रहा है। आरोप है कि ऐसा ही एक अकाउंट इस तरह बनाया गया, जैसे वह प्रतिवादी का हो और उसे पुरुषों की तलाश में एक कॉल गर्ल के रूप में चित्रित किया गया। जबकि कुछ अन्य अकाउंट्स में अकाउंट होल्डर की पहचान उजागर नहीं की जाती और कई अपमानजनक मैसेज का उल्लेख किया जाता है। उक्त सोशल मीडिया अकाउंट निजी प्रकृति के नहीं हैं। कोई भी अनजान व्यक्ति इन्हें देख सकता है, जिससे उनकी सामग्री को व्यापक प्रचार मिलता है।

    इसके बाद उसने निजी शिकायत दर्ज की और ट्रायल कोर्ट ने अपराधों का संज्ञान लिया और आरोप-पत्र दाखिल करने से पहले उसका शपथ-पत्र और साक्ष्य दर्ज करने के बाद आरोपी/याचिकाकर्ता पर IPC की धारा 499 सहपठित 500 और IT Act की धारा 66(सी), 66(डी) और 67(ए) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए आरोप लगाने का आदेश पारित किया गया।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि वह कथित अपराधों का दोषी नहीं है। उसने प्रतिवादी द्वारा आरोपित कोई भी फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट नहीं बनाया। यह मानते हुए भी कि याचिकाकर्ता ने फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाए हैं, शिकायत में लगाए गए आरोप कथित अपराध नहीं हैं।

    बयानों पर गौर करने के बाद अदालत ने कहा,

    "उक्त सोशल मीडिया अकाउंट्स की सामग्री, जो यह दर्शाती है कि प्रतिवादी एक वेश्या है। उसे और उसके परिवार के सदस्यों को गालियां दे रही है। उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां कर रही है, निश्चित रूप से अगर याचिकाकर्ता के खिलाफ साबित हो जाती है तो इसे मानहानिकारक माना जाना चाहिए।"

    अदालत ने आगे कहा,

    "इसके अलावा, प्रतिवादी के नाम से एक फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाना IT Act की धारा 66सी के तहत अपराध है।"

    इसके बाद अदालत ने कहा,

    "शपथ पत्र और प्रस्तुत सामग्री के आधार पर ट्रायल कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंची कि प्रथम दृष्टया, प्रतिवादी के नाम से एक फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाया गया और कुछ अन्य फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट भी हैं, जो प्रतिवादी के खिलाफ मानहानिकारक बयान देते हुए बनाए गए और उसने याचिकाकर्ता के खिलाफ उपरोक्त आरोप तय करने का फैसला किया है। मुझे इसमें कोई त्रुटि नहीं दिखती।"

    तदनुसार, अदालत ने याचिका खारिज कर दी।

    Case Title: PRAMOD SHIVASHANKAR AND ABC

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