कर्नाटक हाईकोर्ट ने पैकेजिंग नियमों के कथित उल्लंघन के लिए सैमसंग इंडिया के खिलाफ आपराधिक शिकायत खारिज की

Avanish Pathak

15 Jun 2023 11:25 AM GMT

  • कर्नाटक हाईकोर्ट ने पैकेजिंग नियमों के कथित उल्लंघन के लिए सैमसंग इंडिया के खिलाफ आपराधिक शिकायत खारिज की

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने लीगज मेट्रोलॉजी एक्ट, 2009 के प्रावधानों के तहत सैमसंग इंडिया के खिलाफ दर्ज एक आपराधिक मामले को रद्द कर दिया है।

    जस्टिस सचिन शंकर मगदुम की एकल न्यायाधीश पीठ ने शिकायत को विरोधाभासी पाया और कहा कि अधिनियम और पैकेज्ड कमोडिटीज रूल्स 2011 के प्रासंगिक प्रावधानों की पूरी तरह से गलत व्याख्या की गई है। इसने कहा,

    "इस अदालत का विचार है कि शिकायत किसी भी अपराध का खुलासा नहीं करती है। शिकायत में बताए गए अपराध खुदरा पैकेजों पर लागू होते हैं न कि थोक पैकेजों पर और इसलिए, शिकायत में लगाए गए आरोपों की सावधानीपूर्वक जांच करने पर, यह स्पष्ट है कि शिकायत दुर्भावनापूर्ण है। शिकायत में लगाए गए आरोप पूरी तरह से तुच्छ और परेशान करने वाले पाए गए हैं। यहां तक कि अगर शिकायत में लगाए गए आरोपों को पूरी तरह से स्वीकार कर लिया जाता है, तो यह कोई ठोस अपराध नहीं बनता है और प्रथम दृष्टया आरोप तुच्छ पाए जाते हैं।"

    डिपार्टमेंट ऑफ लीगल मेट्रोलॉजी के इंस्पेक्टर की ओर से दायर शिकायत के अनुसार, सैमसंग के एक वितरक मैसर्स एबीएम टेलीमोबाइल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि एक प्री-पैक्ड सैमसंग गैलेक्सी टैब-4 पर मुद्रित एमआरपी लीगल मेट्रोलॉजी (न्यूमरेशन) रूल्स, 2011 के नियम 4(2), सहपठित लीगल मेट्रोलॉजी अधिनियम की धारा 6(2) और (3) के अनुरूप नहीं था।

    उन्होंने 20 अलग-अलग पैकेज वाले एक थोक पैकेज्ड उत्पाद का भी निरीक्षण किया, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) रूल्स, 2011 के नियम 13(5)(ii) के तहत प्रदान की गई मात्रा को इंगित करने के लिए क्वालिफाइंग सिंबल 'N' नहीं था और इसलिए, दावा किया गया कि क्वालीफाइंग यूनिट 'N' का उल्लेख किए बिना केवल अंक '20' का उल्लेख करने से पैकेज्ड कमोडिटीज रूल्स, 2011 का उल्लंघन होता है।

    मजिस्ट्रेट के पास एक निजी शिकायत दर्ज की गई थी, जिसने संज्ञान लेते हुए कंपनी को समन जारी किया है।

    कोर्ट ने सहमति जताते हुए कहा, "न्यूमरेशन नियमों का नियम 4(2) मूल्य/एमआरपी पर लागू नहीं होता है और इसलिए कोई अपराध नहीं बनता है क्योंकि मेट्रोलॉजी अधिनियम, 2009 की धारा 29 सहपठित धारा 11 का कोई उल्लंघन नहीं है।"

    कोर्ट ने यह भी कहा कि पैकेज्ड सामानों की कीमत/एमआरपी को पैकेज्ड कमोडिटीज रूल्स, 2011 के तहत रेगुलेट किया जाता है, न कि न्यूमरेशन रूल्स, 2011 के अनुसार।

    अदालत ने नियम 13(5)(i) और 5(ii) का उल्लेख किया और कहा कि उक्त प्रावधान केवल खुदरा पैकेजों के लिए लागू है और थोक पैकेजों पर लागू नहीं है। नियम 24 थोक पैकेजों पर लागू होता है।

    तब अदालत ने कहा, "नियम 24 (सी) की जांच करने पर, यह स्पष्ट है कि शिकायत में इंगित दूसरे अपराध को गलत तरीके से लागू किया गया है। उक्त प्रावधान खुदरा पैकेजों पर लागू होते हैं न कि थोक पैकेजों पर। नियम 24(सी) के तहत, पैकेज्ड कमोडिटीज रूल्स, 2011 के नियम 13(5)(ii) के अनुसार उपसर्ग 'N' या 'U' जोड़े बिना केवल मात्रा की संख्या का खुलासा किया जाना है।"

    यह देखते हुए कि शिकायत भी टिकाऊ नहीं है क्योंकि यह सभी निदेशकों के खिलाफ दर्ज की गई है जबकि कंपनी ने मेट्रोलॉजी अधिनियम, 2009 की धारा 49 के संदर्भ में स्पष्ट रूप से एक व्यक्ति को नामित किया है। विचाराधीन प्रथम दृष्टया अपराध नहीं बनता है। कोर्ट ने इस प्रकार इस मामले को रद्द कर दिया।

    केस टाइटल: मेसर्स सैमसंग इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड और कर्नाटक राज्य

    केस नंबर: आपराधिक याचिका संख्या 9771/2017

    साइटेशन: 2023 लाइव लॉ (कर) 222

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